ः १४ः आत्मधर्मः १८७
अर्हंतपद प्रगट करता होय! आवा जिनमंदिरमां आदिनाथप्रभुनी, चोवीस भगवंतोनी अने सीमंधरादि वीस
भगवंतोनी समूहपूजा करतां सौने आनंद थयो.
सवारे प्रवचन पछी जिनमंदिरोना दर्शन करवा गया...अहींना आगेवान शेठ भगवानदासजी
उत्साहपूर्वक गुरुदेवनी साथे रहीने जिनमंदिरो देखाडता हता. ऊंचा धवल शिखरोथी सुशोभित दसेक
जिनमंदिरना दर्शन कर्या.
आजे संघनुं जमण गुजराती शेठ लल्लुभाईने त्यां हतुं. जम्या बाद पुष्पमाळावडे यात्रिकोनुं सन्मान
कर्युं. लगभग १प०० माणसोने जमाडया एटलुं ज नहि परंतु ते उपरांत गुरुदेव पधार्या तेनी खुशालीमां प००
रूा. गणेश विद्यालयने, ४०४) रूा. पू. बेनश्रीबेन हस्तकना खातामां, तथा ३०० रूा. ब्रह्मचारी बहेनो–
भाईओने भेट तरीके आप्या. आ रीते गुरुदेव प्रत्ये एक अजैन भाईनो पण आटलो उत्साह देखीने सागरनी
जनता घणी प्रभावित थई हती.
बपोरे प्रवचनबाद मंडपमां पू. बेनश्रीबेने भक्ति करावी हती. रात्रे आगम अने अध्यात्मनी शैली
बाबत सुंदर तत्त्वचर्चा थई हती. आ वखते अहींना वयोवृद्ध श्रीमान् शेठश्री कुंदनमलजी सिंधई (जेओ
वर्णीजीके बडे भाई तरीके ओळखाय छे अने सागरना प्रतिष्ठित आगेवान छे तेओ) घणा भावथी गुरुदेवना
दर्शन करवा आव्या हता. आभारदर्शनमां पं. मुन्नालालजीए कह्युं के–यहां पर स्वामीजीका जो भव्य स्वागत
हुआ, मैं सच कहता हुं १२ वर्षसे मैं सागरमें रहता हुं लेकिन ऐसा स्वागत मैने आज तक कीसी सन्तका नहीं
देखा....स्वामीजीकी प्रवचनशैली अद्भुत है.......भक्ति पूजनका कार्यक्रम देखकर मेरा हृदय गदगद हो गया.
आ रीते सागरनो बे दिवसनो कार्यक्रम घणो प्रभावशाळी हतो ने सागरना उत्साही समाजे घणी
होंसथी शोभाव्यो हतो. मध्यप्रदेशमां जबलपुरमां अने सागर–ए बे शहेरो जैनधर्मनी खास जाहोजलालीवाळा
नगरो छे.....अने बंने नगरोनो जैनसमाज धार्मिक प्रसंगोना उत्साह माटे वखणाय छे. बंने शहेरोमां जेनोनी
वसती ८–१० हजार जेटली छे.
नैनागीरी–रेशंदीगीरी सिद्धक्षेत्रःः चैत्र सुद ११
सागरनो बे दिवसनो कार्यक्रम पूरो थतां गुरुदेव संघसहित नैनागीरी–रेशंदीगीरी सिद्धिधाम तरफ
प्रस्थान कर्युं. हवे मध्यप्रदेशमांथी विदर्भदेशनो प्रवास शरू थयो......आ समये विदर्भमां प्रसिद्ध डाकुओनो भय
होवाथी संघनी साथे पोलीस–पार्टीनो बंदोबस्त राखवामां आव्यो हतो.
सागरथी नैनागीरी तरफ जतां वच्चे बंडा गामे संघने चापाणी माटे रोकीने गुरुदेवनुं सन्मान कर्युं. तथा
बीजा एक गामे पण गुरुदेवने थोडीवार रोकीने सन्मान कर्युं......आ रीते प्रवास दरमियान वच्चे आवता अनेक
गामोमां सेंकडो माणसो भेगा थईने, गुरुदेवने वच्चे रोकीने स्वागत करता....आवा केटलाय गामो छे के जेनां
नाम पण याद नथी.
लगभग ८ वागे नैनागीरी–रेशंदीगीरी पहोंच्या अहीं सामसामा बे नानकडा डुंगरा छे.... नैनागीरी
धर्मशाळामां १३ जिनालयो छे अने सामे रेशंदीगीरी उपर ३६ जिनालयो छे, आ सिवाय बे पहाडी वच्चे
कमळपत्रथी छवायेलुं विशाळ मनोज्ञ सरोवर छे, ते सरोवरनी मध्यमां एक जलमंदिर छे; आ रीते अहीं कुल
प० जिनमंदिरो छे. श्री वरदत्त आदि अनेक मुनिए आ सिद्धिधामथी मोक्ष पाम्या छे.
रेशंदीगीरीनुं चढाण मांड सोएक पगथिया जेटलुं छे, तेना मुख्य मंदिरमां १०–१२ फूट ऊंचा गुलाबी
रंगना पार्श्वनाथप्रभु अति सुंदर छे, फरता २४ भगवंतोने लीधे देखाव घणो भाववाळो बनी जाय छे; ते
उपरांत ३ फूटना बाहुबली भगवान अने वरदत्त मुनिराजना प्रतिमा पण वीतराग रसझरती मुद्रावडे भक्तना
हृदयने आकर्षी रह्या छे. एक ठेकाणे गंधकूटी उपर वरदत्तादि मुनिवरोना पगलां छे. केटलाक मंदिरोमां
अतिप्राचीन सुंदर कळामय प्रतिमाओ बिराजे छे...मंदिरोना दर्शन बाद पार्श्वप्रभुनी सन्मुख रेशंदीगीरी
सिद्धक्षेत्रनुं पूजन तथा सिद्धपूजन थयुं. त्यारबाद पू. बेनश्रीबेने नीचेनी उल्लासभरी भक्ति करावी.....
आवो आवो जी......हां हां.....आवो आवो जी......
जैन जग सारे,
वरदत्त मुनि मोक्ष गये....