Atmadharma magazine - Ank 196
(Year 17 - Vir Nirvana Samvat 2486, A.D. 1960)
(Devanagari transliteration).

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महा : २४८६ : १प :
कुंथलगिरि–सिद्धक्षेत्रमां
प्रवचन
(२४८प : फागण पूर्णिमा)
श्री देशभूषण अने कुलभूषण मुनिवरो अहींथी मोक्ष
पाम्या छे; तेओ कई रीते मोक्ष पाम्या? मोक्ष पाम्या पहेलां
तेओए शुं कर्युं? ते वात पू. गुरुदेव आ प्रवचनमां समजावे छे.

आ समयसारशास्त्र छे; भगवान कुंदकुंदाचार्य विदेहक्षेत्रे सीमंधर परमात्मा पासे गया हता;
तेमणे भगवान सीमंधर परमात्मानी दिव्यवाणी साक्षात् सांभळीने आ शास्त्र रच्युं छे. आ
समयसारना कर्ता–कर्म अधिकारमां भेदज्ञान माटेनी अद्भुत वात छे, मोक्षनुं मूळ ए भेदज्ञान छे.
आ जीव स्वयंसिद्ध अनादि–अनंत छे; ते छे–छे ने छे. तेनो स्वभाव ज्ञान अने सुख छे, पण
अनादिकाळथी पोताना स्वभावने भूलीने ते चोरासीमां परिभ्रमण करीने दुःखी थई रह्यो छे.
आचार्यभगवान ते परिभ्रमण टाळवानो उपाय बतावतां कहे छे के भाई! तुं तो आत्मा छो...जेवा
सिद्ध परमात्मा छे तेवो ज तुं परमार्थे छो...जे विकल्प अने राग छे ते तो पाणीमां सेवाळ जेेेवा छे, ते
विकल्प अने राग तारा आत्माना