(८) प्रश्न–स्वद्रव्य शुं ने परद्रव्य शुं?
उत्तर–चेतना लक्षणवाळो पोतानो आत्मा ते एक ज आत्मानुं स्वद्रव्य छे, बाकीना बीजा जीवो के
उत्तर–हा; आत्मा कर्ता छे.
(१०) प्रश्न–आत्मा शेनो कर्ता छे?
उत्तर–पोताना भावने करतो थको आत्मा खरेखर पोताना भावनो ज कर्ता छे.
(११) प्रश्न–पुद्गलनो कर्ता आत्मा छे के नहि?
उत्तर–ना; पुद्गलमय कोईपण भावोनो (शरीर–मन–वाणी–कर्म वगेरेनो) आत्मा कर्ता नथी.
(१२) प्रश्न–आत्मा पोताना भावोने ज केम करे छे?
उत्तर–कारण के ते भाव तेनो स्व–धर्म होवाथी आत्माने ते–रूपे थवानी शक्तिनो संभव छे; तेथी
उत्तर–सम्यग्दर्शननो कर्ता जीव ज छे; केमके जीवमां ते–रूपे परिणमवानी शक्ति छे, तेथी जीव स्वतंत्रपणे
उत्तर–रागपरिणामनो कर्ता पण जीव ज छे, केमके जीवमां ते–रूपे परिणमवानी शक्तिनो संभव छे.
(१५) प्रश्न–आत्मा पुद्गलना भावोने केम करतो नथी?
उत्तर–कारण के तेओ परना धर्मो छे, आत्माना धर्मो नथी; तेथी आत्माने ते–रूपे थवानी शक्तिनो
उत्तर–केमके शरीरनी क्रिया ते पुद्गलनो धर्म छे, आत्मामां ते–रूपे थवानी शक्तिनो अभाव छे, तेथी
उत्तर–केमके वचन ते पुद्गलनो धर्म छे, आत्मामां वचनरूपे थवानी शक्तिनो असंभव छे, माटे तेनो
उत्तर–संतोए जड चेतनना भिन्न भिन्न स्वभावनी जाहेरात करी छे.
(१९) प्रश्न–आत्मा परद्रव्यना ग्रहण–त्याग करे छे के नहीं?
उत्तर–ना; आत्मा परद्रव्यना ग्रहण–त्याग विनानो छे; तेथी ज्ञानी के अज्ञानी कोई पण आत्मा
उत्तर–स्वद्रव्य अने परद्रव्य बंनेने भिन्न भिन्न जाणीने, परद्रव्यनुं जरा पण ग्रहण के त्याग मारा
आ स्वद्रव्यप्रवृत्ति ते धर्म छे.
ज्ञानने रागथी छूटुं करीने अंर्तस्वभाव तरफ वाळ.