द्वितीय श्रावणः २४८४ ः १९ः
सोनगढ
जिनमंदिरना
चित्रोनी यादी
तीर्थधाम सोनगढमां श्री सीमंधर भगवाननुं भव्य जिनमंदिर छे; जिनमंदिरनी अंदर निजमंदिरमां
अति सुशोभित कळामय सोनेरी कारीगरीवाळी देरीमां श्री सीमंधरभगवान वगेरे जिनेन्द्र भगवंतो
बिराजे छे, तेओनी अति प्रशांत वीतराग-रसझरती पावन मुद्रा दर्शकना नयनोने शांतरसथी तृप्त तृप्त करे
छे. अने चारे कोरनी दीवालो उपर कोतरेला सुंदर चित्रोवडे भगवानना दरबारनी शोभा अद्भुत बनी
जाय छे. जिनमंदिरमां कुल १३ चित्रो छे, जेमांना घणाखरा मुनिभक्तिथी भरपूर छे, कोई तीर्थंकरोना
पूर्वभवना खास प्रसंगसूचक छे, तो कोईमां तीर्थयात्राना मीठां संभारणावडे तीर्थभक्ति भरेली छे.-आ
चित्रोनी संक्षिप्त विगत नीचे मुजब छेः
(१) शांतिनाथ भगवान पूर्वभवे विदेह क्षेत्रमां घनरथतीर्थंकरना पुत्र मेघरथ हता, ते वखतनो एक
प्रसंग; अने तेओ अढीद्वीपना तीर्थोनी वंदना करे छे ते द्रश्य. (आ चित्रनी कथा आत्मधर्म अंक १७७ मां
आवी गई छे.)
(२) पू. श्री कानजीस्वामीए प०० उपरांत यात्रिको सहित श्री सम्मेदशिखरजी वगेरे तीर्थधामोनी महान
ऐतिहासिक जात्रा करी तेनुं भाववाही द्रश्य; संघनी ३० जेटली मोटरो ने ९ मोटरबसोनी हारमाळा चाली जाय
छे, वच्चे इंदोर वगेरे अनेक स्थळे भावभीनुं स्वागत थाय छे, गुरुराज यात्रिको सहित सम्मेदशिखरजी तीर्थनी
वंदना करी रह्या छे, क्यांक चर्चा-भक्ति वगेरे थाय छे-एनां द्रश्यो.
(३) महावीर भगवाननी बाल्यावस्थाना प्रसंगोनुं द्रश्य. एक देव सर्पनुं रूप लईने वीरकुंवरना बळनी
परीक्षा करे छे; बाल-तीर्थंकरने देखतां ज बे मुनिवरोनी सूक्ष्म शंकानुं समाधान थई जाय छे. (आ चित्रनी कथा
आ अंकमां आपवामां आवी छे.)
(४) मथुरानगरीमां सप्तर्षि मुनिवरोना आगमननुं अति भाववाही द्रश्य.
(प) २१ मा तीर्थंकर श्री नेमिनाथ प्रभुना वैराग्य प्रसंगनुं द्रश्य. विदेहक्षेत्रना तीर्थंकरनी सभामां
नेमिनाथ प्रभुनी वार्ता सांभळीने, बे देवो दर्शन करवा आवे छे; ते प्रसंगे नेमिनाथ प्रभु वैराग्य पामी दीक्षित
थाय छे, साथे १००० राजाओ पण दीक्षा ल्ये छे.
(६) ऋषभदेव भगवानना जीवने जुगलीयाना भवमां बे मुनिओ आवीने अनुग्रहपूर्वक सम्यक्त्व-ग्रहण
करवानो उपदेश आपे छे; ऋषभदेवनो जीव त्यां सम्यक्त्व पामे छे; तेमनी साथे साथे तेमनी स्त्री
(श्रेयांसकुमारनो जीव) तेमज भरत वगेरेना जीवो पण सम्यक्त्व पामे छे तेनुं भाववाही अद्भुत द्रश्य.
(७) भाव-प्राभृतमां कुंदकुंदाचार्य देव “शिवकुमारो परीत्तसंसारीओ जादाे”-एम कहीने शिवकुमारनुं
द्रष्टांत आप्युं छे ते संबंधी आ चित्र छे. जंबूस्वामी