(१) प्रश्न–बंध–मोक्षनो सिद्धांत शुं छे?
उत्तर–रागादिथी रक्त जीव बंधाय छे, ने वैराग्य–परिणत जीव मुकाय छे, आ बंध–मोक्षनो सिद्धांत
उत्तर–अमुक खास परिणाम बंधनुं कारण छे, बधा नहि.
(३) प्रश्न–कया परिणाम बंधनुं कारण छे?
उत्तर–जे परिणाम राग–द्वेष–मोहथी युक्त होय ते बंधनुं कारण छे?
(४) प्रश्न–सिद्ध भगवानने परिणाम होय?
उत्तर–हा; परिणाम बधा जीवोने होय छे.
(५) प्रश्न–सिद्ध भगवानने ‘परिणाम’ होवा छतां तेमने बंधन केम थतुं नथी?
उत्तर–केमके तेमना परिणाम रागद्वेष–मोहथी युक्त नथी, तेथी तेमने बंधन थतुं नथी.–
(६) प्रश्न–बंधन कोने थाय छे?
उत्तर–जे जीव रागपरिणत छे तेने ज बंधन थाय छे.
(७) प्रश्न–क्यो जीव मुक्त थाय छे?
उत्तर–वैराग्यपरिणत जीव मुक्त थाय छे, ते कर्मोथी बंधातो नथी.
(८) प्रश्न–आ उपरथी शुं सिद्धांत नककी थाय छे?
उत्तर–‘रागादि परिणत जीवज बंधाय छे, ने वैराग्यपरिणत जीव बंधाता नथी,’–आ उपरथी एम
बंधाय छे.
अपवाद बताववा माटे ‘विशिष्ट परिणाम’ने ज बंधनुं कारण कह्युं छे.
उत्तर–अहीं विशिष्ट परिणाम एटले राग–द्वेष–मोहथी संयुक्त परिणाम; ते ज बंधनुं कारण छे.
(११) प्रश्न–परिणाम केटला प्रकारना छे?
उत्तर–परिणाम बे प्रकारना छे : (१) स्वद्रव्य–प्रवृत्त अने (२) परद्रव्य–प्रवृत्त.
(१२) प्रश्न–परद्रव्यप्रवृत्त परिणाम केवा छे?
उत्तर–ते परिणाम परना आश्रये उपरक्त छे, अर्थात् रागद्वेषमोहथी रंगायेला मेलां छे, अने ते बंधनुं