ः १४ः आत्मधर्मः १८२
कोतरेला आवडा मोटा प्रतिमाजी बीजे क्यांय नथी. अहा! पर्वतना शिखरे अडोल ध्यानमां ऊभेला ए
बाहुबली भगवाननी मुद्रा उपर तरवरता परमवैराग्य.....शांति.....अडोल पुरुषार्थ महान धैर्य...
प्रसन्नता....आखा संसार प्रत्येनी उदासीनता अने आत्मिक आनंदनी तृप्तता.....वगेरे गंभीर भावोनो
ख्याल तो साक्षात् नयने नीहाळनारने ज आवे....अडोलपणे मोक्षने साधनार ए ध्यानस्थ वीर,
मुमुक्षुदर्शकोने मौनपणे पण मोक्षमार्गनो पावन संदेश संभळावी रह्यो छे. भारतना वडाप्रधान पं. नहेरु
अनेक विदेशी प्रवासीओ वगेरे पण आ प्रतिमाना दर्शनथी आश्चर्यमुग्ध बनी गया हता. आधुनिक विश्वमां
सौथी ऊंची एवी आ प्रतीमा पोते जाणे के आखा विश्वने जैनधर्मनो पवित्र संदेश संभळावी रही छे. (थोडुं
लख्युं घणुं करीने वांचजो...अने नजरे नीहाळजो)
आ ईंद्रगिरि पर्वत उपर बीजां पण केटलाक मंदिरो छे, अनेक खडगासन भगवंतो गणधर देवनां
नाजुक चरणकमळ, तेमज पर्वतनी विशाळ शिलाओमां जिनबिंबो अने शिलालेखो कोतरेला छे.
पर्वत बहु मनोहर छे, अने चडतां वीसेक मिनिट लागे छे; चढाण सहेलुं छे.
सामेना चंद्रगिरि पर्वत उपर अनेक जिनमंदिरो उपरांत अति महत्वना प्राचीन शिलालेखो
पर्वतमां ज कोतरेला छे. तथा भद्रबाहुस्वामीनी गूफा छे, तेमां तेओश्रीनां पवित्र चरणकमळ
स्थापित छे. पर्वत चडतां लगभग पंदर मिनिट लागे छे. आ उपरांत नीचे गाममां पण अनेक
जिनमंदिरो छे. केटलाक मंदिरोनी प्राचीन कारिगरी अद्भूत छे. पासे ज (लगभग एक माईल पर)
‘जिननाथपुर’ गाममां पण प्राचीन जिनमंदिरो छे, जेमां शांतिनाथ भगवाननुं कळामय मंदिर
दर्शनीय छे, बीजा मंदिरमां सप्तफणी पार्श्वनाथ प्रतिमा छे.
म्हैसुर (महा वद १२–१३) अहींनो वृंदावनबाग तथा रोशनी प्रसिद्ध छे. मलयागिरि चंदननी उत्पत्तिनुं आ
केन्द्र छे, तथा थोडे दूर कृष्णराजसागर नामनुं रमणीय–विशाळ सरोवर छे.
गोमटगिरिः अहीं एक नानी पहाडी उपर बिराजमान १प फूट ऊंचा चित्ताकर्षक बाहुबली भगवानना दर्शन
करीने पाछा म्हैसुर जवुं.
बेंगलोरः (माह वद १४ तथा अमास) अहीं एक विशाळ जिनमंदिर छे. बेंगलोरथी लगभग ३० माईल पर
कोलरनी सोनानी खाणो छे.
चित्तुरः (फागण सुद एकम)
तिरुमलेः (फागण सुद बीज) अहीं एक सुंदर पहाड उपर अनेक जिनमंदिरो छे, एक गूफा छे. जेमां मोटा
प्राचीन प्रतिमा बिराजमान छे; तथा श्री वृषभसेन गणधरना चरणपादुका पण छे. लगभग अडधी
कलाकनुं चढाण छे. पर्वत उपर नेमनाथ प्रभुनी अतिमनोहर १६ फुटनी प्रतिमा छे.
मद्रासः (फागण सुद २ थी ७) अहीं एक जिनमंदिर छे, तथा म्युझीयममां अनेक पुराणा जिन– प्रतिमा छे.
विशाळ दरियाकिनारो जोवा लायक छे.
पोन्नुरः (फागण सुद पांचम) ‘पोन्नुर’ नो अर्थ थाय छे– ‘सुवर्णनो पर्वत.’ अहीं कुंदकुंदाचार्य देवनी
तपोभूमि छे, अने पर्वत उपर एक सुंदर चंपावृक्षनी नीचे कुंदकुंदाचार्यदेवना चरणकमळ बिराजमान छे.
पर्वत उपर चडतां लगभग १प मिनिट लागे छे.
काजीवरम्ः (फागण सुद पांचम)ः स्वामी समन्तभद्राचार्यनी निवासभूमि छे. त्यांना दर्शन करीने पाछा मद्रास
आववुं.