आदिनाथमंदिरमां मांगळिक संभळाव्युं...अहीं पू. गुरुदेव पधारवाथी, अने पू. बेनश्रीबेनना समागमथी
सुमितबाई खूब ज प्रसन्न थया हता. अहीं गुरुदेव पधारतां अने सोनगढ तथा सोलापुर बंने आश्रमना
बहेनोनुं मिलन थतां सोनगढ जेवुं वातावरण लागतुं हतुं. अहीं सात सुंदर जिनमंदिरो छे...तेमां रत्नत्रय
भगवंतो वगेरेना सुंदर प्रतिमाजी छे. गुरुदेवनुं प्रवचन जैन बोर्डिंगमां खास मंडपमां थतुं हतुं, प्रवचनमां
हजारो लोको उत्साहथी भाग लेता हता. रात्रे श्राविकाश्रमना मंदिरमां कमलासन महावीरप्रभु सन्मुख भक्ति
थई हती...भक्ति वखते आखुं मंदिर अंदर तेमज बहार चीक्कार भराई गयुं हतुं....ने पू. बेनश्रीबेने वैराग्य
अने उल्लासथी भरेली खूबज भक्ति करावी हती. भक्ति पछी बंने आश्रमना बहेनोए परस्पर परिचय कर्यो
हतो, तेमज भक्ति पूर्वक रास लीधो हतो तेमज तात्त्विक प्रश्नोत्तर थया हता. आ प्रसंगे अरसपरसना
परिचयथी बंने आश्रमना बहेनोने घणी प्रसन्नता थई हती.
लोको आश्चर्य अने आनंद पाम्या. रात्रे श्राविकाश्रममां सुंदर आध्यात्मिक तत्त्वचर्चा थई हती, अने तत्त्वचर्चा
बाद आश्रम तरफथी विद्युलताबेन शाहे (
आभार दर्शनमां तेमणे सोनगढना आध्यात्मिक वातावरणनी प्रंशंसा करी हती, अने गुरुदेव संघ सहित
सोलापुर पधार्या तथा श्राविका आश्रममां पधारीने तेओश्रीए अध्यात्मचर्चानो लाभ आप्यो ते बदल घणी
प्रसन्नताथी तेमणे आभार मान्यो हतो. तेमज पू. बेनश्री–बेन (–चंपाबेन तथा शांताबेन) त्रण दिवस
आश्रममां उतर्या अने भावभीनी भक्ति चर्चानो खूब लाभ आप्यो ते बदल तेमनो पण आभार मान्यो हतो.
पू. बेनश्रीबेनना त्रण दिवसना सहवासथी आश्रमना बधा बहेनो खूब प्रभावित थया हता, अने तेओश्रीना
ज्ञान–शांति–वैराग्य तथा