Atmadharma magazine - Ank 182
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 14 of 23

background image
मागशरः २४८प ः १३ः
प्रांतना तीर्थोमां सौथी मुख्य बे तीर्थो–एक तो श्रवणबेलगोलना बाहुबलिभगवान; (जे हवे पछी
आवशे.) अने बीजुं आ मूळबिद्री लगभग २० जिनमंदिरो छे, अनेक मानस्तंभो तथा धर्मध्वजो
छे. मंदिरोमां बे मंदिरो अति प्रसिद्ध छे एक “त्रिभुवनतिलकचुडामणि”–जेने एक हजार थांभला
हता. करोडो रूपिआना खर्चे बंधायेला आ मंदिरमां अकृत्रिम चैत्यालयोनी माफक प्रेक्षागृह–
सभामंडप वगेरे छे तेमां पंचधातुना सात फूट ऊंचा अतिभव्य चंद्रप्रभुना प्रतिमाजी छे. त्रीजा
माळे स्फटिकना जिनप्रतिमाओनो दरबार छे. बीजा मुख्य मंदिरनुं नाम ‘सिद्धांतभवन’ अथवा तो
“गुरुवस्ती” छे. चांदी–सोनुं, हीरा–माणेक पन्ना–नीलम–स्फटिक –वैडुर्यरत्न–गरुडमणि वगेरे
विधविध रत्नोनां अति महिमावंत जिनबिंबो आ मंदिरमां बिराजे छे, जेनां अतिदूर्लभ दर्शन
करतां ज भक्तोना हृदयमां भक्ति ऊभराय छे अने नेत्रोमांथी आनंदरस झरवा लागे छे. आ
मंदिरमां मूळनायक पार्श्वनाथ भगवानना दसेक फूट ऊंचा भव्य प्रतिमा बिराजे छे. आ उपरांत
ताडपत्र उपर लखेला प्राचीन सिद्धांतशास्त्रो (षटखंडागम–धवल–महाधवल–जयधवल वगेरे) पण
आ मंदिरमां बिराजे छे. आ शास्त्रो कन्नडलिपि (भाषा संस्कृत–प्राकृत) मां लखायेलां छे.
मोक्षमार्गप्रकाशकमां पंडित टोडरमल्लजीए लख्युं छे केः “दक्षिणमां गोमट्टस्वामीनी पासे
मूलबिद्रीनगरमां श्री धवल–महाधवल–जयधवल ग्रंथो हाल छे पण ते दर्शनमात्र ज छे. “–आ रीते
टोडरमल्लजीसाहेबे जेनो उल्लेख करेल छे तेना साक्षात्दर्शन आपणने पू. गुरुदेवनी साथे थशे.
अहीं मात्र संक्षिप्त परिचय ज आपवानो होवाथी विशेष नथी लखतां. यात्रिको एक सूचना
ध्यानमां राखे के अहींना ऊंडा ऊंडा प्राचीन मंदिरोना दर्शन करवा जती वखते (दिवसे पण) बेटरी
के मीणबत्ती वगेरे साधन साथे लई जवां.
वेणुर तथा हळेबिडु (माह वद ९); वेणुरमां अनेक जिनमंदिरो छे, तथा एक सुंदर चोकमां
बाहुबलीभगवानना लगभग ३७ फुट ऊंचा भव्य प्रतिमाजी बिराजे छे. हळेबिडुमां पुराणा
जिनमंदिरो छे, तेमां कसोटी–पाषणना एक थांभलानी शिल्पकळा दर्शनीय छे. बे मंदिरोमां १४–१४
फूट ऊंचा कृष्ण पाषाणना अतिउपशांत पार्श्वनाथ अने शांतिनाथ भगवंतो बिराजे छे. पहेलां अहीं
७२० जिनमंदिरो हता; होटसलेश्वर मंदिरनी कारीगरी सर्वोतम गणाय छे.
हवे आवे छे–आपणी दक्षिणजात्राना सौथी अग्रगण्य श्री बाहुबलीभगवान.....क्यां?
श्रवणबेलगोलमां.
श्रवणबेलगोलः (माह वद ९ थी १२)ः आ श्रवणबेलगोल बे बाजु ईंद्रगीरी तथा चंद्रगीरी एवा बे
छे.
आ श्रवणबेलगोलने “जैनबिद्री” अथवा तो “दक्षिणनुं काशी” पण कहेवाय छे. ऐतिहासिक
द्रष्टिए पण अहींना प्रतिमाओ तथा शिलालेखो वगेरेने लीधे आ स्थान अति महत्वनुं छे. आपणे
समयसारमां श्री कुंदकुंदाचार्य देवना महिमा संबंधी छापेलां श्लोको (
वंधो विभुर्भुवि न केरिह
कौण्डकुंद......इत्यादि श्लोको) पण अहींना पर्वतो उपरना शिलालेखमांथी ज मळेला छे. आवा आ
अतिशय क्षेत्रमां ईंद्रगिरि (अर्थात् विंध्यगिरि, मोटी पहाडी) उपर श्री बाहुबली भगवानना प७ फुट
ऊंचा अति भव्य विश्वप्रसिद्ध प्रतिमा बिराजे छे. आ प्रतिमा ए दुनियानी नवमी आश्चर्यकारी वस्तुमां
गणाय छे, खरेखर नवमी नहि परंतु सौथी पहेली अने सौथी महान आश्चर्यकारी वस्तु आ छे.
आधुनिक दुनियामां एक ज पत्थरमांथी