Atmadharma magazine - Ank 187
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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ः २६ः आत्मधर्मः १८७
मंदिरमां भक्ति थई. रळियामणा जिनमंदिरमां आदिनाथप्रभु तेमज बाजुमा सुंदर गंधकुटी उपर पार्श्वनाथ प्रभु
शोभे छे. अहींथी यात्रासंघनी बसमां बेसीने यात्रिकोए फत्तेपुर तरफ प्रस्थान कर्युं.
दक्षिण देशना बाहुबली भगवान वगेरे तीर्थधामोनी यात्राए नीकळेल “पू. श्री कानजीस्वामी दि. जैन
तीर्थयात्रा संघ” अनेकानेक तीर्थधामोनी आनंदभरी यात्रा करीने हवे घर भणी पाछो वळी रह्यो छे.....यात्रा
संघमां ४ बसो छे. मोटरबसोमां यात्रासंघनो आजे छेल्लो प्रवास छे. आ प्रवास पछी हवे यात्रिको एक
बीजाथी छूटा पडशे–ए विचारे सौनुं चित्त भावभीनुं थई रह्युं छे. कोई यात्रिको जात्राना प्रसंगोने याद करी
रह्या छे, तो कोई गद्गदभावे एकबीजा पासे क्षमायाचना करता थका विदाय लई रह्या छे. सौना हृदयमां
जात्राना अनेक मीठा संभारणा भर्या छे. सांजे ६ाा वागतां बसो फतेपुर पहोंची गई ने यात्रासंघनो प्रवास
अहीं पूरो थतां दिल्हीथी आवेली बसो खाली थईने दिल्ही तरफ पाछी फरी....यात्रिकोने छोडीने खाली बस
लईने पाछा जतां ड्राईवरो अने कंडकटरो वगेरे पण गदगद थई गया हता.......जतां जतां वच्चे सोनासण
मुकामे तेओ गुरुदेवना दर्शन करवा ऊतर्या हता, अने यात्रासंघ तरफथी तेओने ईनाम आपवामां आव्युं हतुं...
फतेहपुरथी केटलाक यात्रिको रात्रे सोनासण भक्तिमां गया हता....अने भक्ति करीने पाछा फतेपुर पहोंची गया
हता गुरुदेव वैशाख सुद एकमे रामपुरा थईने फत्तेपुर पधार्या, त्यारे गुजरात–सौराष्ट्रनी जनताओ भव्य
स्वागत कर्युं.
फत्तेपुर (वैशाख सुद एकम तथा बीज)
गुरुदेवनो ७०मो जन्मोत्सव अहीं ऊजवातो होवाथी फत्तेपुर अने गुजरातना जैन समाजने घणो
उत्साह हतो. ज्यां जैनोना ४० घर अने आखा गामना फकत २०० घर छे एवा आ गामडामां २००० जेटला
माणसोने रहेवा–जमवानी, नावा–धोवानी तेमज प्रवचन वगेरेनी सुंदर व्यवस्था करवामां आवी हती....मात्र
फत्तेपुरना ज नहि पण गुजरातना अनेक गामोना भाईओए आनंदथी सहकारपूर्वक भाग लईने गुरुदेवनो
जन्मोत्सव शोभाव्यो हतो....(फत्तेपुर कार्यक्रमना तथा गुरुदेवना ७०मा जन्मोत्सवना समाचारो आ अंकमां
अन्यत्र आपवामां आव्या छे.)
गुरुदेव साथे अनेक तीर्थधामोनी भावभीनी जात्रा बाद गुरुदेवनो ७०मो जन्मोत्सव आनंदपूर्वक
ऊजवीने हवे घणाखरा यात्रिको पोतपोताना गाम जवा माटे झंखी रह्या हता, तेथी घणाखरा यात्रिको अहींथी
पोतपोताने वतन पाछा फर्या......हवे गुरुदेव साथे गुजरातना प्रवासमां खास करीने सोनगढनुं भक्तमंडळ हतुं
फत्तेपुरमां आनंदथी उत्सव ऊजवीने भक्तजनो मधराते तलोद पहोच्यां.
तलोद (वैशाख सुद ३ तथा ४ ता. १०–११)
सवारमां गुरुदेव पधारतां सुंदर स्वागत थयुं......अहींनुं नूतन जिनमंदिर सुशोभित अने भव्य
छे...सवा लाखना खर्चे बंधायेलुं त्रण माळनुं आ रळियामणुं जिनमंदिर गुजरातना साबरकांठामां खास प्रसिद्ध
छे. जिनमंदिरमां वेदी वगेरेनी केटलीक रचना सोनगढना जिनमंदिरने मळती छे. मूळनायक आदिनाथ भगवान
छे, उपरना माळे महावीरप्रभुना सुंदर प्रतिमा खड्गासने बिराजे छे, नीचेना भोंयरामां त्यागीओने रहेवानुं
शांत स्थान छे. प्रवचन माटे खास मंडप हतो, गुरुदेवे प्रवचनमां ‘
नमः समयसाराय’ नो भावार्थ समजाव्यो
हतो. बंने दिवसे रात्रे जिनमंदिरमां भक्ति थई हती. बीजे दिवसे जिनमंदिरमां समूहपूजा थई हती. प्रवचन
पछी अभिनंदनपत्र आपवामां आव्युं हतुं. अहींथी वच्चे उजळियामां जिनमंदिरना दर्शन करीने गुरुदेव
रखियाल पधार्या हता.
रखियाल (वैशाख सुद प)
स्वागत बाद नियमसारना आठमा कळश उपर गुरुदेवे मंगलप्रवचन कर्युं. अहीं स्टेशन पासे घर–
चैत्यालयमां आदिनाथप्रभु बिराजे छे. गाममां बीजुं एक जिनालय छे. बपोरे प्रवचन तथा रात्रे जिनेन्द्रभक्ति
पछी यात्रिको देहगाम पहोंच्या हता.
देहगाम (वैशाख सुद छठ्ठ)
गुरुदेव पधारतां जैनसमाजे उल्लासभर्युं स्वागत कर्युं. स्वागतमां अने प्रवचनमां मोटी संख्यामां
माणसोए