Atmadharma magazine - Ank 181
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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सोळमा वर्षनी शरूआतमां
आत्मानो धर्म दर्शावनारी पू. गुरुदेवनी वाणीना एक
नानकडा झरणां समुं आ ‘आत्मधर्म’ मासिक पंदर वर्ष पूरा
करीने आ अंकनी साथे सोळमा वर्षमां प्रवेश करे छे......आ
प्रसंगे परम उपकारी, आत्मधर्म–प्रणेता पू. गुरुदेवने अने सर्वे
धर्मात्माओने भक्तिपूर्वक नमस्कार करीए छीए...... आत्मार्थी
जीवोने खास उपयोगी होय एवा लेखो पसंद करीने आ
आत्मधर्ममां अपाय छे.... सम्यक्त्वनो महिमा तथा तेना उपाय
संबंधी लेखो वांचीने घणा आत्मार्थी जीवो खूब प्रसन्न थाय छे;
४७ शक्तिनी लेखमाळा वांचीने अनेक जिज्ञासुओए आत्मधर्म’
प्रत्ये मुक्तकंठे बहुमान व्यक्त कर्युं छें, आ रीते आत्मार्थी–जिज्ञासु
जीवोने खास उपयोगी एवुं आ ‘आत्मधर्म’ हवे १६मा वर्षमां
प्रवेशे छे. आ अद्वितीय अध्यात्म मासिकना खूब ज प्रचारनी
तेमज सुशोभननी खास आवश्यकता छे. आशा राखीए छीए के
सर्वे ग्राहको अने जिज्ञासुओ आ भावनामां साथ पुरावशे.
सुवर्णपुरी समाचार
प्रवचन
परमपूज्य गुरुदेव सुखशांतिमां बिराजे छे. सवारना
प्रवचनमां श्री पंचास्तिकाय वंचातुं हतुं. ते कारतक सुद १२ ना
रोज, बराबर नेमप्रभुनी वेदीप्रतिष्ठाना दिवसे पूरुं थयुं छे.
अने कारतक सुद १३थी प्रवचनसारनो त्रीजो अध्याय शरू थयो
छे. बपोरना प्रवचनमां प्रवचनसारनो बीजो अध्याय चाले
छे. पंचास्तिकायनी छेल्ली २० गाथा (१प४ थी १७३) मां
वीतरागी मोक्षमार्गनुं निश्चय–व्यवहारनी संधिपूर्वक अद्भुत
विवेचन छे, तेना उपरना प्रवचनो पण घणा सरस
स्पष्टीकरणपूर्वक थया छे.
दीपावली–उत्सव
आसो वद अमासे श्री महावीर प्रभुना
मोक्षकल्याणकनो दीपावली महोत्सव उत्साहथी ऊजवायो हतो.
सवारमां, दीपकोना झगझगाटथी शोभी रहेला जिनमंदिर मां,
पावापुरी सिद्धिधामनी