ध्यानमुद्राना दर्शन करतां आपश्रीनी परम आत्मसाधना
अमारा हृदयमां कोतराई गई छे.....कहानगुरुदेव साथे थयेली
आपश्रीनी आ महा ‘मंगलवर्द्धिनी’ यात्रा सर्वे यात्रिकोना
जीवनमां आत्महितनी प्रेरणानुं एक अमरझरणुं बनी
जशे....अने फरी फरीने–जीवननी प्रति क्षणे–आपनी पावन
ध्यानमुद्राना स्मरण मात्रथी पण यात्रानुं ए अमर झरणुं
अमने शांति आपीने संसारना तापथी बचावशे.....ने आपना
जेवुं मोक्षसुख पमाडशे.