Atmadharma magazine - Ank 185
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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ः ६ः आत्मधर्मः १८प
मुंबई शहेरनी प्रवचन सभानुं एक द्रश्य
मुंबई शहेरमां पू. गुरुदेवना प्रवचन
वखते पंदर–पंदर हजार माणसोथी भव्य–
प्रवचनसभा खूब ज शोभती हती...नगरना
अनेक प्रतिष्ठित माणसो पण प्रवचनमां
आवता. सर शेठ भागचंदजी साहेब सोनी,
भैया साहेब श्री राजकुमारसिंहजी शाहु
शांतिप्रसादजी शेठ, शेठ वछराजजी गंगवाल,
शेठ बालचंद हीराचंद वगेरे अनेक प्रतिष्ठित
सज्जनो उपरांत मुंबईना स्वराजखाताना
प्रधान श्री माणेकलाल शाह वगेरे पण
प्रवचनमां आवता हता. उपरना चित्रमां
प्रधानश्री माणेकलालभाई, प्रमुखश्री
रामजीभाई वगेरे नजरे पडे छे.
मूळबिद्रीमां रत्नप्रतिमा दर्शन
(माह वद चोथ)
आ रत्नमय जिनेश्वरोना धाममां आवतां भक्तोने आनंद थयो. सवारमां भक्तो सहित गाजतेवाजते
गुरुदेवे अहींना जिनमंदिरोना दर्शन कर्याः अहींनु एक हजार थांभलावाळुं प्रसिद्ध त्रिभुवनतिलकचुडामणि
जिनमंदिर अतिभव्य अने प्राचीन छे. नीचे चंद्रप्रभु भगवानना दसेक फूटना धातुना भव्य प्रतिमा छे, ने उपर
स्फटिक वगेरेना जिनबिंबोनो दरबार छे. आ उपरांत अहीं बीजा अनेक जिनमंदिरो छे; त्यां दर्शन–पूजन कर्या.
बपोरे सिद्धांतवसती–जिनमंदिरमां रत्नमय जिनबिंबोना दर्शन माटे गुरुदेव तेमज यात्रिको
आव्या....शरूआतमां जिनवाणीमाता (ताडपात्र उपरना प्राचीन धवल–महाधवल सिद्धांतशास्त्रो) नां दर्शन
कराव्या...अने त्यारबाद अनुक्रमे ३प विविध प्रकारना रत्नमणीना महाकिंमती जिनबिंबोना दर्शन कराव्या....ने
छेल्ले एक साथे आखो जिनेन्द्र दरबार (–समवसरण दरबार) बताव्यो...गुरुदेव साथे आ जिनबिंबोना दर्शन
थी भक्तोने घणो ज हर्ष थयो हतो...गुरुदेव पण आ जिनबिंबोना दर्शनथी खूब ज प्रसन्न थया हता, ने फरीने
बीजी वार पण दर्शन करवा बेठा हता....२४ भगवंतोनुं पूजन तेमज भक्ति थया हता....गुरुदेव साथे रत्नमय
जिनबिंबोना दर्शनथी आनंदित थईने पू. बेनश्रीबेने “वाह वा जी वाह वा” वाळी भक्ति करावी हती.
कारकल
मूळबिद्रीमां संघ ३ दिवस रह्यो हतो....ते दरमीयान माह वद सातमना रोज मूळबिद्रीथी कारकलमां
दर्शन करवा गया हता. अहीं एक नानकडी पहाडी उपर ४० फूटना बाहुबली प्रभुना प्रतिमा छे, त्यां पूजन–
भक्ति कर्यां हता. ते उपरांत बीजा अनेक जिनमंदिरो, मानस्तंभ वगेरेना दर्शन कर्या हता; अने भूजबली
ब्रह्मचर्याश्रममां गुरुदेवनुं मंगलप्रवचन तथा स्वागतसमारोह थयो हतो. त्यांथी पाछा मूळबिद्री आव्या हता.
रात्रे त्रिभुवनतिलकचुडामणि–मंदिरमां भक्ति थई हती, ते वखते हजारो दीपकोनी कळामय रचना वच्चे श्री
चंद्रप्रभु भगवाननो देखाव अद्भुत हतो, ते देखीने सर्वे भक्तोने घणो आनंद थयो हतो.
वेणुर अने हळेबीड
माह वद आठमना रोज मूळबिद्रीथी प्रस्थान करीने दस माईल दूर वेणुरमां स्थित ३प फूटना बाहुबली