स्वर्गमां सौधर्मेन्द्रनी सभा भराणी छे, इन्द्र अवधिज्ञानथी छ महिना बाद आदिनाथ तीर्थंकरनो गर्भकल्याणक थवानुं
जाणीने देवोने पंदर महिना सुधी रत्नवृष्टि करवानी आज्ञा आपे छे, तेमज आठ देवीओने मरूदेवीमातानी सेवा माटे
नियुक्त करे छे–ए बधा भावो बताववामां आव्या हता. इन्द्रादिक देवो आवीने भगवानना माता–पितानुं बहुमान
करे छे ने भेट धरे छे; माताजी सोळ मंगळस्वप्नो देखे छे–इत्यादि सुंदर द्रश्यो थया हता.
मंगल स्वप्नोनुं वर्णन करे छे, ने महाराजा नाभिराय ते स्वप्नोना उत्तम फळ तरीके तीर्थंकरभगवान श्री
ऋषभदेवना गर्भावतरणनुं वर्णन करे छे. (भगवानना मातापिता तरीके शेठश्री मनसुखलाल गुलाबचंद तथा
तेमना धर्मपत्नी हता)
आत्माओना मंगलहस्ते भगवानना धामनी शुद्धि थती देखीने भक्तोने घणो हर्ष थयो हतो. रात्रे अजमेरनी
भजनमंडळीद्वारा भक्तिनो प्रोग्राम थयो हतो.
चारे बाजु वाजिंत्रोना मंगलनाद अने स्वर्गमां घंटारव थता हता. इन्द्रसभामां भगवानना जन्मनी खबर
पडतां ज इन्द्रोए सिंहासनथी ऊतरीने बाल–प्रभुजीने वंदन कर्या अने तरत ज अद्रश्य–ऐरावत हाथी उपर
बेसीने भगवानना जन्मधामनी त्रण प्रदक्षिणा करी हती. प्रदक्षिणा बाद शची–इन्द्राणीए बालप्रभुजीने तेडीने
हर्षपूर्वक इन्द्रना हाथमां आप्या हता. पछी हाथी उपर बिराजमान करीने प्रभुजीने मेरूपर्वत उपर लई जवानुं
भव्य जुलूस नीकळ्युं हतुं. शहेरना सुशोभित रस्ताओ उपर आ जुलूस घणुं शोभतुं हतुं. ऐरावत उपर
बिराजमान बालप्रभुजीना दर्शन करवा आखी नगरीना प्रजाजनो उमटी रह्या हता. अजमेरनी भजनमंडळी पण
साथे होवाथी प्रसंग घणो उल्लासभर्यो हतो. मेरूपर्वत पासे पहोंचता त्यां हाथीए त्रण प्रदक्षिणा करी ने पछी
पांडुकशिला उपर प्रभुजीने बिराजमान कर्या. सुप्रभातना प्रकाशमां मेरु उपर बिराजमान प्रभुजीनुं द्रश्य अत्यंत
भव्य लागतुं हतुं. ए वखते भगवानने नीरखतां एम थतुं हतुं के अहो नाथ! धन्य आपनो अवतार! धन्य
आपनो जन्म! आ अवतारमां ज आत्माना पूर्ण हितने साधीने आप तीर्थंकर थशो..ने जगतना अनेक भव्य
जीवोनो उद्धार करशो..आ आपनो छेल्लो अवतार छे..ए बालक प्रभुजीने नीरखतां भक्तोने बहु आनंद थतो
हतो. पछी इन्द्रोए तेमज अनेक भक्तजनोए अतिशय उल्लासपूर्वक श्री ऋषभकुंवर भगवाननो जन्माभिषेक
कर्यो..ते प्रसंगे चारे तरफ प्रसन्नता अने भक्तिनुं वातावरण छवाई गयुं हतुं. लींबडीना नामदार श्री ठाकोर
साहेब पण भगवाननो जन्माभिषेक जोवा आव्या हता. जिनेन्द्र अभिषेक माटे भक्तोने एटलो उत्साह हतो के
११ ने बदले ठेठ प१ कळश सुधी ऊछामणी थई हती. अभिषेक बाद भगवानने दिव्य वस्त्राभूषण पहेरावीने
पाछा आवीने माताजीने सोंप्या हता, अने त्यां इन्द्र–इन्द्राणी वगेरेए भक्तिपूर्वक तांडव नृत्य कर्युं हतुं..सर्वे
भक्तजनो भगवानना जन्मनी खुशाली मनावता हता.
वखते भगवान प्रत्येना पू. बेनश्रीबेनना विशेष भावो जोईजोईने भक्तोने हर्ष थतो हतो.