Atmadharma magazine - Ank 176
(Year 15 - Vir Nirvana Samvat 2484, A.D. 1958)
(Devanagari transliteration).

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ः २४ः आत्मधर्मः १७६
पंचकल्याणक महोत्सवना प्रारंभमां मंगलरूपे आठ कुमारिका बहेनोए श्री जिनेन्द्रदेवनी स्तुति करी हती. त्यारबाद,
स्वर्गमां सौधर्मेन्द्रनी सभा भराणी छे, इन्द्र अवधिज्ञानथी छ महिना बाद आदिनाथ तीर्थंकरनो गर्भकल्याणक थवानुं
जाणीने देवोने पंदर महिना सुधी रत्नवृष्टि करवानी आज्ञा आपे छे, तेमज आठ देवीओने मरूदेवीमातानी सेवा माटे
नियुक्त करे छे–ए बधा भावो बताववामां आव्या हता. इन्द्रादिक देवो आवीने भगवानना माता–पितानुं बहुमान
करे छे ने भेट धरे छे; माताजी सोळ मंगळस्वप्नो देखे छे–इत्यादि सुंदर द्रश्यो थया हता.
वैशाख सुद १०ना रोज सवारमां गर्भकल्याणकनुं द्रश्य थयुं हतुं; तेमां देवीओ मरूदेवी मातानी सेवा
करे छे, माताजी साथे अनेकविध प्रश्नचर्चा करे छे; अने माताजी राजसभामां जईने नाभिराजा समक्ष १६
मंगल स्वप्नोनुं वर्णन करे छे, ने महाराजा नाभिराय ते स्वप्नोना उत्तम फळ तरीके तीर्थंकरभगवान श्री
ऋषभदेवना गर्भावतरणनुं वर्णन करे छे. (भगवानना मातापिता तरीके शेठश्री मनसुखलाल गुलाबचंद तथा
तेमना धर्मपत्नी हता)
बपोरे पू. गुरुदेवना प्रवचन बाद श्री जिनमंदिरशुद्धि, वेदीशुद्धि, कळश तथा ध्वजशुद्धि थई हती; जिनमंदिरमां
इन्द्रो–इन्द्राणीओए तथा देवीओए वेदी शुद्धि वगेरे कर्या बाद, पू. बेनश्रीबेने शुद्धि तथा स्वस्तिक कर्या हता; पवित्र
आत्माओना मंगलहस्ते भगवानना धामनी शुद्धि थती देखीने भक्तोने घणो हर्ष थयो हतो. रात्रे अजमेरनी
भजनमंडळीद्वारा भक्तिनो प्रोग्राम थयो हतो.
वैशाख सुद ११ना रोज ऋषभदेव तीर्थंकरना जन्मकल्याणकनो महोत्सव घणा उत्साहथी सुंदर रीते थयो
हतो. सवारमां मरूदेवीमातानी कूखे श्री आदिनाथ भगवाननो जन्म थवानी मंगळवधाई देवीओए आपी हती;
चारे बाजु वाजिंत्रोना मंगलनाद अने स्वर्गमां घंटारव थता हता. इन्द्रसभामां भगवानना जन्मनी खबर
पडतां ज इन्द्रोए सिंहासनथी ऊतरीने बाल–प्रभुजीने वंदन कर्या अने तरत ज अद्रश्य–ऐरावत हाथी उपर
बेसीने भगवानना जन्मधामनी त्रण प्रदक्षिणा करी हती. प्रदक्षिणा बाद शची–इन्द्राणीए बालप्रभुजीने तेडीने
हर्षपूर्वक इन्द्रना हाथमां आप्या हता. पछी हाथी उपर बिराजमान करीने प्रभुजीने मेरूपर्वत उपर लई जवानुं
भव्य जुलूस नीकळ्‌युं हतुं. शहेरना सुशोभित रस्ताओ उपर आ जुलूस घणुं शोभतुं हतुं. ऐरावत उपर
बिराजमान बालप्रभुजीना दर्शन करवा आखी नगरीना प्रजाजनो उमटी रह्या हता. अजमेरनी भजनमंडळी पण
साथे होवाथी प्रसंग घणो उल्लासभर्यो हतो. मेरूपर्वत पासे पहोंचता त्यां हाथीए त्रण प्रदक्षिणा करी ने पछी
पांडुकशिला उपर प्रभुजीने बिराजमान कर्या. सुप्रभातना प्रकाशमां मेरु उपर बिराजमान प्रभुजीनुं द्रश्य अत्यंत
भव्य लागतुं हतुं. ए वखते भगवानने नीरखतां एम थतुं हतुं के अहो नाथ! धन्य आपनो अवतार! धन्य
आपनो जन्म! आ अवतारमां ज आत्माना पूर्ण हितने साधीने आप तीर्थंकर थशो..ने जगतना अनेक भव्य
जीवोनो उद्धार करशो..आ आपनो छेल्लो अवतार छे..ए बालक प्रभुजीने नीरखतां भक्तोने बहु आनंद थतो
हतो. पछी इन्द्रोए तेमज अनेक भक्तजनोए अतिशय उल्लासपूर्वक श्री ऋषभकुंवर भगवाननो जन्माभिषेक
कर्यो..ते प्रसंगे चारे तरफ प्रसन्नता अने भक्तिनुं वातावरण छवाई गयुं हतुं. लींबडीना नामदार श्री ठाकोर
साहेब पण भगवाननो जन्माभिषेक जोवा आव्या हता. जिनेन्द्र अभिषेक माटे भक्तोने एटलो उत्साह हतो के
११ ने बदले ठेठ प१ कळश सुधी ऊछामणी थई हती. अभिषेक बाद भगवानने दिव्य वस्त्राभूषण पहेरावीने
पाछा आवीने माताजीने सोंप्या हता, अने त्यां इन्द्र–इन्द्राणी वगेरेए भक्तिपूर्वक तांडव नृत्य कर्युं हतुं..सर्वे
भक्तजनो भगवानना जन्मनी खुशाली मनावता हता.
बपोरना प्रवचनमां गुरुदेवे तीर्थंकर भगवानना जन्मनो महिमा समजाव्यो हतो; प्रवचन बाद श्री
आदिकुंवरनुं पारणुं झुलाववानी क्रिया थई हती, भक्तो भावपूर्वक भगवाननुं पारणुं झूलावता हता..पारणुं झूलावती
वखते भगवान प्रत्येना पू. बेनश्रीबेनना विशेष भावो जोईजोईने भक्तोने हर्ष थतो हतो.
रात्रे श्री आदिनाथ महाराजाना राजदरबारनो देखाव थयो हतो..प्रथम श्री नाभिमहाराजा आदिकुमारने
पट्टबंधन करीने तेमनो राज्याभिषेक करे छे; ने त्यारबाद महाराजा आदिकुमारना राजदरबारमां देशोदेशना