Atmadharma magazine - Ank 187
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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वैशाखः २४८प ः पः
आत्मधर्म
वर्ष सोळमुं संपादक वैशाख
अंक ७ मो रामजी माणेकचंद दोशी २४८प
यात्रा समाचार
पू. श्री कानजीस्वामी दि. जैन
तीर्थयात्रासंघनुं नागपुरथी अटकेलुं वर्णन
आगळ वधीने आ अंके समाप्त थाय छे.....पू.
गुरुदेवनी महामंगलकारी यात्रानी समाप्ति
साथे साथे ज आ अंके यात्रानुं वर्णन पूरुं
करतां अमने आनंद थाय छे. पृ. गुरुदेवनी आ
मंगलवर्द्धिनी यात्रा अने तेना संस्मरणो तीर्थ
प्रत्ये अने तीर्थस्वरूप संतो प्रत्ये भव्य जीवोने
भक्ति वधारीने रत्नत्रयात्मक तीर्थमां प्रवृत्ति
करावो.
–ब्र. हरिलाल जैन
पू. श्री कानजीस्वामी दि. जैन तीर्थयात्रा संघ अमरावतीथी नागपुर तरफ जई रह्यो छे... जतां जतां
वच्चे बजारगांव आवतां बधी मोटरबसो थंभी गई छे....शा माटे? श्री जिनेन्द्र भगवानना दर्शन माटे.
बजारगांवमां एक विशाळ प्राचीन जिनमंदिर छे, तेमां नव वेदी उपर अनेक जिनेन्द्र भगवंतो बिराजी रह्या
छे....मूळनायक तरीके छ फूट पद्मासने श्री सुपार्श्वनाथ प्रभुना भव्य प्रतिमा बिराजे छे...तेमज बीजा अनेक
भगवंतो बिराजे छे....जंगलमां मंगल समान आ जिनमंदिर शोभी रह्युं छे....रात्रे ९ वागे त्यां जईने पू.
बेनश्री बेन साथे सौए आनंद अने भक्तिपूर्वक भगवंतोना दर्शन कर्या....जाणे नानकडा तीर्थनी यात्रा
थई....गुरुदेव पण अहींथी पसार थया त्यारे आ जिनमंदिरना दर्शन करीने प्रसन्न थया हता...अहीं दर्शन करीने
संघ रात्रे नागपुर पहोंची गयो.
नागपुर (फागण वद १४–१प ता. ६–७)
सवारमां जिनेन्द्र भगवानना दर्शन–पूजन बाद भक्तो गुरुदेवना स्वागत माटे तैयार थई गया...८ाा
वागे गुरुदेव पधारतां नागपुरना हजारो नागरिकोए गुरुदेवनुं भव्य स्वागत कर्युं.... चांदीना बे रथ, बेन्ड,
छडी, चामर ने ठेरठेर पुष्पवृष्टि वगेरेथी स्वागत शोभतुं हतुं गुरुदेव सुशोभित मोटरमां बेठा हता. स्वागत
बाद मंगलप्रवचन थयुं. नागपुरमां १३ जिनमंदिरो छे; बपोरे गुरुदेव साथे ११ जिनमंदिरोनां दर्शन करतां
भक्तोने आनंद थयो. त्यार बाद बपोरे २ थी ३ गुरु–