Atmadharma magazine - Ank 190
(Year 16 - Vir Nirvana Samvat 2485, A.D. 1959)
(Devanagari transliteration).

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श्रावणः २४८पः १७ः
दक्षिण देशना तीर्थधामोनी यात्रा करीने
पाछा फरतां चैत्र वद पांचमे पू. गुरुदेव
संघसहित चांदखेडी पधार्या हता. अहीं एक
विशाळ जिनालय छे.....नदीकिनारे रळियामणा
वातावरणमां मंदिर छे; मंदिरना भोंयरामां
सवा छ फूट विशाळ पद्मासने आदिनाथ प्रभु
बिराजे छे, तेमज महावीरादि भगवंतो बिराजे
छे. आ प्राचीन जिनबिंबोनी मुद्रा खूब ज
उपशांत भाववाही छे. आ उपरांत विदेहीनाथ
सीमंधरप्रभुना समवसरणनी रचना तेमज
तेमां उपस्थित श्री कुंदकुंदाचार्यदेवना प्रतिमाजी
छे. आवा चांदखेडी क्षेत्रमां पू. गुरुदेवनुं आ
प्रवचन छे. गुरुदेव पधारतां आसपासना
अनेक गामोथी सेंकडो जिज्ञासुओ आव्या हता.
आत्मा ज्ञानानंदस्वरूप अनादिअनंत छे, ते देहथी भिन्न छे. तेनी श्रद्धा अने ज्ञान करीने तेनी
स्वानुभूति वडे अतीन्द्रियआनंदनुं भोजन करवुं ते चार गतिना भ्रमणथी छूटवानो मार्ग छे.
नमः समयसाराय
स्वानुभूत्या चकासते’
स्वानुभूतिथी प्रकाशमान एवो जे शुद्धआत्मा तेने नमस्कार हो...विकारमां अनादिथी नमतो हतो एटले
के ते तरफ ढळतो–परिणमतो हतो, तेने बदले स्वसन्मुख थईने चैतन्यसत्तानो स्वीकार करीने तेमां नम्यो एटले
के स्वभाव तरफ ढळ्‌यो, तेमां परिणम्यो, ते मोक्षमार्ग छे, ते अपूर्वमंगळ छे.
अनादिकाळथी आत्मा चार गतिना परिभ्रमणमां रखडी रह्यो छे, पोतानी भूलथी ज ते रखडे छे, कोई
बीजाए तेने रखडाव्यो नथी. चार गतिना दुःखथी छूटकारो केम थाय तेनी आ वात छे. दुःख ते स्वाभाविक
भाव नथी, पण आत्माना आनंदस्वभावनो विभाव ते दुःख छे. पोते विभाव जीवे पोते कर्यो छे; जडमां सुख
नथी तेम तेना विभावरूप दुःख पण नथी. जीवे अज्ञानपणे पोताना विभावथी दुःख ऊभुं कर्युं छे. पोतानी ज
भूलथी पोते दुःखी होवा छतां बीजा उपर दोष ढोळवो के कर्मोए मने दुःखी कर्यो एम मानवुं–ते अनीति छे. जो
जैनशासनने समजे तो एवी अनीति संभवे नहीं. आचार्यभगवान कहे छे के अरे जीव! राग–द्वेष–मोहवडे
मलिनचित्तथी ज तुं संसारभ्रमण करी रह्यो छे. तारो चिदानंदस्वभाव पवित्र छे, ते राग–द्वेषमोहरहित
स्वभावनुं तें कदी लक्ष पण कर्युं नथी. एकवार चिदानंदस्वभावने लक्षमां लईने तेनुं चिंतन कर, तो तने तारा
अतीन्द्रियआनंदनो अनुभव थशे.
जीवे यथार्थपणे–रुचि प्रगट करीने–चिदानंदस्वरूपनी वात पण कदी सांभळी नथी..... सांभळवा मळ्‌युं
त्यारे तेनी रुचि न करी; काम–भोग–बंधननी ज रुचि राखी