Atmadharma magazine - Ank 185
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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आत्मधर्म
वर्ष सोळमुं संपादक फागण
अंक प मो रामजी माणेकचंद दोशी २४८प
दक्षिणादि महान तीर्थोना
यात्रा समाचार
परमप्रभावी गुरुदेवश्री कानजीस्वामी ६प०
जेटला यात्रिकोना विशाळ संघ सहित दक्षिणना
तीर्थधामोनी यात्रा अर्थे विचरी रह्या छे.....आ
तीर्थयात्राना मुंबईथी हुबली सुधीना संक्षिप्त
समाचार ‘आत्मधर्म’ ना गंताकमां आपी गया
छीए....त्यार पछी आगळना समाचारो तथा
मुंबईना भव्य प्रतिष्ठामहोत्सवना केटलांक द्रष्यो
अहीं आपवामां आवे छे.
–ब्र. हरिलाल जैन
हुबली शहेर–महा सुद १प ना रोज पू. गुरुदेव हुबली शहेरमां पधारतां भव्य स्वागत थयुं.....बपोरना
प्रवचन बाद जैन समाज तरफथी त्यांना खास कार्यकर श्री शांतिलाल ईगडे–ए कानडीमां भाषण करतां
गुरुदेवनुं स्वागत अने अभिनंदन कर्युं हतुं. तेमज गुरुदेवना प्रवचननो सार कानडी भाषामां समजाव्यो हतो.
अने संघना आतिथ्यसत्कार निमित्ते रूा. प०१) यात्रासंघने अर्पण करवानुं जाहेर कर्युं हतुं (परंतु संघे ए रकम
स्वीकारी न हती.) गुरुदेव हुबली शहेरमां पधार्या अने आवुं सरस आध्यात्मिक ज्ञान आप्युं–ते माटे जैन
समाजे आभार मानीने गुरुदेवने अभिनंदन आप्या हता.
जोगफोल्स–महा वद एकमना रोज हुबलीथी प्रस्थान करीने वच्चे सुंदर रमणीय झाडीओ–पर्वतो–खीणो
अने झरणांओनो रस्तो ओळंगीने जोगफोल्स (गेरसप्पाना धोध ) पहोंच्या. धोधना कुदरती द्रश्योनुं
अवलोकन कर्युं. तेमज ईलेकट्रीक ट्रेईन लगभग एक हजार फूट नीचे ऊतरीने, पाणीना बळे ईलेकट्रीक उत्पन्न
थाय छे ते स्थान जोयुं. रात्रे संघ सागर पहोंची गयो.
हुमच–महा वद बीजना रोज जोगफोल्सथी सागर थईने पू. गुरुदेव हूमच पधार्या....ने स्वागत थयुं
अहीं पांचेक जिनमंदिरो छे....सरोवरना किनारे पंचवसती मंदिर मोटुं छे, तेमां पांच वेदीमां प्राचीन विशाळ
जिनप्रतिमाओ बिराजे छे. मंदिरनुं वातावरण खूब शांत छे, ने ते मुनिवरोनी शांतिनी झांखी करावे छे. आ
मंदिरना प्राचीन प्रतिमाओना दर्शनथी गुरुदेव प्रसन्न थया अने कह्युं जुओ, आ हजारो वर्ष जूना प्रतिमा!–
ए दिगंबर जैन धर्मनी प्राचीनता सिद्ध करे छे. आ उपरांत मंदिरमां जैन धर्म संबंधी हजार वर्ष उपरांतना
प्राचीन शिलालेखो पण छे. आ उपरांत बीजा मंदिरोना पण दर्शन कर्या हता.