Atmadharma magazine - Ank 177
(Year 15 - Vir Nirvana Samvat 2484, A.D. 1958)
(Devanagari transliteration).

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द्वितीय श्रावणः २४८४ः ७ः
अनेकान्तमूर्ति भगवान आत्मानी
(४७)
संबंध शक्ति
आ जगतमां मारुं शुं छे ने कोनी साथे मारे
परमार्थसंबंध छे तेना भान वगर, परने पोतानुं
मानीने, पर साथे संबंध जोडीने जीव संसारमां
रखडी रह्यो छे. आत्मानुं ‘स्व’ शुं छे, ने वास्तविक
संबंध कोनी साथे छे ते आ संबंधशक्तिमां बताव्युं
छे. आ संबंधशक्ति पण आत्मानो पर साथे संबंध
नथी बतावती परंतु पोतामां ज स्व–स्वामीसंबंध
बतावीने पर साथेनो संबंध तोडावे छे; ए रीते
परथी भिन्न आत्माने बतावे छे. आत्मा ज्ञान–
दर्शन–आनंदस्वरूप पोताना भावनो ज स्वामी छे,
ने ते भावो ज आत्मानुं स्व छे,–आम जाणीने,
स्वभाव साथे संबंध जोडवो ने पर साथे संबंध
तोडवो–आवुं एकत्वविभक्तपणुं ते समयसारनुं
तात्पर्य छे, ने ते एकत्व–विभक्तपणामां ज
आत्मानी शोभा छे.