थईने मांगे छे. एवा क्षुधातूरने भोजन मळे तो केवुं मीठुं लागे? सुको रोटलो मळे तो पण मीठो लागे..ने हर्षथी
पोतानी क्षुधा मटाडे.
एम सुखना उपायने झंखे छे, ते जीव ज्ञानी संत पासे जईने दीनपणे–भीखारीनी जेम–याचक थईने विनयथी
मांगे छे के प्रभो! मारा आत्माना सुखनो मार्ग मने समजावो, आ भवदुःखथी छूटवानो मार्ग मने बतावो.–
आम जे आत्मानो गरजु थईने आव्यो ने तेने आत्माना आनंदनी वात सांभळवा मळे तो केवी मीठी लागे!–
ए वखते ते बीजा लक्षमां न रोकाय, पण एक ज लक्षे आत्मानुं स्वरूप समजीने पोतानुं दुःख मटाडे. आत्मानो
खरेखरो अर्थी थईने जे सांभळे छे तेने श्रवण थतां ज अंतरमां परिणमी जाय छे. जेम खरी–कडकडती भूख
लागी होय तेने भोजन पेटमां पडतां ज परिणमी जाय छे, तेम जेने चैतन्यनी खरी अभिलाषा जागी छे तेने
वाणी काने पडतां ज आत्मामां ते परिणमी जाय छे.
तरसथी तरफडतां कंठगतप्राण थई गयो होय, पाणी–पाणीनो पुकार करतो होय, ने एवा टाणे शीतळ–मधुर
पाणी मळे तो केवी तलपथी पीए!! तेम विकारनी आकुळतारूपी धोम तडकामां, भवरणनी वच्चे भमतो जीव
सेकाई रह्यो छे, त्यां आत्मार्थी जीवने आत्मानी तृषा लागी छे–लगनी लागी छे, आत्मानी शांति माटे झंखे छे;
एवा जीवने संतोनी मधुर वाणीद्वारा चैतन्यना शांतरसनुं पान मळतां ज अंतरमां परिणमी जाय छे. कोरा घडा
उपर पाणीनुं टीपुं पडे, ने जेम चूसी ल्ये तेम आत्मार्थी जीव आत्माना हितनी वातने चूसी ल्ये छे–अंतरमां
परिणमावी दे छे.
वहालो लाग्यो छे, आत्मा करतां जगत वहालुं नथी, (जगत इष्ट नहि आत्माथी)’–आवी आत्मानी लगनीने लीधे
जगतना मान–अपमानने गणकारतो नथी. मारे समजीने मारा आत्मानुं हित साधवुं छे, एवुं ज लक्ष छे; पण हुं
समजीने बीजाथी अधिक थाउं, के हुं समजीने बीजाने समजावुं–एवी वृत्ति ऊठती नथी. जुओ, आ आत्मार्थी जीवनी
पात्रता!
रोग मटाडनारी चैतन्यस्वरूपनी वात काने पडतां ज उत्साहपूर्वक ते तेनुं सेवन करे छे. साचा सद्गुरु वैदे जे प्रकारे कह्युं
ते प्रकारे ते चैतन्यनुं सेवन करे छे; संत पासे दीन थईने भीखारीनी जेम ‘आत्मा’ मांगे छे के प्रभो! मने आत्मा
समजावो.
आप्युं–एम महाउपकार माने छे, तेम भवसमुद्रमां गोथां खाई खाईने थाकेला जीवने एक ज लक्ष छे के मारो
आत्मा आ संसारसमुद्रथी केम बचे! त्यां कोई ज्ञानी पुरुष तेने तरवानो उपाय बतावे तो ते प्रमाद वगर,
उल्लसता भावथी ते उपाय अंगीकार करे छे. जेम डूबता पुरुषने कोई वहाणमां बेसवानुं कहे तो शुं ते जराय
प्रमाद करे?–न ज करे; तेम
ज्ञानी संतो भेदज्ञानरूपी वहाणमां बेसवानुं