कारतकः २४८प ः ३ः
दीपावली–प्रवचन
जयवंत वर्तो.....
साक्षात् मोक्षमार्गस्वरूप वीतरागता
गुरुदेवे आपेली बेसता वर्षनी बोणी
आसो वद अमासे महावीर भगवाननो
मोक्षकल्याण ऊजवायो, अने वीर संवतनुं नवुं
वर्ष बेठुं. नवा वर्षनी बोणीमां पू. गुरुदेवे साक्षात्
मोक्षमार्गनुं स्वरूप आप्युं. पंचास्तिकायनी
१७२मी गाथामां “स्वस्ति साक्षात्
मोक्षमार्ग...........” एम कहीने आचार्यभगवान
आशीर्वाद आपे छे के हे भव्यजीवो! तमे
वीतरागतास्वरूप साक्षात् मोक्षमार्गनी आराधना
करो......ए ज संदेश पू. गुरुदेवे बेसता वर्षना
मांगलिकमां संभळाव्यो, ते अहीं आपवामां
आव्यो छे.
आजे भगवान महावीर परमात्मा चैतन्यध्यानवडे मोक्ष पाम्या......ईंद्रोए पावापुरीमां असंख्य
दीवडाथी भगवानना मोक्षनो महोत्सव ऊजव्यो. चैतन्यनी प्रतीत अने ज्ञान करीने तेमां ठरतां आत्माना
असंख्य प्रदेशे केवळज्ञानना अनंत दीवडा प्रगटी जाय ते खरी दीपावलि–दिवाळी छे. ते केम प्रगटे तेनी वात आ
पंचास्तिकायनी १७२मी गाथामां चाले छे.
महावीर भगवान आजे मोक्ष पाम्या........
गौतम गणधर आजे केवळज्ञान पाम्या......
सुधर्मस्वामी आजे मुख्य आचार्यपद पाम्या.....
इन्द्रो अने नरेन्द्रोए पावापुरीमां आवीने भगवानना मोक्षनो अने गौतमस्वामीना केवळज्ञाननो मोटो
उत्सव ऊजव्यो.
मोक्षनो खरो उत्सव तो जो के मोक्षमार्गनी आराधनाथी