Atmadharma magazine - Ank 187
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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वैशाखः २४८पः १पः
आ रीते पूजन–भक्तिपूर्वक उल्लासथी सिद्धक्षेत्रनी यात्रा पूर्ण थई.
विदर्भदेशमां नैनागीरी–रेशंदीगीरी सिद्धिधामनी
अपूर्व यात्रा करावनार गुरुदेवने नमस्कार हो.
प्रवचन पहेलां स्वगात–समारोह थयो हतो. बाळकोना स्वागत–गीत बाद क्षेत्रना मंत्रीजीए स्वागत
प्रवचनमां कह्युं के हमें आज अत्यंत हर्ष हैं कि पू. कानजीस्वामी जैसे महापुरुष संघसहित आज यहां पधारे
है......यह वही पुण्य स्थान है जहां वरदत्तादि मुनिवरोने आत्मसाधना की थी....आज ईस क्षेत्र पर
कानजीस्वामीको देखकर हमें अत्यंत आनंद हो रहा है. कानजीस्वामी सोनगढके ही नहि, समस्त भारतकी पुंजी
है, आपने अध्यात्मकी गंगा प्रवाहीत की है. हम स्वामीजीका शतशत अभिनंदन करते है.
त्यारबाद क्षेत्रना सभापतिजीना प्रवचन पछी, “तीर्थराजकी पुण्यधारा पर स्वामीजी आज पधारे.....”
ए स्वागत गीत गवायुं हतुं. पछी तीर्थधाममां गुरुदेवनुं प्रवचन थयुं हतुं...... आसपासना सेंकडो माणसो
गाडा जोडीजोडीने आव्या हता. प्रवचन वखते वादळा होवाथी उपशांत वातावरण लागतुं हतुं.....प्रवचननी दस
मिनिट बाकी हती त्यारे थोडा छांटणा वरस्या हतां–जाणे तीर्थक्षेत्र उपर गंधोदक वृष्टि करीने आकाश तेने पूजी
रह्युं होय? वरसता वरसाद वच्चे आभार अने अभिनंदन विधि थई.....प्रवचन पछी तरत प्रस्थान करवानुं
होवाथी केटलाक यात्रिको तैयार थईने बसमां बेठाबेठा ज प्रवचन सांभळता हता. नैनागीरीथी द्रोणगीरी तरफ
प्रस्थान थयुं ते वखतनुं द्रश्य सरस हतुं...संघनी बधी मोटरो ने बसो साथे ज हती. रस्ता पाणीथी छंटायेला
हता, वादळावाळुं आकाश पृथ्वी उपर शांतिनी छाया पाथरी रह्युं हतुं, सामे मंदिरोथी छवायेलुं तीर्थधाम देखातुं
हतुं ने पासे ज कमळपत्रथी छवायेलुं सुंदर सरोवर हतुं.....आवा रमणीय द्रश्यनी साथे भक्तोना दिलमां
यात्रानो उमंग हतो......सौथी आगळ गुरुदेवनी मोटर ‘मंगलवर्द्धिनी’ त्यारबाद पोलीसवान, त्यारबाद
बेनश्रीबेननी मोटर ‘सत्सेविनी’ त्यारबाद महेन्द्रकुमार शेठीनी ‘अमर–किरण’ वगेरे मोटरो, अने त्यार बाद
यात्रिकोनी चार बसो,–आ रीते आखाय संघनी हारमाळा विदर्भदेशमां एक साथे विचरी रही हती.....गुरुदेवनी
साथे ने साथे ज एक सिद्धिधामथी बीजा सिद्धिधाम तरफ प्रवास करतां भक्तोनुं हृदय प्रफुल्लित हतुं.
नैनागीरीथी द्रोणगीरी तरफ जतां वच्चे दलपतपुरा गामे सेंकडो माणसोए गुरुदेवनुं सन्मान करीने
यात्रिकोने दूधीयुं पायुं......ए ज रीते शाहपुर गामे पण गुरुदेवनुं स्वागत करीने संघने भातुं आप्युं.....आगळ
जतां बीजा एक गामे संघने रोकीने गुरुदेवनुं स्वागत कर्युं तथा यात्रिकोने दूधीयुं पीवरावीने माळा पहेरावी.
सांजे मलहरागाममां गुरुदेवनुं स्वागत कर्युं....त्यां मात्र १० मिनिटना रोकाणमां गुरुदेवने अभिनंदनपत्र
आप्युं......संघने पण थोडीवार रोकावा आग्रह कर्यो हतो. संघे सांजनो नास्तो बसमां ज करी लीधो......सांजे
द्रोणगिरि सिद्धिधाम पहोंची गया... अहीं अनेक त्यागीओ हता, तेओए गुरुदेवने जोईने प्रसन्नता व्यक्त करी.
द्रोणगिरि–सिद्धिधामनी यात्रा (चैत्र सुद १२)
सवारमां सवापांच वागे, गुरुदत्तमुनिराजना सिद्धिधाम द्रोणगिरिनी यात्रा माटे गुरुदेव सहित भक्तोए
प्रस्थान कर्युं. पर्वत रळियामणो छे, चढाण पण सहेलुं छे.....दसेक मिनिटमां उपर पहोंची गया ने मंदिरोना
दर्शन शरू थया.....पासे पासे २६ मंदिरो छे, तेमां दर्शन करीने छेल्ला मंदिरे आव्या. अहीं मोटी ऊंडी गूफा छे, ते
गुरुदत्तमुनिराजनुं सिद्धिस्थान गणाय छे....तेनी बाजुमां एक मंदिर छे, तेमां अनेक प्रतिमाओ उपरांत
मुनिवरोना चरणपादुका छे, वच्चे मोटी वेदी छे तेनी चारे बाजु मुनिवरोना भाववाही द्रश्यो छे. मुनिधाम
खरेखर शांत अने रळियामणुं छे. आ मंदिर अने गूफा सामे विशाळ चोक छे, त्यां भक्ति पूजन कर्या. पहेलां
द्रोणगिरि सिद्धक्षेत्रनुं पूजन कर्युं, त्यारबाद सिद्धभगवंतो जाणे साक्षात् सन्मुख बिराजता होय–एवा उत्तम
भावे सिद्धभगवंतोनुं पूजन कर्युं. पूजन बाद भक्ति थई–
धन्य मुनिश्वर आतमहितमें,
छोड दिया परिवार......
कि तुमने छोडा सब घरबार..........