वैशाखः २४८पः ११ः
भक्तोने एटलो उमंग हतो के चार वाग्याना तैयार थई गया हता...ने तीर्थयात्रा माटे आतुर हता...पहेलां नीचेना
केटलाक जिनमंदिरोना दर्शन कर्या त्यारे, रोज नवा नवा जिनेन्द्रसमूहना दर्शनथी प्रसन्नता व्यक्त करतां गुरुदेवे कह्युं
केः अहो....ठेर ठेर जिनेन्द्रोनो दरबार छे! जात्रा दरमियान हजारो नहि परंतु लाखो जिनेन्द्र भगवंतोना दर्शन
थया....क्यांक तो एकेक मंदिरमां हजारो प्रतिमाना दर्शन थता.
आनंदथी जिनेन्द्र दरबारना दर्शन करीने सवारमां पांच वागे गुरुदेव साथे सिद्धक्षेत्रनी जात्रा शरू थई...श्री
धरस्वामी वगेरेना जय जयकार करता बे त्रण मिनिट चाल्या त्यां ज तळावना किनारे पर्वतना चढाणनी ने
जिनेन्द्रभगवंतोना दर्शननी शरूआत थई...यात्रामां पगले पगले जिनेन्द्र भगवंतोना दर्शन थतां भक्तोने घणो
आनंद थतो हतो...गुरुदेव पण प्रमोदथी भक्तोने कहेता के आ तो भगवाननो दरबार छे...जात्रामां लाखो जिनेन्द्र
भगवंतोना दर्शन थया छे. बे मंदिरोना दर्शन बाद त्रीजा मंदिरमां श्रीधर भगवानना चरणपादूका हता. अनुक्रमे
दर्शन करतां करतां १९ मा मंदिरमां आव्या.... ‘कुंडलपुरके बडे बाबा’ आ मंदिरमां बिराजे छे. १२ फूटना भव्य
महावीर भगवानने नीहाळतां ज भक्तनुं शीर भक्तिना भारथी झूकी पडे छे. भोंयरामां महावीरप्रभु उपरांत चारे
बाजु दिवाल पर मोटामोटा अनेक प्राचीन जिनबिंबो छे. अहीं संघे समूह पूजन कर्युं.....घणा भावथी दर्शन–पूजन
करीने बीजा मंदिरोना दर्शन माटे आगळ चाल्या.....अहीं गोळाकार (कुंडल आकार) पर्वतमाळा छे, तेथी मंदिरोना
दर्शन करतां करतां प्रदक्षिणा थती जाय छे.
आज मारा हृदयमां आनंद सागर उल्लसे......
जिनदरबारना दर्शनवडे संसारताप सहु टळे......
गुरुदेव साथे यात्रा करतां संताप सवि सहेजे टळे
यात्रा करतां करतां वच्चे वच्चे उपर मुजब विविध मंगल गीत गातां पू. बेनश्रीबेन यात्राना उल्लासमां
वृद्धि करता हता. आम घणा भावथी गुरुदेव साथे पर्वत उपरना ४६ जिनमंदिरोनी यात्रा करी....छेल्ले तळावना
किनारे जिनमंदिरोनां दर्शन कर्या....आम कुंडलगिरि–सिद्धिधामनी यात्रा पूरी करीने स्तुति गातां गातां धर्मशाळाना
जिनमंदिरोना दर्शन कर्या.
बपोरे जिनमंदिरमां समूहपूजन थयुं हतुं; आदिनाथ प्रभुनी अने सिद्धप्रभुनी पूजा बाद त्रीजी पूजा सोळ
कारण भावनानी थई हती–
दरश विशुद्धि भावना भाय....
सोलह तीर्थंकर पद पाय....परमगुरु हो....
जय जय नाथ....परमगुरु हो....
सोळ कारण भावनाना अने दसलक्षणी पर्वना दिवसो चालता होवाथी अने वळी गुरुदेव साथे सिद्धक्षेत्रनी
जात्रा थई होवाथी उपरोक्त पूजन करतां पू. बेनश्रीबेन वगेरे भक्तोने घणो उल्लास थतो हतो. पूजन बाद–
मैं परम दिगंबर साधु को नित ध्यावुं रे.....
इत्यादि भक्ति पण थई हती.
बपोरे प्रवचन वखते तीर्थ प्रबंधक कमिटि तरफथी गुरुदेव प्रत्ये आभार...अभिनंदन व्यक्त कर्या हता...रात्रे
तत्त्वचर्चा थई हती...आसपासना गामोथी सेंकडो माणसो अहीं लाभ लेवा आव्या हता.
कुंडलगिरि सिद्धिधामनी यात्रा करावनार कहानगुरुदेवने नमस्कार हो!
शाहपुर (चैत्र सुद आठम)
सवारमां जिनेन्द्रदेवना दर्शन करीने यात्रासंघे कुंडलगीरीथी प्रस्थान कर्युं...वच्चे वांसा गामना जैन समाजे
गुरुदेवनुं स्वागत कर्युं....तेमज संघने चा पाणी माटे रोक्यो...त्यां जिनमंदिरना दर्शन करीने आगळ सागर तरफ
जतां वच्चे शाहपुर जवा माटे ७ माईलनो फांटो पडे छे; त्यां मोटरबसो जई शके तेवो रस्तो न हतो पण शाहपुर
संघना खास आग्रहथी त्यांनो कार्यक्रम राख्यो हतो, रस्तो घणो खराब होवा छतां शाहपुर समाजने होंस एटली
बधी हती के रातोरात ४० माणसो रोकीने आखो रस्तो रीपेर कराव्यो...तेओ कहेता, मोटरनहि चाले तो एकेक
माणसने खभा उपर बेसाडी बेसाडीने लावशुं. पण संघने शाहपुर लाव्ये छूटको छे. सागरनी सडक उपर दसेक वागे
आवीने शाहपुर जवा माटे वाहननी राह जोतां उज्जड मेदानमां