Atmadharma magazine - Ank 183
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 9 of 25

background image
: ८ : आत्मधर्म : पोष : २४८५ :
त्यारबाद गुरुदेव सहित सर्वे यात्रिकोए उल्लासपूर्वक नीचेनुं पूजन कर्युं.
पावागढ वंदो, मन आनन्दो,
भवदुःख खंदो, चित्त धारी;
मुनि पांच जु कोडं, भवदुःख छोडं,
शिखमुख जोडं, सुख भारी।।
भक्ति–पूजन बाद, लव–कुश मुनिराजना चरणपादुका समीपे ५. बेनश्रीबेने थोडीवार भक्ति करावी.
धन्य लवकुश मुनि आतम हितमें छोड दिया परिवार....
–कि तुमने छोडा सब घरबार.
भक्ति पछी गुरुदेवे तीर्थना आसपासना वातावरणनुं अवलोकन कर्युं.... आ रीते गुरुदेव साथे आनंदपूर्वक
तीर्थयात्रा करीने उल्लासथी भक्तिगीत गातां गातां सौ नीचे आव्या....अने पहेलवहेला सिद्धक्षेत्रनी मंगलयात्रा पूरी थई....
पावागढ सिद्धक्षेत्रथी सिद्धि प्राप्त
सिद्ध भगवंतोने नमस्कार.
पावागढ सिद्धक्षेत्रनी यात्रा करावनार
गुरुदेवने नमस्कार.
पावागढमां पू. गुरुदेव बे दिवस रह्या, आ बे दिवसो दरमियान संघजमण वडोदराना भाईश्री तथा
सुरतना भाईश्री फावाभाई तरफथी थयुं हतुं.
पावागढथी पू. गुरुदेव दाहोद पधार्या. दाहोदना जैन समाजे उमळकाथी गुरुदेवनुं स्वागत कर्युं...लगभग
बे हजार लोको गुरुदेवना प्रवचननो लाभ लेता, तथा गुरुदेवने अभिनंदन पत्र अर्पण करवामां आव्युं हतुं.
दाहोदमां चार दिगंबर जिनमंदिरो छे, जिनमंदिरमां भक्तोनी अतिशय भीड वच्चे एक दिवस भक्ति थई हती;
तथा रात्रे तत्त्वचर्चा थती हती. आसपासना गामेथी पण अनेक माणसो लाभ लेवा आव्या हता. दाहोदमां बे
दिवस रहीने पोष सुद १२ ना रोज पू. गुरुदेव बडवानीजी सिद्धक्षेत्र (बावनगजा तीर्थ) पधार्या.
‘मंगलवर्द्धिनी’ अने ‘तीर्थगामिनी’ बंने मोटरो साथे साथे ज हती; वच्चे मछवाद्वारा नर्मदा पार करतां
भक्तोने आनंद थयो. लगभग ११ वागतां पहाडी अने वन–जंगल वटावीने पर्वत उपरनी धर्मशाळामां
पधार्या.... अने जिनमंदिरोना दर्शन करीने भोजन कर्युं. सिद्धक्षेत्रना उपशांत वातावरणमां गुरुदेवने आहारदान
करतां भक्तोने घणो हर्ष थयो. त्यारबाद लगभग १ वागे पू. गुरुदेव थोडाक भक्तजनो सहित बावनगजा–
आदिनाथ प्रभुनी जात्राए पधार्या....आनंदपूर्वक भगवानना दर्शन करीने, प्रभुचरण समीप सौ बेठा ने अर्घ
चडावीने पूजन कर्युं. त्यारबाद पू. बेनश्रीबेने भक्ति करावी.... आ रीते तीर्थना अति शांत वातावरणमां
गुरुदेव साथे फरीने आ तीर्थनी यात्रा थतां भक्तोने घणी प्रसन्नता थई. यात्रा बाद मानस्तंभ चोकना अनेक
जिनमंदिरोना भक्तिपूर्वक दर्शन कर्या, तेमज चूलगिरि सिद्धक्षेत्रने अर्घ चडाव्यो. आ रीते गुरुदेव साथे बीजा
सिद्धक्षेत्रनी यात्रा आनंदपूर्वक पूर्ण थई. सांजे पांच वागे बडवानीथी प्रस्थान करीने शिवपुरी आव्या. अने
त्यांथी सुद तेरसनी सवारमां नाशीक तरफ प्रस्थान कर्युं. नाशीक जतां रस्तामां मांगीतुंगी सिद्धक्षेत्रना पण अति
नीकटथी दर्शन थता हता....आ रीते गुरुदेव साथे रोजरोज नवा नवा सिद्धक्षेत्रना दर्शनथी घणो हर्ष थतो
हतो....नाशीकमां गजपंथा सिद्धिधामना दर्शन थया....तेनी तळेटीमां जईने जिनमंदिरना तेमज मानस्तंभादिना
दर्शन कर्या.... गजपंथा सिद्धक्षेत्रने पण अर्घ चडाव्यो....आ रीते सोनगढथी नीकळ्‌या पछी सात दिवसमां चार
सिद्धक्षेत्रनां दर्शन थया. नाशीक शहेरमां एक दिगंबर जिनमंदिर छे, तेना पण दर्शन कर्या.
पोष सुद १४ ना रोज नाशीकथी भीमंडी शहेर पधार्या. पोताना आंगणे पू. गुरुदेव पधारतां शेठ श्री
मगनलालभाईने घणो हर्ष थयो, अने उल्लासपूर्वक स्वागत कर्युं.... तथा संघजमण कर्युं.... मंगल प्रवचन अने
भोजनादि बाद गुरुदेवे त्यांथी प्रस्थान कर्युं.... वच्चे मुम्रा (MUMRA) मां प्रतिष्ठित थनार बाहुबली
भगवानना लगभग ३० फूटना भव्य प्रतिमाजीनुं अवलोकन कर्युं.... तेमज शेठ श्री भाईचंद रूपचंदने त्यां
(मीलमां) थोडीवार रोकाईने मांगळिक संभळाव्युं.... त्यारबाद पू. गुरुदेव घाटकोपर पधार्या; वच्चे आवतां
अनेक परामां तेमज घाटकोपरमां भक्तमंडळे गुरुदेवनुं स्वागत कर्युं. पोष सुद पूर्णिमाए पू. गुरुदेव शिव
(Sion) पधार्या.... भक्तमंडळे उल्लासपूर्वक स्वागत कर्युं. भाई श्री सुमनभाई दोशीने त्यां भोजनादि