Atmadharma magazine - Ank 199
(Year 17 - Vir Nirvana Samvat 2486, A.D. 1960)
(Devanagari transliteration).

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वैशाख: २४८६ : ३ :
गुरुदेवना ७१मा जन्मोत्सव प्रसंगे
स्वयंभू आत्मानी मंगळमाळा
(गूंथनार: हरि)
वैशाख सुद बीजे पू. गुरुदेवनो मंगल
जन्मदिवस छे.....भव्य जीवो उपर गुरुदेवे महान
उपकार कर्यो छे. जे महापुरुषना प्रतापे
भवभ्रमणथी छूटवानी दिशा सूझी होय, जे संतना
निमित्ते सत्य धर्मनी प्राप्ति थई होय, जे
मंगलमूर्तिना प्रसादथी आत्मकल्याणना आशीर्वाद
मळ्‌या होय, ते महात्माना जन्मोत्सव प्रसंगे
भक्तोना हृदयमां भक्तिनी विशेष ऊर्मिओ जागे
ए सहज छे.–ए ऊर्मि व्यक्त करवा माटे एवो
विचार आव्यो के गुरुदेवना जन्मोत्सवप्रसंगे
एवी वस्तु अर्पण करवी के जे गुरुदेवने प्रिय
होय. आत्मानुं ‘स्वयंभू–पणुं गुरुदेवने खूब ज
प्रिय छे, वारंवार तेओ तेनुं रटण करे छे. तेथी
‘स्वयंभू’ना महिमा संबंधी तेओश्रीना ज
श्रीमुखथी नीकळेला पुष्पोमांथी ७१ पुष्पोनी आ
मंगळमाळा गूंथीने तेओश्रीने समर्पण करीए
छीए.
१. आत्मा ‘स्वयंभू’ छे, केमके अन्य कारकोनी अपेक्षा वगर, स्वयमेव छ कारकरूप थईने पोते
सर्वज्ञ थाय छे.
२. शुद्धोपयोगवडे शुद्धात्मस्वभावनी प्राप्ति थाय छे, ते अन्य कारकोथी निरपेक्ष छे.
३. शुद्धोपयोगथी आत्मा पोताना ज आश्रये केवळज्ञान पामे छे तेथी ते अत्यंत स्वाधीन छे.
४. हे जीव! तारा स्वभावनो आश्रय करीने तेने ज तारी सर्वज्ञतानुं साधन बनाव, बहारना
साधनने न शोध.
प. जेम सर्वज्ञ थयेल आत्मा ‘स्वयंभू’ छे तेम सम्यग्दर्शन वगेरेमां पण आत्मा ‘स्वयंभू’ छे.
६. शुद्धोपयोगनी भावनाना प्रभावथी आत्मा सर्वज्ञ थाय छे, ते शुद्धोपयोग आत्माने ज आधीन
छे.
७. उपयोगने अंतरमां वाळवो ते ज आत्मप्राप्तिनो उपाय.
८. स्वयंभू आत्माने ज सिद्धदशा थई ते थई, तेनो हवे कदी अभाव नहि थाय.