उत्तरः– हा, आत्मानो ज्ञानस्वभाव छे.
(२) प्रश्नः– तेनुं ज्ञान सामर्थ्य पूर्ण व्यक्त थईने केवळज्ञान थई शके छे?
उत्तरः– हा, ज्ञानसामर्थ्य पूर्ण व्यक्त थतां केवळज्ञान थाय छे.
(३) प्रश्नः– ते केवळज्ञान वर्तमान जे जे पर्यायो वर्ते छे तेने जाणे छे?
उत्तरः– हा.
(४) प्रश्नः– ते ज प्रमाणे. वर्तमान समय पछी बीजा समये दरेक पदार्थनी केवी पर्याय थशे तेने पण ते
(प) प्रश्नः– त्यार पछी त्रीजा–चोथा–पांचमा–छठ्ठा समये केवी पर्याय थशे तेने पण ते केवळज्ञान जाणे छे?
उत्तरः– हा, तेने पण जाणे छे.
(६) प्रश्नः– ए ज प्रमाणे सो, लाख के करोड समय पछी कया द्रव्यनी केवी अवस्था थवानी छे तेने केवळज्ञान
(७) प्रश्नः– ते प्रमाणे असंख्य समय पछी केवी अवस्था थशे तेने पण केवळज्ञान जाणे छे?
उत्तरः– हा, तेने पण जाणे छे.
(८) प्रश्नः– ए ज प्रमाणे वर्तमाननी माफक अनंतकाळ पछी कया द्रव्यनी केवी अवस्था थशे तेने पण
(९) प्रश्नः– तो ए रीते केवळज्ञानी भगवानने त्रण काळ त्रण लोकनुं संपूर्णज्ञान वर्तमानमां प्रत्यक्ष वर्ते छे–
(१०) प्रश्नः–
–आ रीते आत्मानुं ‘केवळज्ञान’ अने बधाय पदार्थोमां ‘क्रमबद्धपर्याय’ ए बंने सिद्ध थई गया.