Atmadharma magazine - Ank 186
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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भारत–अभिनंदनीय गुरुदेवने अभिनंदन
हे शासनप्रभावी संत! आपश्रीना धन्य अवतारना आ ७०मा
जन्मोत्सव प्रसंगे आत्मिक उमंगनी लागणीपूर्वक आपश्रीनुं अभिनंदन
करीए छीए. आपश्रीनो मंगल जन्म भारतभरना जिज्ञासु जीवोने
आत्महित माटेनी जागृतिनुं कारण बन्यो छे.....आ वर्षनो आपश्रीनो
जन्मोत्सव तीर्थयात्रा करतां करतां वच्चे ऊजवाई रह्यो छे....तीर्थस्वरूप जे
रत्नत्रयमार्ग, तेना आप प्रवासी छो.....भारतना अनेक तीर्थधामोनी यात्रा
दरमियान रत्नत्रयरूप तीर्थनी आपे घणी मोटी प्रभावना करी छे; भारतना
लाखो लोकोए हर्ष अने भक्तिपूर्वक आपश्रीनां दर्शन करीने आपने
अभिनंद्या छे.....भारतना खूणे खूणेथी हजारो–लाखो लोकोए अभिनंदन
आपीने आपश्रीने ‘भारत–अभिनंदनीय’ बनाव्या छे.....आ
जन्मोत्सवना मंगल प्रसंगे अमे तेमां भक्तिपूर्वक सूर पूरीने आपश्रीनुं
अभिनंदन करीए छीए.
तीर्थस्वरूप हे मंगलमूर्ति गुरुदेव!
जे रीते भारतभरना तीर्थधामोनी अति उल्लासभरी यात्रा करीने
आपे अमने आनंदित बनाव्या, तेम रत्नत्रयात्मक तीर्थधामनी यात्रा करीने
आप अमने अतीन्द्रिय आनंदरूप बनावो... अने आपश्रीनी साथे साथे
साक्षात् सिद्धिधामनी यात्रा करावो.
आ मंगल तीर्थयात्रा महोत्सवनी स्मृतिमां, रत्नत्रय तीर्थनी प्राप्तिनी
भावनापूर्वक आपश्रीना मंगल जन्मोत्सव प्रसंगे आ अंक आपने समर्पण
करीने, फरीफरीने आपश्रीने अभिनंदन करीए छीए.
..... बाल यात्रिक हरि.