Atmadharma magazine - Ank 181
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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ः १२ः आत्मधर्मः १८१ः
२१मा
श्री नमिनाथ तीर्थंकरनो
वैराग्य प्रसंग
सोनगढना भव्य जिनमंदिरनी दिवालो
उपर कोतरेला, वैराग्य अने भक्तिथी भरपूर
ऐतिहासिक चित्रोनो परिचय ‘आत्मधर्म’ मां
अनुक्रमे प्रसिद्ध थाय छे. अत्यार सुधीमां (१)
शांतिनाथ भगवाननो पूर्वभव (२)
सम्मेदशीखरजीनी यात्रा (३) वीरकुंवरनी
बाल्यावस्थाना बे प्रसंगो अने (४) मथुरामां
सप्तर्षि भगवंतो–ए चार चित्रोनो परिचय
अपाई गयो छे. पांचमुं चित्र, एक वीसमां
तीर्थंकर श्री नमिनाथ कुमारना वैराग्य प्रसंगनुं
छे, तेनो परिचय अहीं आपवामां आव्यो छे.
आ जंबूद्वीपना बंगदेशमां मिथिला नामनी नगरी हती; त्यां भगवान ऋषभदेवना वंशज विजय
महाराजा राज्य करता हता. तेमनी महाराणी वप्पिलादेवीने एक वार १६ मंगळ स्वप्नो आव्या अने
होननार नमिनाथ तीर्थंकर अपराजिन विमानथी च्यवीने तेमनी कूखे अवतर्या. जेठ वद दसमना रोज
भगवाननो जन्म थतां ईंद्रोए आवीने एकवीसमा तीर्थंकरनो जन्मकल्याण उत्सव कर्यो. भगवान
नमिनाथनुं दस हजार वर्ष आयुष्य हतुं. कुमारकाळना अढी हजार वर्ष बाद तेमनो राज्याभिषेक
थयो.....राज्य करतां करतां पांच हजार वर्ष वीती गया....
वर्षा ऋतु आवी.....आकाश अनेक प्रकारनां वादळोथी छवाई गयुं.....त्यारे वर्षाऋतुनी शोभा
नीहाळवा नमिनाथकुमार हाथी उपर बेसीने वनविहार माटे चाल्या. अनेक राजकुमारोनी साथे भगवान
नमिनाथ वर्षाऋतुथी सुशोभित वननी शोभा नीहाळी रह्या हता.......एवामां एकाएक आकाशमार्गेथी
बे देवो आव्या.....अने हाथ जोडीने नमस्कार करता थका भगवाननी स्तुति करवा लाग्या....आ बंने
देवो भगवान पासे केम आव्या ते जाणवा माटे आपणी कथाने थोडीवार महाविदेहमांलई जईए.
जंबूद्वीपना पूर्वविदेहक्षेत्रमां वत्सकावती नामनो देश छे, तेनी सुसीमा नगरीमां अपराजिन
पण