Atmadharma magazine - Ank 186
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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ः ४ः आत्मधर्मः १८६
लगभग ४१ फूटना बाहुबली भगवान अने अनेक जिनमंदिरोनां दर्शन कर्या......वेणुरमां लगभग ३प फूटना
बाहुबली भगवानना दर्शन कर्या...हळेबिडमां उत्तम कारीगरीवाळा प्राचीन मंदिरो अने १प–२० फूट ऊंचा अति
भव्य भगवंतोना दर्शन कर्या.....हासनमां होंसभर्युं स्वागत थयुं....महा वद नोमे पू. गुरुदेव श्रवणबेलगोल
पधार्या....अने संघसहित अति उल्लासपूर्वक बाहुबली भगवाननी यात्रा करी....खूब ज भावथी पूजन–भक्ति
कर्या. प७ फूट ऊंचा अति मनोज्ञ वीतरागी उपशांत आत्मध्यानी बाहुबलीनाथने नीहाळतां ज संतोनी
परिणतिमांथी जाणे के रणकार ऊठता हता के–
मने लागे संसार असार.....
आरे....संसारमां नहीं जाउं...नहीं जाउं....नहीं जाउं रे
मने ज्ञायकभावनो प्यार.....
ए रे....ज्ञायकमां हुं लीन थाउं.....लीन थाउं.....
लीन थाउं रे.........
मने सिद्धस्वरूपनो प्यार...
ए रे सिद्धपदमां नमी जाउं...नमी जाउं....
नमी जाउं.......रे.........
आवा उत्कृष्ट भावे फरीफरीने बाहुबली भगवानना दर्शन कर्या...बीजी पहाडी चंद्रगीरी उपर अनेक
जिनालयोना, कुंदकुंदप्रभु वगेरे संबंधी अनेक शिलालेखोना, भद्रबाहुस्वामीनी गूफाना दर्शन कर्या...गामनी
जनताए गुरुदेवनुं खूब ज स्वागत कर्युं...त्यारबाद मैसुर शहेरमां चार हाथी सहित भव्य स्वागत
थयुं....श्रीरंगपट्टममां २४ भगवंतो अने गोमटगीरीमां बाहुबली भगवान देख्या... वृंदावन गार्डन वगेरेनी शोभा
जोई....पछी बेंगलोर थईने मद्रास आवतां वच्चे पुंडी गाममां प्राचीन प्रभुनां दर्शन गुरुदेवे कर्या....फागण सुद
एकमना रोज मद्रासमां गुरुदेवनुं भव्य स्वागत थयुं...फागण सुद पांचमना रोज पोन्नुरनी पहाडी उपर
कुंदकुंदप्रभुनी पवित्र तपोभूमिनी खूबज उल्लासभरी यात्रा थई...७०० उपरांत भक्तो सहित अति भक्तिपूर्वक
कहानगुरुदेव कुंदप्रभुना चरणोने चंपावृक्ष नीचे खूब ज शांतिथी भेटया...ने नीरखी नीरखीने भावपूर्वक ए पावन
धाम नीहाळ्‌युं.....
अहीं जात्रानो एक मुख्य हप्तो पूरो थयो...अने लगभग ४०० यात्रिको मुंबई तरफ पाछाफर्या...बाकीना
२प० जेटला यात्रिको सहित अकलंकवसती वगेरेनां दर्शन करीने गुरुदेव मद्रास पधार्या....
अहीं सुधीनी विगत“आत्मधर्म” मां आवी गई छे...हवे त्यार पछीना यात्राधामोमां आपणे आगण वधीए.
बेझवाडा–हैदराबाद
फागण सुद छठ्ठ (ता १प मार्च) ना रोज मद्रासथी नेल्लुर थईने बेझवाडा आव्या...फागण सुद सातमे
गुरुदेव बेझवाडा पधारतां गुजराती समाजे स्वागत कर्युं....यात्रिको फा. सुद आठमे हैदराबाद आवी गया...ने बे
दिवसथी भगवानना विरहमां पडेला भक्तो रीक्षामां बेसी बेसीने भगवानने भेटवा माटे आनंदपूर्वक दोडया.
भगवाननां दर्शन करवा माटे भक्तोनुं हृदय केवुं तलसे छे ते अहीं देखाई आवतुं हतुं. भक्तोए होंसे होंसे
प्रभुजीनां दर्शन कर्या...ने रात्रे पू. बेनश्रीबेने (अष्टाह्निका निमित्ते तेमज यात्रा उत्सव निमित्ते) भावभीनी
नवीनवी भक्ति गवडावी हती. फा. सु. ९ ना रोज गुरुदेव हैदराबाद पधारतां भक्तोए स्वागत कर्युं गुरुदेव
साथे अहींना ४ दि. जिनमंदिरोनां दर्शन कर्यां, तेमां सेंकडो प्राचीन प्रतिमाओ बिराजे छे. आ उपरांत अहींना
विशाळ म्युझीयममां श्रीपार्श्वनाथ अने महावीर भगवंतोना (२४ भगवंतो सहित) अति मनोज्ञप्रतिमा
जोया...
सोलापुरमां फागण सुद ११
हैदराबादथी प्रस्थान करीने संघ साजे सोलापुर आवी गयो.....रात्रे राजुलदेवी श्राविकश्रमना जिनालयमां
पू. बेनश्री बेने भक्ति करावी...फा. सु. १२ ना रोज गुरुदेव सोलापुर पधारतां जैन समाजे उत्साहपूर्वक स्वागत
कर्युं....श्राविकाश्रमना अधिष्ठाता पं. सुमतीबाईए यात्रासंघनी व्यवस्था घणा वात्सल्यपूर्वक करी हती...पं.
सुमतीबाई बालब्रह्मचारी छे, तेओ सोनगढ प्रत्ये खास प्रेम धरावे छे. आ उपरांत शेठ रावजीभाई, शेठ
माणेकलाल भाई वगेरेए पण होंसपूर्वक भाग लीधो हतो. स्वागतप्रसंगे आश्रमना