Atmadharma magazine - Ank 187
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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सुवर्णपुरी समाचार
परम पूज्य गुरुदेव संघसहित अनेक
तीर्थधामोनी यात्रा करीने वैशाख शुद तेरसना
रोज सोनगढ पधारतां भव्य स्वागत
थयुं...स्वागत पछी सीमंधर प्रभुना दर्शन बाद
मंगलप्रवचन करतां गुरुदेवे कह्युं केः चैतन्यना
चतुष्टय प्रगटे ते अपूर्व मंगल सुप्रभात छे.
आ आत्मामां शक्तिरूपे स्वभावचतुष्टय पडया
छे, तेनी अंतर्मुख प्रतीत अने रमणता करतां
पूर्णानंद दशा प्राप्त थाय...ने केवळज्ञान–
केवळदर्शन–अनंतसुख ने अनंतवीर्य एवा
छे.
ए प्रमाणे मंगल बाद गुरुदेवे
भावपूर्वक अनेक तीर्थधामोने याद कर्यां
हता....घणा घणा नवा नवा तीर्थधामो
जोया....एम कहीने कुंदाद्रि, पोन्नुर, पपौराजी,
आहारजी, कुंथलगिरि, नैनागिरि, द्रौणगीरी,
मुक्तागीरी, कुंडलगीरी, चांदखेडी खजराह
वगेरे अनेक तीर्थधामोनुं गुरुदेवे प्रमोदथी
स्मरण कर्युं हतुं. हजारोनी संख्यामां प्रतिमाओ
जोया तेनुं स्मरण करीने कह्युं के ए तो
जिनेन्द्रनो दरबार हतो.
प्रवचनमां सवारे नियमसार अने बपोरे
समयसारनी शरूआत करेल छे. आ उपरांत
हंमेशां जिनेन्द्रभक्ति अने तत्त्वचर्चा वगेरे
कार्यक्रमो पूर्ववत् नियमित चालु छे. श्री दि. जैन
स्वाध्याय मंदिर ट्रस्टनी ओफिसनुं तेम ज जैन
अतिथि सेवासमितिनुं कामकाज पण पूर्ववत् चालु
थई गयुं छे.
आप आत्मधर्मना ग्राहक छो?
जो आप ग्राहक न हो तो जरूर आजे ज
ग्राहक बनो....वार्षिक लवाजम चार रूा. छे.
लखोः
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर, सोनगढ
(सौराष्ट्र)