Atmadharma magazine - Ank 174
(Year 15 - Vir Nirvana Samvat 2484, A.D. 1958)
(Devanagari transliteration).

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श्री जैन विद्यार्थीगृह
विद्यार्थीओ माटे अभ्यासनी सगवड
अहीं ‘सोनगढ’ मां उपरोक्त बोर्डिंग छेल्लां ७ वर्षथी चाले छे. संस्थामां, जैनधर्म पाळता कोई पण फीरकाना
विद्यार्थीओ, के जेओनी उंमर १० वर्ष अने तेथी वधु होय, अने जेओ गुजराती प मुं धोरण अने तेथी उपरना
गुजराती के अंग्रेजी धोरणोमां अभ्यास करता होय, तेमने दाखल करवामां आवे छे.
मासिक पूरी फीनुं लवाजम रूा. २प लेवामां आवे छे.
अहीं एस. एस. सी. (मेट्रीक) सुधीना अभ्यास माटे हाईस्कूल छे.
अहींनी आबोहवा सूकी, खूशनुमा तेमज आरोग्यप्रद छे. विद्यार्थीओने संस्थामां, खोराक सात्त्विक तथा सारो
आपवामां आवे छे.
गत छ मासथी विद्यार्थीओ संस्थाना नवा, स्वतंत्र, विशाळ, सुंदर हवा उजास तथा सगवडतावाळा मकानमां
रहे छे.
संस्थामां रहेता विद्यार्थीओने दररोज नियमित श्री सनातन जैन–धर्मनो धार्मिक अभ्यास कराववामां आवे
छे. उपरांत परमपूज्य आध्यात्मिक संत सद्गुरुदेव श्री ‘कानजी स्वामी’ना तत्त्वपूर्ण व्याख्यान–श्रवणनो पण अलभ्य
लाभ मळे छे.
संस्थामां अमुक निश्चित संख्यामां ज विद्यार्थीओने दाखल करवाना छे.
आथी, जे विद्यार्थीओने दाखल थवा इच्छा होय तेमणे, ता. २प–४–प८ सुधीमां उपरना सरनामे ०–१प नया
पैसानी पोष्टनी टिकिटो मोकली, प्रवेशपत्र तथा धाराधोरण अने नियमो मंगावी, ते भरी, ता. २२–प–प८ सुधीमां
परत मोकलवां. ते पछी आवेलां प्रवेशपत्रो स्वीकारवामां आवशे नहि.
ली. मोहनलाल काळीदास जसाणी
मोहनलाल वाघजी महेता करांचीवाळा
मंत्रीओ,
श्री जैन विद्यार्थी गृह, सोनगढ (सौराष्ट्र)
राजकोटमां पू. गुरुदेवनुं स्वागत
लींबडी शहेरमां पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव निमित्ते, सौराष्ट्रमां मंगल विहार करतां करतां पू. गुरुदेव श्री
कानजीस्वामी, फागण वद १२ ना रोज राजकोट मुकामे पधार्या, ते प्रसंगे राजकोटना हजारो मुमुक्षु भक्तजनोए
उमंगपूर्वक भव्य स्वागत कर्युं हतुं. हजारो श्रोताओ सवार–बपोर पू. गुरुदेवना प्रवचननो लाभ लई रह्या छे.
राजकोटमां पू. गुुरुदेव चैत्र सुद १० सुधी रहेशे. त्यारबाद चैत्र सुद १२ ना रोज वांकानेर पधारशे, ने त्यांथी चैत्र वद
त्रीजना रोज मोरबी पधारशे; त्यांथी ध्रांगध्रा, सुरेन्द्रनगर, जोरावरनगर, वढवाणसीटी थईने लींबडी पधारशे. त्यां
पंचकल्याणक प्रतिष्ठामहोत्सव बाद राणपुर, चूडा, बोटाद, वींछीया, गढडा तथा उमराळा थईने जेठ सुद छठ्ठ
लगभगमां सोनगढ पधारशे.
रजीस्ट्रेशन ओफ न्युसपेपर्स (सेन्ट्रल) रूल्स १९प६ना अन्वये “आत्म–धर्म” संबंधमां
नीचेनी विगतो प्रकट करवामां आवे छे.
१. प्रसिद्धिस्थळ–सुतारवाड, भावनगर २. प्रसिद्धिक्रम–दरेक महिनानी आखर तारीख
३. मुद्रकनुं नाम–हरिलाल देवचंद शेठ, कया देशना–भारतीय, ठेकाणुं–आनंद प्रीन्टींग प्रेस–भावनगर
४. प्रकाशकनुं नाम–हरिलाल देवचंद शेठ–भावनगर, कया देशना–भारतीय, ठेकाणुं–सुतारवाड, भावनगर
प. तंत्रीनुं नाम–श्री रामजीभाई माणेकचंद, कया देशना–भारतीय, ठेकाणुं–श्री दिगम्बर जैन स्वाध्याय मंदिर
ट्रस्ट–सोनगढ
आथी जाहेर करीए छीए के उपर आपेली विगतो अमारी जाण अने मान्यता मुजब बरोबर छे.
ता. १प–३–प८.
हरिलाल देवचंद शेठ