Atmadharma magazine - Ank 184
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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महाः २४८प ः ६ अः
सुधी लाववामां आव्या तेनी फिल्म देखाडवामां आवी हती. बीजे दिवसे सवारमां पर्वत उपरनी यात्रा करी
हती. यात्रामां गुरुदेवे भक्ति गवडावी हती. बपोरे प्रवचन बाद विद्यार्थीओनो कार्यक्रम हतो, रात्रे तत्त्वचर्चा
हती. अहींनो दोढ दिवसनो कार्यक्रम घणो सरस हतो; शांत वातावरणमां बधा यात्रिकोने प्रसन्नता थती हती.
बाहुबलीक्षेत्रथी ता. २१ना रोज सवारमां नीकळीने कोल्हापुर आव्या. कोल्हापुरमां त्रणचार मोटा जिनमंदिरो
छे. अहीं गुरुदेवनुं स्वागत थयुं हतुं.
बाहुबलीमां गुरुदेवनुं प्रवचन सांभळवा तथा दर्शन करवा आसपासना गामोथी अनेक माणसो आव्या
हता. ब्र. जिनदासजीए टुंका भाषणद्वारा गुरुदेवद्वारा थई रहेली प्रभावनानी घणी सराहना करी हती, अने
यात्रानी सफळता चाही हती.
ब्र. माणेकचंद्रजी (के जेओ बाहुबलि–ब्रह्मचर्याश्रम संस्थाना एक खास कार्यकर छे.)–तेमणे
विदायप्रवचन आपतां कह्युं हतुं केः ईतने बडे संघके साथ यात्राके प्रसंगमे हमारे स्थानमें स्वामीजी का दर्शन
होना यह एक बडे भाग्यकी बात है. ईसमें कोई शक नहीं कि पू. स्वामीजीका यहां आना यह ईस संस्थाका
ऐतिहासिक प्रसंग गीना जायगा, हमारी संस्थाके ईतिहासमें यह प्रसंग अविस्मरणीय बना रहेगा, ईतना हि
नहीं बल्कि संस्थाके ईतिहासमें ईसका बहुत उच्च स्थान रहेगा.
स्वामीजी जैन धर्मकी बडी प्रभावना कर रहै है, स्वामीजीका जो प्रभाव हो रहा है ईससे यह बात
निश्चित समजी जायगी कि आपके द्वारा अब ईस प्रातमें भी जैनधर्मकी अच्छी प्रभावना होगी. हमारे यहां डेढ
दिन कैसे बीत गये यह भी हमें मालुम न पडा.....हमारी भावना थी कि संघ यहां और भी एक दिन
ठहरे....हम यात्रासंघकी सफलताकी कामना करते है.
बाहुबलीक्षेत्रना दोढ दिवसना कार्यक्रममां बधा यात्रिकोने आनंद थयो हतो.
कोल्हापुर–ता. २१ ना रोज संघ बाहुबलीथी कोल्हापुर आव्यो हतो, गुरुदेवनुं स्वागत थयुं हतुं; जेमां
प्रोफेसर ए. एन. उपाध्ये वगेरे पण साथे हता. स्वागत बाद नगरपालिका होलमां मंगल प्रवचन थयुं हतुं.
अहीं तेमज कराड वगेरेमां संघना भोजनादिनी व्यवस्था शेठ लक्ष्मीचंद भाई तरफथी करवामां आवी हती.
बपोरे गुरुदेवना प्रवचनमां हजारो माणसोए लाभ लीधो हतो. प्रवचन बाद प्रोफेसर
A. N. Upadhye
ए स्वागत प्रवचन करतां कह्युं हतुं के–आज हमारा बडा सौभाग्य है और कोल्हापुर नगरके सभी लोगोंका
सौभाग्य है कि कानजीस्वामी महाराज यहां पधारे है; हम सबकी ओरसे–जो यहां उपस्थित है उन सबकी
अनुमतीसे, एवं जो उपस्थित नहीं है उनकी भी अनुमती ही समझ करके कोल्हापुर नगरकी सभी जनताकी
ओरसे, मैं आपका व संघका स्वागत करता हुं. आप (पू. श्री कानजीस्वामी) सौराष्ट्र के होते हुए भी, उनकी
वाणीका प्रभाव सारे भारतमें फैल रहा है, और आत्मज्ञानमें रस लेनेवाले लोगोंके लिये उनकी वाणी बडी
उपयोगीं है. वर्तमानमें जब सारे संसारमें अशांतिका वातावरण फैल रहा है तब, संसारसे हम कैसे मुक्ति पावे
ईसकी कुंजी हमें ऐसे महान प्रभावशाळी महात्माओंसे ही मिल सकती है. मैं फिरसे आपका स्वागत करतां हूं
और आपके संघकी यात्रामें सफलता चाहता हूं.
कोल्हापुरमां अनेक प्राचीन जिनमंदिरो छे, जेमां रत्नत्रय भगवंतो वगेरे बिराजमान छे. केटलाक
प्राचीन वैभवशाळी मंदिरो आजे भग्नावशेष जेवी स्थितिमां छे. कोल्हापुरमां रात्रिचर्चामां सेंकडो माणसोए
लाभ लीधो हतो.
स्तवनिधि थईने बेलगांव
पू. गुरुदेव यात्रासंघ सहित कोल्हापुरथी ता. २२ना रोज, वच्चे स्तवनिधिक्षेत्रे बिराजमान पार्श्वनाथादि
भगवंतोना दर्शन करीने, बेलगांव पधार्या हता, त्यां गुरुदेवनुं स्वागत थयुं हतुं. बेलगांव–किल्लाना प्राचीन
जिनमंदिरमां, श्री नेमिचंद्र सिद्धांतचक्रवर्तीना मंगलहस्ते प्रतिष्ठित श्री नेमिनाथ भगवाननी अति उपशांत
मुद्राधारी भव्य प्रतिमाना दर्शन करीने गुरुदेवने घणी प्रसन्नता थई हती. कहे छे के अहीं किल्लामां पहेलां १०प
जेटला जिनमंदिरो हतां, अने अहींना राजाए नेमिचंद्रस्वामी पासे दीक्षा लीधी हती.