Atmadharma magazine - Ank 182
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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मागशरः २४८प ः १७ः
पपौराजी (चैत्र वद २) टीकमगढथी ३ माईल दूर आ रमणीय तीर्थ छे; अहीं ८० जिनमंदिरो छे.
अहार (चैत्र वद ३)ः अहीं एक सरोवरनी बाजुमां त्रण पर्वतो छे. तेना उपर अनेक प्राचीन जिनमंदिरो छे.
पाणाशाह नामना श्रावके एक मासोपवासी मुनिराजने अहीं आहारदान करेल तेथी आ क्षेत्रनुं नाम “
आहारक्षेत्र” पडयुं छे. आहारदाननो अतिशय थतां ते पाणाशाह श्रावके अहीं जिनमंदिरो बंधाव्या हता.
१८ फूट ऊंचा अति प्रशांत श्री शांतिनाथ भगवान खास दर्शनीय छे. प्राचीन मूर्तिओनुं संग्रहस्थान पण
अहीं छे. चक्रवर्ती तीर्थंकरत्रिपुटीना प्रतिमा पण अति मनोज्ञ छे.
ललितपुर (चैत्र वद ३–४)ः अहीं अनेक रमणीय जिनमंदिरो छे, दरेक मंदिरमां घणी वेदीओ छे, अने विशाळ
प्रतिमाओ छे.
देवगढ (चैत्र वद ४)ः पहाड उपर लगभग ४प जिनमंदिरो छे. शांतिनाथ प्रभुना विशाळ प्रतिमा दर्शनीय छे.
आ देवगढने उत्तरभारतनुं जैनबिद्री कहेवाय छे. पर्वतमां मुनिवरो वगेरेना भाववाही प्रतिमा छे; अहीं
जिनबिंबोनो एवडो मोटो मेळो छे, तेने माटे कहेवाय छे के चोखानी आखी गुणी भरी होय ने दरेक
जिनबिंबना चरणे एकेक चोखानो दाणो चडाव्यो होय तो पण ते चोखा खूटी जाय.
चंदेरी (चैत्र वद प) अहीं प्राचीन मंदिरो छे; एक मंदिरमां चोवीस तीर्थंकरोना रंग प्रमाणे ३–३
फूटना प्रतिमा अति भाववाही छे. अहींथी एक माईल दूर “खंदारगिरि” पर्वत छे तेमां मोटा
मोटा प्रतिमाओ कोतरेला छे. उपर गूफाओमां पण भाववाही जिनबिंबो कोतरेला छे. बूढी
चंदेरीमां अतिशय कलावंत प्राचीन प्रतिमाओ अने मंदिरो दर्शनीय छे.
थुबोनजी (चैत्र वद प) अहीं २प जेटला जिनमंदिरो छे; अहींना प्रतिमाओ सादी कारीगरीना छे. एक मंदिरमां
लगभग २प फूटना प्रतिमा आदिनाथ भगवानना छे; आ उपरांत “थोवनजी” मां १६ मंदिरो छे, तेमा
१०–१प फूटना अनेक खडगासन प्रतिमाओ छे.
शिवपुरी (चैत्र वद ६) अहीं मंदिर छे, तथा थोडे दूर छत्रीओ, बानगंगा वगेरे जोवा लायक छे.
बारां (चैत्र वद ६) एक जिनमंदिरमां मनोज्ञ प्रतिमाओ छे. अहींथी थोडे दूर जंगलमां एक देरीमां चरणपादूका
छे–जे कुंदकुंदाचार्यदेवना होवानुं मनाय छे.
चांदखेडी (चैत्र वद ७) अहीं भोयरामां प्राचीन मंदिर छे, जेमां सेंकडो प्रतिमाओ छे; प–७ फूटना अनेक
.
कोटा (चैत्रवद ८–९–१०) अहीं अनेक जिनमंदिरो छे.
चित्तोड (चैत्र वद ११) अहींनो पुराणो किल्लो, तथा दि. जैननो बंधायेलो ८० फूट ऊंचो कीर्तिस्तंभ वगेरे
दर्शनीय छे.......कीर्तिस्तंभमां जैन मूर्तिओ पण कोतरेली छे.
केसरीयाजी (चैत्र वद १२) नदीकिनारे प्राचीन मंदिरमां आदिनाथ प्रभुना प्रतिमा बिराजे छे. बीजा पण अनेक
प्रतिमाओ छे.
उदयपुर (चैत्रवद १२–१३–१४)ः अहीं आठ जिनमंदिरो छे.
फतेहपुर (चैत्रवद ०) वैशाख सुद १ तथा २)ः पू. गुरुदेवनी जन्मजयंतिनो ७०मो उत्सव अहीं ऊजवाशे.
जन्मोत्सव उजव्या बाद सांजे प्रस्थान करीने संघ ईडर आवशे.