उत्तर–ते परिणाम स्वभावने आश्रित निर्मळ छे, राग–द्वेष–मोहथी रंगायेला नथी; अने ते मोक्षनुं कारण
उत्तर–शुभ परिणाम पण परद्रव्यप्रवृत्त छे, पराश्रये थाय छे, ने रागथी रंगायेला मलिन छे, तेथी ते
उत्तर–स्वद्रव्याश्रित एवा निर्मळ परिणाम ते धर्म छे; अने परद्रव्याश्रित परिणाम–रागद्वेषमोहथी
उत्तर–स्वद्रव्याश्रित निर्मळ परिणाम करवा जेवा छे, अने परद्रव्याश्रित मलिन परिणाम छोडवा जेवा
उत्तर–स्वद्रव्यमां प्रवृत्ति ते मोक्षनुं कारण छे.
(२) प्रश्न–बंधनुं कारण शुं छे?
उत्तर–परद्रव्यमां प्रवृत्ति ते बंधनुं कारण छे.
(३) प्रश्न–जीवने स्वद्रव्यमां प्रवृत्ति क्यारे थाय?
उत्तर–ज्यारे स्व–परना विभागनुं ज्ञान करे त्यारे ज स्वद्रव्यमां प्रवृत्ति थाय छे.
(४) प्रश्न–जीवने परद्रव्यमां प्रवृत्तिनुं कारण शुं छे?
उत्तर–स्व–परना विभागनुं अज्ञान ते परद्रव्यमां प्रवृत्तिनुं कारण छे.
(५) प्रश्न–परद्रव्यप्रवृत्ति एटले शुं?
उत्तर–परद्रव्यने पोतानुं मानीने तेमां प्रवर्तवुं ते परद्रव्यप्रवृत्ति छे.
(६) प्रश्न–क्यो जीव परद्रव्यने पोतानुं माने छे?
उत्तर–स्व–परना भिन्न भिन्न स्वभावने जे जीव नथी जाणतो ते ज मोहथी शरीरादि परद्रव्यने पोतानुं