भारत में प्राचीन धर्म जो जैनधर्म है वह एक समय तामिल प्रान्त में
भवनंदी आदि कई जैन आचार्योने जन्म लिया। ऐसे पवित्र स्थान में आपके
पधारने से हम लोग कृतकृत्य हुवे हैं।
श्री कुन्दकुन्दाचार्य के समयसार ग्रन्थ के अध्ययन से आपने सत्यधर्म
है। आपके इस महान कार्यो से हम लोग आपको कोटिशः धन्यवाद देते हैं।
कुन्दकुन्दाचार्य [एलाचार्य] के तपोभूमि एवं स्वर्गभूमि यह जो
स्वागत करने का जो सौभाग्य हम लोगों को मिल है उसे हम लोग कभी
भी नहीं भूलेंगे।
श्री कुन्दकुन्दाचार्य के रचित तिरुक्कुरल नामका जो
कराने की कृपा करें। इस स्थान सें आपका संघ पधारने की
यादगार में इस पर्वत की सीढी का जीर्णोद्धार एवं पर्वत की
तलहटी में एक बृहत गुरुकुल की स्थापना कर सद्धर्म एवं
सन्मार्गप्रदर्शन करने की कृपा करेंगे तो बहुत ही अच्छा होगा।