Atmadharma magazine - Ank 187
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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ः ६ःः आत्मधर्मः १८७
देवना स्वागतनो समारोह हतो. गुरुदेव नागपुर बे दिवस रह्या हता. बीजे दिवसे सवारमां बे मंदिरोना दर्शन
कर्या, एक चैत्यालयमां काचनी रचनाथी देखाव सुंदर लागतो हतो.
(डोंगरगढ–खेरागढ)
चैत्र सुद एकमे नागपुरथी डोंगरगढ आव्या....शेठ श्री भागचंदजी साहेबना खास आग्रहथी अहींनो
प्रोग्राम राख्यो हतो....गुरुदेव पधारतां स्वागत थयुं....बपोरे अभिनंदन समारोहमां शेठश्री भागचंद्रजीए
गुरुदेव प्रत्ये घणो भक्तिभाव व्यक्त कर्यो. जिनमंदिरमां प्राचीन प्रतिमाओना दर्शन कर्या. भोजन अने प्रवचन
बाद संघे खेरागढ प्रस्थान कर्युं. पू. गुरुदेव खेरागढ पधारतां उल्लासभर्युं भव्य स्वागत थयुं....वेदी–
प्रतिष्ठामहोत्सवना मंगळ प्रारंभरूपे गुरुदेवना मंगलहस्ते झंडारोपण थयुं...गुरुदेवने भावपूर्वक जैनधर्मनो
ध्वज लहेरावता देखीने सौ भक्तोने घणो आनंद थयो. रात्रे शांतिनाथप्रभुजी सन्मुख (प्रतिष्ठामंडपमां) भक्ति
थई हती.
बीजी चैत्र सुद एकमनी सवारमां वेदीप्रतिष्ठा संबंधी विधि (मंत्रजाप, ईंद्रप्रतिष्ठा, यागमंडलपूजन,
वेदीशुद्धि वगेरे) थई हती. गुरुदेवना प्रवचन बाद बे कुमारिका बहेनोए ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा लीधी हती. अहीं
उभयखेमराजजीए उत्साहथी नवुं दि. जिनमंदिर बंधाव्युं छे, तेमां गुरुदेवना हस्ते शांतिनाथप्रभुनी प्रतिष्ठा
थई. (आ संबंधी विगतवार समाचार आत्मधर्म गतांकमां अपाई गया छे.) बपोरे अभिनंदन अने प्रवचन
पछी जिनेन्द्रदेवनी भव्य रथयात्रा नीकळी हती, मोटी संख्यामां नगरजनोए तेमां भाग लीधो हतो. दूरदूरथी
गाडा जोडीने पण अनेक लोको अहीं आव्या हता. सांजे संघनी विदायगीरी वखते मारवाडी पद्धतिनी विदायनुं
द्रश्य भावभीनुं हतुं. संघे सांजे पांच वागे खेरागढथी रामटेक तरफ प्रस्थान कर्युं.
आजे आखी रात प्रवास करवानो हतो, ने पू. बेनश्रीबेन यात्रिकोनी बसमां साथे हता तेथी सौने घणो
आनंद थयो....आखी रात विविध भक्ति चाल्या करती...पू. बेनश्रीबेने अध्यात्म रसभरी आत्मस्पर्शी भक्ति
करावीने भक्तोने अध्यात्म भावनामां झुलाव्या हता....भक्तिनो ए एक खास यादगार प्रसंग हतो....जाणे के
अंदरथी आत्मपरिणतिज ज बोलती होय–एवी अद्भुत आत्मस्पर्शी ए भक्ति हती. आ रीते आखीरात
आनंदथी भक्ति तथा अंतकडी करता करता, खेरागढथी सांजे पांच वागे नीकळेला यात्रिको बीजे दिवसे सवारे
पांच वागे रामटेक पहोंच्या....ने धर्मशाळा शोधतां शोधतां सवार पडी गई.....भक्तो कहेता के आजे जात्रा
निमित्ते जागरण थयुं......
रामटेकः (चैत्र सुद बीज)
आखी रात जागेला भक्तोए सवारमां नाही–धोईने शांतिनाथप्रभुना दर्शन–पूजन कर्या... गुरुदेव
पधारतां स्वागत कर्युं. त्यारबाद गुरुदेवना साथे जिनमंदिरोनां दर्शन कर्या....अहीं धर्मशाळाना विशाळ चोकमां
९ जिनमंदिरो अने २१ वेदीओ छे. वच्चेना मुख्य मंदिरमां शांतिनाथ प्रभुना १६ फूट ऊंचा भव्य प्रतिमाजी
छे....ने तेमनी आजुबाजु बंने तरफ पण शांतिनाथ प्रभुना पांचफूटना प्रतिमा बिराजे छे....एक मंदिरनी
रचना समवसरण जेवी छे; त्रण पीठिका उपर चंद्रप्रभु बिराजे छे, मानस्तंभ पण छे....१६ फूटना १६मा
शांतिनाथप्रभु समीपे आवतां ज भक्तहृदयमां शांतिना शेरडा पडे छे....बपोरे शांतिनाथप्रभु पासे समूह पूजन
तथा भक्ति थई....त्यारबाद प्रवचन तथा रात्रे तत्त्वचर्चा थई हती.
सीवनी (ता. ११–४–प९ चैत्र सुद बीज)
सवारमां शांतिनाथप्रभुना दर्शन करीने रामटेकथी सीवनी प्रस्थान कर्युं. सीवनीमां बे जिनमंदिरो छे.
मोटा मंदिरमां १८ वेदी छे. बीजा मंदिरमां वच्चे पंचमेरुनी रचना छे ने चार खूणे चार वेदी छे. स्वागत बाद
गुरुदेवनुं प्रवचन थयुं....बपोरे जिनमंदिरमां समूहपूजन तथा भक्ति थई. सौराष्ट्रना नेमिनाथ भगवाननुं
पूजन सौराष्ट्रना यात्रिकोए घणा उल्लासथी कर्युं त्यारपछी गुरुदेवे भावभीनी भक्ति करावी.
मारा नेम पिया गीरनारी चाल्या,
मत कोई रोक लगाजो...
लार लार संयम अम लेशुं,
मत कोई प्रीत बढाजो....
सीवनीथी प्रस्थान करीने सांजे छपारा गामे आव्या....त्यां विशाळ जिनमंदिरमां छ वेदी तथा गंधकूटीना