Atmadharma magazine - Ank 187
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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खडा बाहुबली बता रहा, भय करो न आंधी पानीसे,
बढे चलो तुम अपने पथ पर, झूको न, बन सेनानीसे;
आत्मसाधनामें जितने भी बडे बडे संकट आये,
उन सभी सें लडा बाहुबली, खडा सभी को समझावे
गुरुदेव कहे छेः जात्रामां घणा घणा तीर्थो जोया; तेमांय
आ बाहुबली भगवाननी मुद्रा तो जाणे वर्तमान जीवंत मूर्ति
होय!–एवी छे. एना सर्व अंगोपांगमां पुण्य अने पवित्रता बंने
देखाई आवे छे. आंखो एवी ढळती छे.....जाणे के पवित्रतानो
पिंडलो थईने अक्रिय ज्ञानानंदनुं ध्यान करी रह्या छे,–एवा भावो
तेमनी मुद्रा उपर तरवरी रह्या छे......एने जोतां तृप्ति थती नथी.
अत्यारे आ दुनियामां एनो जोटो नथी.
–यात्रा पछीना सोनगढना पहेला प्रवचनमांथी