Atmadharma magazine - Ank 182
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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ः १६ः आत्मधर्मः १८२
मुक्तागिरि सिद्धक्षेत्र (फागण वद ११–१२) जंगल अने पर्वतमां आवेल आ क्षेत्रथी साडात्रण करोड
मुनिओ मोक्ष पधार्या छे. एक नानकडो पहाड छे. तेनी उपर गूफाओमां प्रतिमाओ छे.... लगभग
३० जेटला मनोज्ञमंदिरोथी पर्वत शोभी रह्यो छे. एक मंदिर ‘मेंढगिरि’ नामथी प्रसिद्ध छे; तेमां
शांतिनाथ प्रभुना दस फूटना प्रतिमा अति मनोहर छे....मंदिरनी पासे ज २०० फूटनी ऊंचाईएथी
पाणीनी धारा वरसे छे. आ क्षेत्रना नाम बाबत एवी कथा प्रचलित छे के अहीं मुनिए संभळावेला
नमस्कारमंत्रना प्रभावथी एक मेंढो देव थयेल, तेणे अहीं मुक्ता (मोती) नी वृष्टि करेल, तेथी आ
क्षेत्रनुं नाम मुक्तागिरि अथवा मेंढगीरी पडयुं.
अमरावती–भातकुली (फागण वद १३)ः अमरावतीमां अनेक जिनमंदिरो छे. एक प्राचीन मंदिरमां विधविध
रत्न प्रतिमाओ छे. भातकुलीमां त्रण विशाळ मंदिरो छे, ने विशाळ प्राचीन प्रतिमाओ छे. केटलाक
प्रतिमाओ चोथा काळना गणाय छे.
नागपुर (फागण वद १४ तथा अमास) अहीं अनेक जिनमंदिरो छे.
खेरागढराज (चैत्रसुद बीज) शहेरथी थोडे दूर रामटेक पर्वतनी तळेटीमां जंगल छे, तेमां दसेक
जिनमंदिरो छे. आजुबाजु बे मूर्तिओ सहित शांतिनाथ प्रभुनी १प फूट ऊंची प्रतिमा बहु ज सुंदर
छे. रामगिरिपर्वत उपर रामचंद्रजी वगेरेए देशभूषण–कुलभूषण मुनिराजनी भक्ति करी हती ने
अनेक मंदिरो बंधाव्या हता; ते रामटेक आ ज हशे एम अनुमान थाय छे.
सिवनी (चैत्रसुद त्रीज)ः अहीं बे जिनमंदिरो छेः एक उन्नत मंदिरमां १३ वेदी छे.
जबलपुर–मढियाजी (चैत्रसुद ४– प) जबलपुरमां ४६ जिनमंदिरो छे; छ माईल दूर नर्मदा नदीनो धोध छे.
तेनी नजीकमां “मढियाजी” नामनुं एक जैनमंदिर छे, तेमां अतिप्राचीन बे मेरु छे ने अनेक प्रतिमाओ छे.
दमोह (चैत्रसुद ६) अहीं पांच विशाळ मंदिरो छे.
कुंडलपुर (चैत्रसुद ७)ः अहीं कुंडल–आकारना पर्वत उपर तथा तळेटीमां कुल प९ मंदिरो छे. मुख्य
मंदिरमां महावीरभगवानना दसेक फूटना प्राचीन प्रतिमा बिराजे छे, जे पहाडमां ज कोतरेली छे.
सागर (चैत्रसुद ८–९–०)ः अहीं ३७ जिनमंदिरो छे; अने एक विशाळ सरोवर छे.
नैनांगिरि सिद्धक्षेत्र (चैत्रसुद ११)ः अहींथी श्री वरदत्तादि अनेक मुनिवरो मोक्ष पधार्या छे; पार्श्वप्रभुनुं
समवसरण अहीं आव्युं हतुं. रेशंदीगीरी पर्वत उपर २प जिनमंदिरो छे. पासे एक तळावनी वच्चे मंदिर छे;
गाममां ७ मंदिरो छे.
द्रोणगिरि सिद्धक्षेत्र (चैत्र सुद १२–१३–१४)ः अहींथी श्री गुरुदत्तादि मुनिवरो मोक्ष पाम्या छे. पर्वत उपर २६
मंदिरो अने ६० प्रतिमाओ छे; पासे एक गूफा छे, जे वरदत्तादि मुनिवरोनुं निर्वाणस्थान मनाय छे. श्री
महावीर प्रभुना जन्मकल्याणकनो दिवस आ द्रोणगीरीमां ऊजवाशे.
छत्तरपुर (चैत्र सुद १प)
खजराहा (चैत्र सुद १प) अहीं २प जेटला प्राचीन जिनमंदिरो छे. शांतिनाथ भगवानना विशाळ प्रतिमा
तेमज मंदिरोनी कारीगरी दर्शनीय छे.
टीकमगढ (चैत्र सुद १प) अहीं ७ जिनमंदिरो छे.