Atmadharma magazine - Ank 182
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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ः १२ः आत्मधर्मः १८२
अजमेरना समवसरण जोईने बनावेली छे. आ उपरांत अहीं नानकडा पहाड उपर जिनमंदिरो छे. पहाड
चडतां वीसेक मिनिट लागे छे; कुंभोजमां बीजा पण जिनमंदिरो छे.
कोल्हापुर (महा सुद १२)–अहीं छ जिनमंदिरो छे.
स्तवनिधि थईने बेलगाम (महा सुद १२) –स्तवनिधिमां पाश्वप्रभु वगेरेनां पुराणा प्रतिमाजी तथा
मुनिओना निवासस्थान जेवी गुफाओ छे. बेलगाममां छ जिनमंदिरो छे; नेमनाथप्रभुनी अतिमनोज्ञ
प्रतिमा छे.
हूबली (महा सुद १४–१प) अहीं अनेक जिनमंदिरो छे.
जोगफोल्स थईने सागर (महा वद एकम) जोगफोल्स तेमां पाणीना कुदरती धोध छे.
हुमच (महा वद २–३) अहीं तळावकिनारे पांच पुराणा मंदिरो छे, नानकडी पहाडी उपर एक मंदिरमां
बाहुबली भगवानना पुराणा प्रतिमा सुंदर छे.
कुंदनगीरी–कुंदकुंदपर्वत (जात्रा महा वद ३) दक्षिणजात्रामां आ पहेलुं तीर्थ आव्युं. अहीं गीच झाडीथी
रळियामणो कुंदकुंदपर्वत छे; पर्वतनुं चढाण लगभग त्रण माईल जेटलुं छे. अडधे सुधी बांधेलो रस्तो
छे, पछी झाडीथी वच्चे केडी रस्तो छे. आ पर्वत उपर कुंदकुंदप्रभुनी तपोभूमि तथा निर्वाणभूमि छे;
त्यां पापविध्वंसक कुंडना किनारे कुंदकुंदाचार्यदेवना पुराणा चरणकमळ छे; एक पुराणुं जिनमंदिर तेमज
मानस्तंभ वगेरे छे. पर्वत उपरनुं दश्य बहु रळियामणुं ने उपशांत छे.
जेम पूर्वमां बिहार प्रांत ए मुख्यपणे तीर्थंकरोनी विहारभूमि छे, तेम दक्षिणप्रांत ए मुख्यपणे
मुनिवरोना विहारनी भूमि छे. महावीरभगवान पछी अमुक वर्षे उत्तरमां ज्यारे १२ वर्षनो भीषण
दुष्काळ पडयो त्यारे भद्रबाहुस्वामीनी आगेवानीमां १२००० जेटला मुनिवरो दक्षिण तरफ विहार करी
गयेला....दक्षिणप्रांतमां शिलालेखो वगेरेमां ठेरठेर मुनिवरोना विहारना संस्मरणो भर्यां छे, अने
ताडपत्र उपर लखेलां पुराणा शास्त्रो पण दक्षिण प्रांतमां ठेरठेर जोवा मळे छे. आवा दक्षिणप्रांतनी
जात्रामां सौथी पहेलां परमगुरुथी कुंदकुंदाचार्य प्रभुना पवित्र चरणोथी पावन थयेली भूमि
कुंदकुंदगिरिनी यात्रा थशे. जात्रानां मुख्य तीर्थोमांनुं आ सौथी पहेलुं तीर्थ छे. अहींनी जात्रा करीने
पाछा हुमच जवानुं; अने हुमचथी पछी वरांग जवानुं छे.
वरांग (महा वद प) अहीं १७ जेटला जिनमंदिरो छे; तळावनी वच्चे एक रळियामणुं जिनमंदिर छे. तेमां चारे
बाजु खडगासन भगवंतो दर्शनीय छे. आ मंदिरमां दर्शन करवा माटे नानकडी नौकामां बेसीने जवाय छे.
अहीं दर्शन करीने कारकल तरफ जवानुं.
कारकल (महा वद प)–अहीं १७ जेटला जिनमंदिरो छे; लगभग ६० फूट ऊंचो मानस्तंभ (एक ज पत्थरनो)
छे. एक नानकडा रळियामणा पर्वत उपर बाहुबली भगवानना ४१ फूट ऊंचा भव्य प्रतिमाजी बिराजे छे.
प्रर्वत उपर जतां दसेक मिनिट लागे छे. तेनी पासेना ज एक बीजा डुंगरा उपर एक चौमुखी मंदिर छे–जे
घणुं शांत छे, ने तेमां चारे दिशामां छ फूटना त्रणत्रण भगवंतोनी त्रिपुटी अति मनोज्ञ ने उपशांत छे, आ
प्रतिमाओ ‘कसोटी’ नां छे. मंदिरनी कारीगीरी–कळा पण उत्तम छे. कारकल पछी हवे आवे छे आपणी
जात्रानुं बीजुं महानक्षेत्र मूळबीद्रि
मूळबिद्री (–माहवद प थी ८) अहींना अतिमहत्त्वनां आकर्षणोमां–एक तो रत्नमय जिनबिंबोनां दर्शन;
बीजु ताडपत्र उपर लखेलां सिद्धांतशास्त्रोः अने त्रीजु ‘त्रिभुवनतिलकचुडामणि’ मंदिर. जेम बिहारप्रांतमां
मुख्य तीर्थो–सम्मेदशीखर, राजगीरी अने पावापुरी तेम दक्षिण