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अनेक प्रतिष्ठित माणसो पण प्रवचनमां
आवता. सर शेठ भागचंदजी साहेब सोनी,
शांतिप्रसादजी शेठ, शेठ वछराजजी गंगवाल,
शेठ बालचंद हीराचंद वगेरे अनेक प्रतिष्ठित
प्रधान श्री माणेकलाल शाह वगेरे पण
प्रवचनमां आवता हता. उपरना चित्रमां
जिनमंदिर अतिभव्य अने प्राचीन छे. नीचे चंद्रप्रभु भगवानना दसेक फूटना धातुना भव्य प्रतिमा छे, ने उपर
स्फटिक वगेरेना जिनबिंबोनो दरबार छे. आ उपरांत अहीं बीजा अनेक जिनमंदिरो छे; त्यां दर्शन–पूजन कर्या.
छेल्ले एक साथे आखो जिनेन्द्र दरबार (–समवसरण दरबार) बताव्यो...गुरुदेव साथे आ जिनबिंबोना दर्शन
थी भक्तोने घणो ज हर्ष थयो हतो...गुरुदेव पण आ जिनबिंबोना दर्शनथी खूब ज प्रसन्न थया हता, ने फरीने
जिनबिंबोना दर्शनथी आनंदित थईने पू. बेनश्रीबेने “वाह वा जी वाह वा” वाळी भक्ति करावी हती.
मूळबिद्रीमां संघ ३ दिवस रह्यो हतो....ते दरमीयान माह वद सातमना रोज मूळबिद्रीथी कारकलमां
भक्ति कर्यां हता. ते उपरांत बीजा अनेक जिनमंदिरो, मानस्तंभ वगेरेना दर्शन कर्या हता; अने भूजबली
ब्रह्मचर्याश्रममां गुरुदेवनुं मंगलप्रवचन तथा स्वागतसमारोह थयो हतो. त्यांथी पाछा मूळबिद्री आव्या हता.
चंद्रप्रभु भगवाननो देखाव अद्भुत हतो, ते देखीने सर्वे भक्तोने घणो आनंद थयो हतो.
माह वद आठमना रोज मूळबिद्रीथी प्रस्थान करीने दस माईल दूर वेणुरमां स्थित ३प फूटना बाहुबली