द्वितीय श्रावणः २४८४ः २३ः
* भव्योने ज–नहि के अभव्योने,
* लब्धबुद्धिओने ज–नहि के अलब्धबुद्धिओने,
* क्षीण कषायपणामां ज होय छे,–नहि के कषाय सहितपणामां होय छे.
–आम आठ प्रकारे नियम अहीं देखवो.
जुओ, आ अनेकान्त; आम ज होय छे ने बीजी रीते होतुं नथी–आवुं मोक्षमार्गनुं अनेकान्तस्वरूप छे.
(१) मोक्षमार्गनुं चारित्र केवुं होय? सम्यक्त्व अने ज्ञानथी युक्त ज होय. असम्यक्त्व अने अज्ञानथी युक्त
चारित्र कदी होतुं नथी. सम्यग्दर्शन अने सम्यग्ज्ञान वगर चारित्र होतुं नथी, माटे सम्यग्दर्शन अने सम्यग्ज्ञान
सहितपणुं होवुं ते मोक्षमार्गनो पहेलो नियम छे.
(२) चारित्र ज मोक्षमार्ग छे, अचारित्र ते मोक्षमार्ग नथी. चारित्र एटले स्वरूपमां रमणता, तेना विना
मोक्षमार्ग होतो नथी आ बीजो नियम छे.
(३)मोक्षमार्गमां जे चारित्र छे ते केवुं होय?–के रागद्वेष रहित ज होय, रागद्वेषसहित होय ते मोक्षमार्ग नथी,
पंचमहाव्रत वगेरेनो राग ते मोक्षमार्ग नथी–एम स्पष्ट नियम अहीं कह्यो छे. रागद्वेषरहित चारित्र ज मोक्षमार्ग छे,
राग ते मोक्षमार्ग नथी, राग तो बंधमार्ग छे. सरागचारित्रने (व्यवहाररत्नत्रयने) व्यवहारथी मोक्षमार्ग आ
शास्त्रमां ज आगळ कहेशे,–पण त्यां आ नियम लक्षमां राखीने तेनो भावार्थ समजवो जोईए. अहीं, तो स्पष्ट नियम
छे के रागद्वेषसहित चारित्र ते मोक्षमार्ग नथी पण रागद्वेषरहित एवुं वीतरागीचारित्र ज मोक्षमार्ग छे. आ त्रीजो
नियम कह्यो.
(४) सम्यग्दर्शन–ज्ञान सहित अने रागद्वेष रहित एवुं जे चारित्र ते मोक्षनो ज मार्ग छे; अने ते मोक्षनो ज
मार्ग होवाथी बंधनो मार्ग नथी–एम स्पष्ट आशय तेमांथी नीकळे छे. जुओ, आ नियम! जे मोक्षनो मार्ग छे ते
बंधनो मार्ग नथी. राग तो बंधनो मार्ग छे, तो ते मोक्षमार्ग केम होय वीतरागचारित्र के जे मोक्षनुं ज कारण छे ते
बंधनुं कारण जरा पण थतुं नथी.–आ चोथो नियम छे.
(प) आवो सम्यग्दर्शन–ज्ञानसहित, रागद्वेषरहित चारित्ररूप जे भाव छे ते मार्ग ज छे, अमार्ग नथी. आवा
चारित्र सहित होय ने मोक्षमार्ग न थाय–एम बने नहि, आ अमार्ग नथी पण मार्ग ज छे. आवो मार्ग आत्मामां
जेने प्रगटे तेने मार्गनो संदेह टळी जाय, मोक्षनो संदेह टळी जाय, मार्गनी पोताने निःशंकता थई जाय के आ मार्ग ज
छे. मोक्षनो आ मार्ग हशे के बीजो मार्ग हशे–एवो संदेह धर्मीने होतो नथी. आ रीते, सम्यग्दर्शन–ज्ञानसहित जे
वीतरागचारित्र छे ते मोक्षनो मार्ग ज छे, ने अमार्ग नथी. आ पंचम नियम जाणवो.
(६) आवो मोक्षमार्ग कोने होय छे? के भव्योने ज आवो मोक्षमार्ग होय छे, अभव्योने होतो नथी. भव्य
एटले मोक्षने लायक; जे जीव मोक्षने लायक छे तेने ज आवो मोक्षमार्ग होय छे, अभव्योने मोक्षमार्ग होतो नथी.–आ
छठ्ठो नियम कह्यो.
(७) भव्योमां पण लब्धबुद्धिओने ज मोक्षमार्ग होय छे, अलब्धबुद्धिओने होतो नथी. अहीं लब्ध बुद्धि कहेतां
सामान्य उघाडनी वात नथी, पण लब्धि एटले आत्माना निर्विकार स्वसंवेदननी प्राप्ति; एवा स्वसंवेदन ज्ञानथी जे
सहित छे ते लब्धबुद्धि छे, ने एवा लब्धबुद्धिओने ज मोक्षमार्ग होय छे, जेओ आत्माना स्वसंवेदन ज्ञानथी रहित छे
एवा अलब्धबुद्धिओने मोक्षमार्ग होतो नथी.–आ सातमो नियम जाणवो.
(८) क्षीणकषायपणामां ज मोक्षमार्ग होय छे, कषाय सहितपणामां नहि; एटले के सम्यग्दर्शन–ज्ञानपूर्वकना
वीतराग चारित्रथी कषायोनी जेटली क्षीणता थई छे तेटलो ज मोक्षमार्ग छे, जेटलुं कषायसहितपणुं छे ते मोक्षमार्ग
नथी. कषाय कण तो बंधनुं कारण छे. कषाय कण होवा छतां त्यां पण जेटलुं वीतरागी चारित्र (कषायना अभावरूप)
छे तेटलो मोक्षमार्ग छे, अने जे कषायकण छे ते मोक्षमार्ग नथी, माटे क्षीणकषायपणामां ज मोक्षमार्ग होय छे ने
कषायसहितपणामां मोक्षमार्ग होतो नथी.–एम आठमो नियम कह्यो.
–आ रीते आ आठ प्रकारना नियमथी मोक्षमार्गने ओळखवो.