Atmadharma magazine - Ank 182
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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मागशरः २४८पः १पः
मद्रास सुधीना यात्रिको अहींथी ता. १६–३–प९ फागण सुद सातमना रोज मुंबई तरफ पाछा फरशे; ने
ता. २१ मीए मुंबई पहोंची जशे. अने बाकीनो यात्रिक–संघ पू. गुरुदेव साथे आगळ जशे.
नेल्लोर, बेझवाडा (फागण सुद ७–८)ः
हैदराबाद (फागण सुद ९ थी ११) अहीं लगभग छ जिनमंदिरो छे.
कुलपाकक्षेत्र (फागण सुद १२) एक प्राचीन मंदिरमां लीला रंगना आदिनाथ भगवान बिराजे छे, जेने “
माणिकस्वामी” कहे छे.
सोलापुर (फागण सुद १२–१३–१४)ः पांच जिनमंदिरो छे.
उस्मानाबाद–कलिकुंड (फागण सुद १पः नगरथी बे त्रण माईल दूर धाराशिवनी गूफाओमां अनेक जिनबिंबो
छे.
कुंथलगिरि सिद्धक्षेत्र (फागण सुद १प थी फा. वद २)ः देशभूषण अने कूलभूषण मुनिवरो अहींथी मोक्ष पाम्या
छे. प्राकृतिक सौंदर्यथी सुशोभित नानकडा पर्वत उपर दस जिनमंदिरो छे, देशभूषण–कूलभूषण भगवंतोनी
चरणपादुका छे; एक मंदिरमां भोयरुं छे. पर्वतनुं चढांण सहेलुं छे.
औरंगाबाग (फा. वद ३–४) छ मंदिरो छे; एक विशाळ मंदिरमां भोयरूं छे, ने सेंकडो प्रतिमाओ छे. अहींथी
ईलोरानी गुफाओ (फा. व. ४) मूळ पर्वतने ज कोतरीने गूफा–मंदिरो बनावेला छे.....नं. ३० थी ३४
सुधीना जैन गूफा–मंदिरो छे...गूफा–मंदिरोनुं वातावरण अति गंभीर–उपाशांतरसथी भरेलुं छे,
मुनिओना निवासधाम जेवुं छे. एक साथे हजारो माणसो रही शके एटली विशाळ गूफाओ छे.
मंदिरना विशाळ प्रतिमाओ पण पर्वतमांथी ज कोतरी काढेला छे. “कैलास मंदिर” वगेरेनुं दश्य
अद्भूत–आश्चर्यकारी छे; पर्वतनी टोच उपर एक बहु विशाळ प्रतिमा (शत्रुंजयना अदबदनाथ
जेवा) पार्श्वप्रभु बिराजे छे.
अजन्तानी गूफाओ (फागण वद प) अहीं पण पर्वतमांथी कोतरी काढेली गूफाओ दर्शनीय छे. गूफा नं.
१३ मां जैनसंघनुं चित्र छे; गूफा नं. ३३ मां डाबा हाथ तरफ जैनमूर्ति कोतरेली छे.
जलगांव (फागण वद प–६)
मलकापुर (फागण वद ६–७)
बलदाणा–शेरपुर–अंतरीक्ष पार्श्वनाथः (फागण वद ९) शेरपुरमां धर्मशाळानी वच्चे एक मोटुं प्राचीन
मंदिर छे; तेमां घणा प्रतिमाओ छे; तेमांथी एक पार्श्वनाथ भगवाननी प्रतिमानो घणोखरो भाग
वेदीथी अधर रहेतो होवाथी ते ‘अंतरीक्ष पार्श्वनाथ’ तरीके प्रसिद्ध छे. तेना पूजनादि माटे श्वेतांबर
तथा दिगंबरना त्रण त्रण कलाकना वारा छे. आ उपरांत बीजुं एक प्राचीन दि. जिनमंदिर छे.
कारंजा (फागण वद १०) अहीं ३ जिनमंदिरो छे तेमज ब्रह्मचर्याश्रम छे; ब्रह्मचर्याश्रमना चैत्यालयमां
चांदी–सोनुं–स्फटिक–मुंगा–नीलमणी तथा गरुडमणीना प्रतिमाओ बिराजे छे.
एलिचपुर (फागण वद ११)