Atmadharma magazine - Ank 187
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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ः २०ः आत्मधर्मः १८७
महासमर्थ प्रतिभासंपन्न आचार्यमुनिराज दिगंबर दशामां कोई परम अध्यात्मतत्त्वनो उपदेश आपी रह्या छे ने
मुनिओ ते सांभळे छे....आचार्यदेवनी मुद्रा वीतरागी दिगंबर दशानुं स्पष्ट दर्शन करावे छे. उपदेश मुद्रा अतिशय
वैराग्यथी छवायेली छे, ए परम वीतरागी मुद्रा उपर रत्नत्रयनी झलक झलकी रही छे,–जाणे के हमणां बोलशे!
एवी अद्भुत भाववाही मुद्रा छे....जेने जोतां ज दिगंबर मुनिमार्ग प्रतीतमां आवी जाय छे ने मुमुक्षुनुं हृदय
सहेजे सहेजे ए मुनिराजना चरणोमां नमी पडे छे.
–आ अद्भुत वीतरागी मुनिप्रतिमा पहेलां पर्वत उपर हता, परंतु तेनी विशेष रक्षा खातर हाल
नीचेना मंदिरमां बिराजमान कर्यां छे. आ मुनिप्रतिमाना दर्शनथी गुरुदेवने अने भक्तोने घणो आह्लाद
थयो...सौए भावपूर्वक अर्घ चडावीने ए मुनि भगवाननुं पूजन कर्युं.
पर्वत उपरना लाखो प्रतिमानी अद्भुत कळा भारतमां खास वखणाय छे....घणाखरा प्रतिमाओ ८००
थी १००० वर्ष प्राचीन छे, केटलाक प्रतिमाओ तेथी पण वधु प्राचीन छे. आवो भव्य जिनेन्द्रदरबार जोतां एम
थाय छे के अहा! आवा भव्य लाखो प्रतिमा ज्यारे निर्माण थया हशे ते काळ दिगंबर जैन धर्मनी केवी मोटी
जाहोजलालीनो हशे! विशेष अन्वेषण करवामां आवे तो जैनधर्मनी महत्तासूचक घणी ऐतिहासिक विगतो
अहींथी मळी आवे तेम छे.
गुरुदेव साथे आवा महान जिनदरबारना दर्शन करीने सौ पाछा ललितपुर आव्या....वच्चे रस्तामां एक
गामे गुरुदेवनुं स्वागत करीने संघने दूधीयुं पायुं.
ललितपुरमां बपोरे ३ थी ४ प्रवचन हतुं....सांजे तत्त्वचर्चा हती......अहींथी यात्रिकोनी बे बस चंदेरी
चोवीसीना दर्शने गई हती. (पू. गुरुदेव वगेरेए सम्मेदशीखरजीनी यात्रा वखते चंदेरी–चोवीसीना दर्शन कर्या
हता, तेनुं वर्णन शीखरजीनी यात्राना वर्णनमां छे.)
बारां थईने चांदखेडी (चैत्रवद ४ रविवार)
सवारमां जिनेन्द्रदर्शन बाद ललितपुरथी बारां तरफ प्रस्थान कर्युं....विदर्भना वनवगडा जेवा प्रदेशोमां
आजे अढीसो माईल जेटलो लांबो प्रवास हतो.....बपोरे शिवपुरीमां भातुं खाईने आगळ वध्या. वच्चे नाना
नाना गामोमां पण गुरुदेवना दर्शन माटे अनेक लोको रस्ता उपर भेगा थया हता. आखो दिवस मुसाफरी
करीने सांजे पांच वागे बारां पहोंच्या. जैनसमाजे तेमज गुजराती भाईओए प्रेमथी स्वागत करीने संघने
जमाडयो. गाम बहार मंदिरमां ज उतारो हतो. आखा दिवसना प्रवासथी थाकेला यात्रिको विशाळ भगवंतोने
देखीने प्रफूल्ल थया....थाकयाना विसामा भगवान पासे जईने बे घडी बेठा. गामथी बहार एकांत स्थळे रमणीय
मंदिरमां लगभग १२ फूट ऊंचा शांतिनाथप्रभु (खड्गासने) तथा छ फूट ऊंचा नेमिनाथप्रभु (पद्मासने) ८००
वर्ष प्राचीन बिराजे छे. आ उपरांत कुंदमुनिना प्राचीन चरणकमळ छे, परंतु आ कुंदमुनि कया ते बाबतमां कोई
प्रमाणभूत हकीकत मळती नथी. चोकमां पण चबुतरा उपर प्राचीन चरणपादुका छे. गाममां पण एक मंदिर छे.
अहीं जिनमंदिरना दर्शनादि करीने सांजे सात वागे यात्रिको खरबचडा रस्ते धीमे धीमे रस्तो शोधता शोधता
राते १० वागे चांदखेडी पहोंच्या. पू. बेनश्रीबेननी ‘सत्सेविनी’ मोटर पण साथे ज हती. अघोर जंगलो,
अंधारी रात, डाकुओना भयवाळा स्थान अने खराब रस्ता, वळी वच्चे क्यारेक मोटर अटकी जाय के रस्तो
भूलाई जाय–आ रीते मुसाफरी करीने राते दस वागे चांदखेडी पहोंच्या. सवारना ४थी रातना १० वाग्या सुधी
अढार कलाकना प्रवास बाद, चांदखेडीना भोंयरामां बिराजमान अति विशाळ अने खूब ज मनोज्ञ श्री
आदिनाथप्रभुना दर्शनथी भक्तोने शांति अने प्रसन्नता थई. ऊंडी ऊंडी गूफा जेवा भोंयरामां ऊतरीने
जिननाथने नीहाळतां संसारभ्रमणनो थाक उतरी जाय छे ने चित्त प्रशांत थाय छे.
चांदखेडी (चैत्र वद पांचम)
सवारमां पू. गुरुदेव पधारतां स्वागत अने मंगल प्रवचन थयुं. त्यारबाद जिनमंदिरोमां समूहपूजन
थयुं. अहीं जिनमंदिरमां सीमंधर प्रभुना समवसरणनी सादी रचना छे अने सोनगढनी जेम, भगवान श्री
कुंदकुंदाचार्यदेव विदेहक्षेत्रमां सीमंधरप्रभुना दर्शन करी रह्या छे. ते द्रश्य छे. तथा मंदिरनी नीचे लगभग २प फूट
ऊंडे विशाळ भोयरुं छे, तेमां आदिनाथ प्रभुना ६ा फूट ऊंचा अतिमनोज्ञ मुद्रावाळा प्रतिमा पद्मासने बिराजे
छे. आवी भाववाही मुद्रावाळा प्रतिमा बहु विरल जोवामां आवे छे. ते सिवाय महावीर भगवानना पण अति