Atmadharma magazine - Ank 187
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 19 of 33

background image
ः १८ः आत्मधर्मः १८७
(पपौराजीना ७प मंदिरोनी वंदना (चैत्र सुद १प)
सवारमां गुरुदेवे संघसहित जिनमंदिरोनी वंदना शरू करी.....अहीं पर्वत नथी पण विशाळ मेदानमां ज
छूटाछूटा ७प मंदिरो छे. त्रण मानस्तंभ छे, कोईकोई मंदिर त्रण पीठिकानी रचनावाळा (समवसरण–मंदिर) छे.
‘जय जिनवर नमीए आपनें...’ इत्यादि मंगल स्तुति गातां गातां, गूफा जेवा प्रवेशद्वारोमां थईने एक पछी एक
जिनमंदिरोना दर्शन करता तथा अर्घ चडावता ३७ मंदिरोनी वंदना करीने ३८मा मंदिरे आव्या. ७प मंदिरोमां आ
बराबर वच्चेनुं मंदिर आव्युं; यात्रा करता थाकेला भक्तोए अहीं शीतळ छायामां गुरुदेवना चरणे बेसीने थाक
उतार्यो....ने आगळना मंदिरोनी वंदना शरू करी.
४३ मंदिर बाद ४४मुं मंदिर आव्युं; अहीं ४४ थी ६८ मंदिरो एक साथे छे ने तेने चोवीसीमंदिर पण कहे छे.
चंदेरीनी चोवीसीना दर्शन बाद भावना थतां एक भक्ते आ चोवीसी करावेली छे, तेमां विशेषता एटली छे के दरेक
मंदिरने प्रदक्षिणा थई शके छे. विशाळ मंदिरमां हारबंध २४ वेदी उपर २४ भगवंतो (–जेमां मोटा भागना
पार्श्वनाथ भगवंतो) बिराजे छे, वच्चे बारीमांथी जोतां अनेक मंदिरोमांथी सोंसरा भगवान देखाय छे,–जाणे
ऊंडीऊंडी गूफामां भगवान बेठा होय. फरता २४ भगवंतोनी वच्चे चंद्रप्रभु भगवाननुं मंदिर छे, तेमां पांच फूट मोटा
चंद्रप्रभु भगवान बिराजे छे, पोणोसो मंदिरनी वंदना बाद अहीं पूजन–भक्ति थया हता. चारेकोर भक्तोनी भीडथी
मंदिर भराई गयुं हतुं. पपौराजी क्षेत्रनी पूजा तथा चंद्रनाथप्रभुनी पूजा बाद गुरुदेवे उपशांत वातावरणमां जात्राना
उल्लासपूर्वक नीचेनुं स्तवन गवडाव्युं हतुं–
धन्य दिवस धन्य आजनो
धन्य धन्य घडी तेह,
धन्य समय प्रभु माहरो....
दरशनदीठुं रे आज.......मन लाग्युं रे मारा नाथजी
सुंदर मुरत दीठी ताहरी,
केटले दिवसे आज,
नयन पावन थया माहरा,
पाप तिमिर गयां भाज......
मन लाग्युं रे मारा नाथजी!
गुरुदेवनी भावभीनी भक्ति बाद पू. बेनश्रीबेने भक्ति करावी हती.
नाथ हो लवलीन तुमारी महिमा गाये......
हां जी हां हम गाये गाये.......
कहान गुरुजीकी साथमें आये.....
जात्रा करके आनंद पाये.....नाथ हो.......
आ रीते आनंदपूर्वक पपौराजी जिनधामनी वंदना थई. पपौराजी टीकमगढथी ३ माईल छे; पपौराजीमां
संघना भोजन वगेरेनी व्यवस्था टीकमगढना जैन समाजे करी हती. बपोरे टीकमगढमां प्रवचन हतुं.....टीकमगढमां
४–प मंदिरो छे. मुख्य मंदिरमां पांचेक फूटना चिंतामणी पार्श्वनाथ बिराजे छे. प्रवचन बाद टीकमगढ जैनसमाज तथा
पपौराजी क्षेत्र कमिटि तरफथी अभिनंदनपत्र आपवामां आव्युं हतुं. त्यारबाद तरत रवाना थईने आहारक्षेत्र
पहोंच्या......एक पछी एक त्रण विशाळ सरोवर बाद आहारक्षेत्र आवे छे. अहीं आवतांवेंत, जेम विरही बाळक
माताने भेटवा दोडे तेम भक्तो शांतिनाथ प्रभुने भेटवा दोडया.....ने शांतिनाथ प्रभुने देखतां ज अत्यंत आनंदित
थया. लगभग १८ फूटना शांतिनाथ भगवान अने बंने बाजु १२ फूटना कुंथुनाथ–अरनाथ भगवंतो, ए त्रिरंगी–
त्रिपुटी भगवंतोनुं द्रश्य अद्भुत छे. आ उपरांत बीजा ७ मंदिरो अने २ नानकडा मानस्तंभो छे. दस फूट ऊंचा नव
प्रतिष्ठित बाहुबली भगवान पण घणा भाववाही छे. गुरुदेव साथे आनंदथी दरेक ठेकाणे दर्शन कर्या. अहींना
पुरातत्त्वसंग्रहमां अनेक प्राचीन–प्रतिमाओ छे. मंदिरोना दर्शन बाद गुरुदेवना स्वागतनो समारोह थयो तथा
अभिनंदन–पत्र आपवामां आव्युं, अने गुरुदेवनुं मंगलप्रवचन थयुं. अहीं क्षेत्रना बधा कार्यकरोए उत्साहथी भाग
लईने संघना स्वागतनी सुंदर व्यवस्था करी हती. संघना आहारनी व्यवस्था...पण आहारजीक्षेत्रमां ज थई हती.
सांजे शांतिनाथ भगवान सन्मुख आहारक्षेत्रनुं पूजन तथा भक्ति थई.
मैं तेरे ढीग आया रे......
शांतिनाथ ढीग आया....