Atmadharma magazine - Ank 184
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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श्री जैन विद्यार्थीगृह–सोनगढ (सौराष्ट्र)
विद्यार्थीओ माटे अभ्यासनी
सुंदर सगवड
जैन विधार्थीओ के जेओनी उमर १० वर्ष अने तेथी वधु
होय अने जेओ गुजराती धोरण प अने तेथी उपरना गुजराती
के अंग्रेजी धोरणमां अभ्यास करता होय तेओने उपरोक्त
बोर्डींगमां दाखल करवामां आवे छे.
अहीं सोनगढमां एस. एस. सी. (मेट्रीक) सुधीना
अभ्यास माटे हाईस्कूल छे.
संस्थामां मासिक भोजननुं लवाजम पूरी फीना रूां २प
लेवामां आवे छे. लायक गरीब विद्यार्थीओनी पासेथी भोजननुं
लवाजम मासिक रूा. १प लेवामां आवे छे.
संस्थामां रहेता विद्यार्थीओने दररोज नियमित फरजीयात
श्री सनातन दिगंबर जैन दर्शननो धार्मिक अभ्यास कराववामां
आवे छे उपरांत रजाना दिवसोमां पूज्य ‘कानजीस्वामी’ जेवा
अद्वितीय अध्यात्मज्ञानीनां तत्त्वपूर्ण व्याख्यान–श्रवणनो पण
अपूर्व अलभ्य लाभ मळे छे. आम अहीं व्यवहारी केवळणी
उपरांत धार्मिक शिक्षणनी सगवड होई तथा पूज्य
सद्गुरुदेवश्रीनी पवित्र शीतळ छायामां सत्समागममां रहेवानुं
होई विद्यार्थीओने सुसंस्कार मेळववानी सुंदर तक छे.
अहींनी आबोहवा सूकी, खुशनुमा तथा आरोग्यप्रद छे.
वातावरण शांत तथा पवित्र छे.
संस्थामां रहेता विद्यार्थीओने सारो, सादो, सात्त्विक
खोराक आपवामां आवे छे.
विद्यार्थीओने रहेवा माटे सुंदर, विशाळ, पूरती हवा
उजासवाळुं मकान छे.
आगामी वर्षे अमुक निश्चित संख्यामां ज विद्यार्थीओने
अहीं दाखल करवाना छे.
आथी जे विद्यार्थीओने अत्रे आ संस्थामां अभ्यास अर्थे
दाखल थवा ईच्छा होय तेमणे उपरना सरनामे रूा ०–१प न. पै.
नी पोष्टनी टीकीटो मोकली संस्थानुं प्रवेशपत्र तथा धाराधोरण
अने नियमो ता. २०–४–प९ सुधीमां मंगावी ते भरी तां. १प–
प–प९ सुधीमां परत मोकली आपवां.
ते पछी आवेलां प्रवेशपत्रो स्वीकारवामां आवशे नहि.
ली. मोहनलाल काळदास जसाणी
मोहनलाल वाघजी महेता
(करांचीवाळा)
मंत्रीओ–श्री जैन विद्यार्थीगृह, सोनगढ
(सौराष्ट्र)