पलटी गयुं हतुं, चारे कोर आनंद उत्सव अने अध्यात्मचर्चानुं वातावरण बनी गयुं हतुं. आश्रमनुं वातावरण
सुंदर, आनंदी अने उल्लासभर्युं छे. पं. सुमतीबहेननी आगेवानीमां आश्रमनी दरेक बहेनो अने दरेक कार्यकरो
खूब ज प्रेम अने होंसथी संघ साथे भळी जईने आगतास्वागता करता हता. खरेखर सोलापुरना बे दिवसो,–
अने तेमां पण राजुलदेवी श्राविकाश्रमना बे दिवसो संघने बहु याद रहेशे.
विदाय आपी. ब्र. सुमतीबेनने विशेष भाव थतां तेओ कुंथलगीरीनी यात्रा माटे संघनी साथे आव्या.
सोलापुरथी कुंथलगिरि जतां वच्चे उस्मानाबादथी त्रण माईल पर धाराशिवनी गुफाओ छे, ते जोवा
अनेक गुफाओमां जिनबिंबो बिराजे छे...एक गुफामां पाणीनी वावडी पण छे. गुरुदेव वगेरे त्यां गुफाओमां
वहेलां पहोंची गया हता...पाछळ रहेला सेंकडो यात्रिको गुरुदेवने अने गुफाओने शोधता शोधता चारे कोर घूमी
रह्या हता...गुफावासी भगवंतोनी शोधमां आखा पर्वत उपर भक्तो छूटाछवाया फरी रह्या हता. भगवाननी
शोधमां फरीफरीने थाकेला भक्तोने गुफामां प्रवेशतां शांति थई ने जिनेन्द्र भगवंतना दर्शन करतां ज थाक उतरी
गयो.... “हर्ष पूर्वक भगवानना दर्शन करीने सौए भक्ति करी...गुफाओनुं वातावरण बहु शांत छे....कोई कोई
गुफा तो एवी शांत छे के अंदर प्रवेशतां जाणे कोई महामुनिओनी समीपमां आव्या होईए–एवी शांति लागे
छे. एक मोटी गुफामां लगभग ७ फूट विशाळ पार्श्वप्रभु बिराजे छे.