अवसर आव्यो.
नृत्य करतां करतां ज तेनो देह विलय थई जाय छे, अने तेने स्थाने तरत ज जो के बीजी देवी गोठवाई जाय
छे, तो पण भगवानना ख्यालमां ते वात आवी जाय छे, अने संसारनी आवी क्षणभंगुरता देखीने तेओ
संसारथी विरक्त थाय छे, ने बार वैराग्यभावनाओना चिंतनपूर्वक दीक्षा लेवा माटे तैयार थाय छे तरत ज
लोकांतिक देवो आवे छे, ने भगवाननी स्तुति करीने तेमना वैराग्यनुं अनुमोदन करतां कहे छे केः हे नाथ!
आपश्री जे परम वैराग्यभावनामां झूली रह्या छो तेने अमारुं अनुमोदन छे...हे प्रभो! आ संसारना भोग
खातर आपनो अवतार नथी पण आत्माना मोक्ष खातर आपनो अवतार छे. प्रभो, चैतन्यना
आनंदसागरमां लीन थईने आप शीघ्र केवळज्ञान पामो, अने आ भरतक्षेत्रमां असंख्य वर्षोथी बंध रहेला
मोक्षनां द्वारने आपनी दिव्यवाणीवडे खुल्लां करो.
अनुमोदन छे...ने अमे पण ए ज धन्य मुनिदशाने झंखी रह्या छीए.” आ प्रमाणे