अंक ७ मो रामजी माणेकचंद दोशी २४८प
आगळ वधीने आ अंके समाप्त थाय छे.....पू.
गुरुदेवनी महामंगलकारी यात्रानी समाप्ति
साथे साथे ज आ अंके यात्रानुं वर्णन पूरुं
करतां अमने आनंद थाय छे. पृ. गुरुदेवनी आ
मंगलवर्द्धिनी यात्रा अने तेना संस्मरणो तीर्थ
प्रत्ये अने तीर्थस्वरूप संतो प्रत्ये भव्य जीवोने
भक्ति वधारीने रत्नत्रयात्मक तीर्थमां प्रवृत्ति
करावो.
बजारगांवमां एक विशाळ प्राचीन जिनमंदिर छे, तेमां नव वेदी उपर अनेक जिनेन्द्र भगवंतो बिराजी रह्या
छे....मूळनायक तरीके छ फूट पद्मासने श्री सुपार्श्वनाथ प्रभुना भव्य प्रतिमा बिराजे छे...तेमज बीजा अनेक
भगवंतो बिराजे छे....जंगलमां मंगल समान आ जिनमंदिर शोभी रह्युं छे....रात्रे ९ वागे त्यां जईने पू.
बेनश्री बेन साथे सौए आनंद अने भक्तिपूर्वक भगवंतोना दर्शन कर्या....जाणे नानकडा तीर्थनी यात्रा
थई....गुरुदेव पण अहींथी पसार थया त्यारे आ जिनमंदिरना दर्शन करीने प्रसन्न थया हता...अहीं दर्शन करीने
संघ रात्रे नागपुर पहोंची गयो.
छडी, चामर ने ठेरठेर पुष्पवृष्टि वगेरेथी स्वागत शोभतुं हतुं गुरुदेव सुशोभित मोटरमां बेठा हता. स्वागत
बाद मंगलप्रवचन थयुं. नागपुरमां १३ जिनमंदिरो छे; बपोरे गुरुदेव साथे ११ जिनमंदिरोनां दर्शन करतां
भक्तोने आनंद थयो. त्यार बाद बपोरे २ थी ३ गुरु–