Atmadharma magazine - Ank 187
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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वैशाखः २४८पः २१ः
मनोज्ञ प्रतिमा बिराजे छे. भोंयराना शांत वातावरणमां अति प्रशांत जिनभगवंतोनी सन्मुख मुमुक्षु भक्तोने सहेजे
ध्यानभावना जागे छे...आ भाववाही प्रतिमाओना दर्शनथी गुरुदेव वगेरे सौने घणी प्रसन्नता थई हती अने फरी
फरीने तेना दर्शन करवा आव्या हता. भोंयरामां चोवीसी वगेरे बीजा पण अनेक भगवंतो बिराजे छे, तेनी अद्भुत
कारीगरी दर्शनीय छे.
समवसरण सन्मुख समूहपूजनमां–
(१) समवसरणके मध्य श्री
जिनेन्द्रदेव नीहारके,
मन–वचन भक्त लगाय पूजो
हर्ष बहु हिय धारके...
(२) कुंदकुंद आदि ऋद्धिधारक
मुनिनकी पूजा करुं,
ता करी पातक हरुं
सारे सकल आनंद विस्तरुं.
(३) आदिनाथजिन चरणकमळ पर
बलि बलि जाउं मनवचकाय,
हो करुणानिधि भवदुःख मेटो
याते मैं पूजुं प्रभु पाय.
उपरोक्त त्रण पूजाओ थई हती.
खानपुरागामनी बाजुमां ज चांदखेडी छे. भोंयरामां बिराजमान आदिनाथ प्रभुना विशाळ मनोज्ञ प्रतिमा
कोटाना एक श्रावकने स्वप्न आवतां गहन वनमांथी मळी आव्या हता ने लगभग ३०० वर्ष पहेलां अहीं तेनुं स्थापन
करवामां आव्युं छे. आ मूर्तिनी स्थापनाना समारोह वखते लगभग पांच लाख रूा. नुं खर्च थयुं हतुं. कोटा अने बुंदीना
महाराजाओ तेमां सम्मिलित हता, ११ भट्टारको अने लाखो दर्शनार्थीओ आव्या हता, रथयात्राना रथमां ८ हाथी
जोडवामां आव्या हता; मूर्तिविरोधी औंरंगझेबना शासनकाळमां आ मंदिर बंधायेलुं छे. (आ प्रकारनो उल्लेख झालरा–
पाटणना सरस्वती भंडारना एक प्राचीन पुस्तकमां छे.) चांदखेडीनी बाजुमा ज रूपली नदी छे, चोमासामां ते रूपली
नदी भोंयरामां प्रवेशीने पोताना जळवडे आदिनाथ प्रभुना चरणनो अभिषेक करी जाय छे. मंदिरने फरती विशाळ
धर्मशाळा छे, त्यां पुष्पवाटिकामां चंपा अने चमेलीना लगभग ९० वर्ष प्राचीन वृक्षो छे. आ क्षेत्रमां वरीयाळी घणी पाके
छे. खानपुरा गाममां बे मंदिरो छे. अहीं गुरुदेव पधार्या त्यारे चार दिवसनो मेळो भरायो हतो. रात्रे समवसरणमां
अद्भुत उल्लासभरी भक्ति थई हती.
(१) मारा ऋषभ जिनेश्वर, नैया मारी भवसे पार लगाजो....हां......
(२) मारा आदिप्रभुजीकी सुंदर मूरत मारे मन भाईजी......
भरतचक्रीने तुमको ध्याया, मोक्षका मारग पायाजी....
बाहुबलीजीने तुमको ध्याया, मोक्षका मारग पायाजी......
–सिद्ध स्वरूपको ध्यायाजी.........
(३) अय सीमंधर नाथजी! में आया तेरे दरबारमें
ए स्तवनो अति उल्लासभरी भक्तिथी पू. बेनश्रीबेने गवडाव्या हता. भगवाननो दरबार चारे कोर चीक्कार
हतो. अद्भुत भक्ति देखीने आखो दरबार हर्षथी उल्लासी रह्यो हतो. स्तवन पूरुं करतां करतां छेल्ले भगवानना
साक्षात् दर्शननी भावना भावतां बेनश्रीबेने गवडाव्युं के–
कब दरशन तेरा होगा...आपके दरबारमें
आजनी अद्भुत भक्ति देखीने सौ भक्तो खूब आनंदित थया हता. चांदखेडीमां बीजे दिवसे (चैत्र वद छठे)
पण सवारमां भावभीनुं समूहपूजन थयुं हतुं. चांद खेडीक्षेत्रस्थित सर्वे जिनबिंबोनी पूजा, तथा वीसविहरमान
भगवंतोनी पूजा वगेरे पूजाओ थई हती. त्यारबाद गुरुदेवना सुहस्तें ॐकार तथा स्वस्तिक करावीने अहींना “
सरस्वतीभवन” नुं शिलान्यास थयुं हतुं. प्रवचन बाद जिनेन्द्रदेवनी रथयात्रा नीकळी हती, तेमां हाथोहाथ भगवाननो
रथ खेंचता भक्तोने घणो आनंद थतो हतो. बपोरे महिला संमेलन बाद मंगल आशीर्वादरूपे अडधी कलाक गुरुदेवनुं
प्रवचन थयुं हतुं. प्रवचन बाद संघे अहींथी प्रस्थान कर्युं.
झालरापाटण
चांदखेडीथी प्रस्थान करीने सांजे पांच वागे झालरापाटण पहोंच्या. गाम बहार मोटुं भव्य मंदिर छे,