Atmadharma magazine - Ank 201
(Year 17 - Vir Nirvana Samvat 2486, A.D. 1960)
(Devanagari transliteration).

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अषाड: २४८६ : १प :
विविध समाचार
*परम पूज्य गुरुदेव सुखशांतिमां बिराजे छे. जेठ वद त्रीजना दिवसे गुरुदेवनी डाबी आंखनो
मोतियो सफळतापूर्वक उतारवामां आवेल छे. मोतियो उतारवा माटे मुंबईना प्रसिद्ध डो. चीटनीस
(
D. O) तथा डो. जोगलेकर (D. O ) अने सुरेन्द्रनगरना सेवाभावी डो. मनसुखलालभाई (D.
O) सोनगढ आवेल हता, अने खूब चीवटपूर्वक सेवाभावथी मोतीयो उतारेल हतो. डो.
मनसुखलालभाईए तो पंदर दिवस सुधी सोनगढ रोकाईने घणी भक्ति अने चीवटपूर्वक गुरुदेवनी
सेवा करी हती. जेठ वद त्रीजना दिवसे सवारमां गुरुदेवे सीमंधर भगवानना दर्शन कर्या, त्यारबाद
सौ भाई–बेनोए घणा भावपूर्वक गुरुदेवनी स्तुति करी. अने गुरुदेवे कह्युं;
“भगवान सर्वज्ञदेवनी कृपानुं फळ मोक्ष छे....” लगभग १० वागे मोतियो उतारवामां आव्यो हतो.
त्यारपछी आठ दिवसे रूझ आवी जतां जेठ वद ११ ना रोज पाटो छोडी नांखवामां आव्यो छे. .....
गुरुदेवनी आंखे संपूर्ण आराम छे. हाल आंखे आराम लेवानो होवाथी वांचवानुं बंध छे, तेथी
गुरुदेवना प्रवचनो पण बंध छे. श्रावण मासमां प्रवचनो शरू थवानो संभव छे. गुरुदेवनी आंखे
जलदी संपूर्ण सारुं थई जाय ने तेओश्रीनी पुनित वाणी द्वारा आपणने जलदी आत्मबोध मळे–एवी
सौनी हार्दिक भावना छे.
* वैशाख वद छठ्ठे समवसरण–प्रतिष्ठानो १९ मो वार्षिकोत्सव, तथा वैशाख वद आठमे
स्वाध्याय मंदिरना उद्घाटननो अने तेमां समयसार–प्रतिष्ठानो २३मो वार्षिकोत्सव सोनगढमां घणा
आनंदोल्लासथी ऊजवायो हतो. सवारमां पूजनादि बाद जिनेन्द्र भगवाननी तथा समयसारजीनी
रथयात्रा नीकळी हती, तेमां नृत्य–भजन–संगीत वगेरे घणा उल्लासकारी हता. भगवाननी रथयात्रा
सोनगढना बागमां गई हती. छठ्ठने दिवसे भक्ति समवसरणमां थई हती; भक्ति एवी अद्भुत हती
के, भक्ति करतां करतां गुरुदेवना हृदयमां सीमंधरनाथना साक्षात् दर्शन करनार कुंदकुंदाचार्यदेव प्रत्ये
विशिष्ट बहुमाननो एवो प्रमोद जाग्यो के पोताना हस्ताक्षरे आ प्रमाणे लखीने ते प्रमोद व्यक्त कर्यो;
भरतथी महाविदेहनी मूळ देहे जात्रा करनार श्री कुंदकुंदआचार्यनी जय हो, जय हो. “
सीमंधरभगवान अने कुंदकुंदाचार्यदेव प्रत्ये बहुमानना तेमज तीर्थयात्राना केवा भावो
गुरुदेवना अंतरमां उल्लसे छे तेमना हस्ताक्षरमां देखाई आवे छे.
वैशाख वद आठमना रोज भक्ति स्वाध्यायमंदिरमां श्री समयसारजी सन्मुख थई हती. (आ
समयसारजीनी पूजनीक स्थापना पू. भगवती बेनश्री चंपाबेनना सुहस्ते थयेली छे.)
* जेठ सुद पांचमना रोज श्रुतपंचमीनो उत्सव पण आनंदथी ऊजवायो हतो; शास्त्रजीनी
यात्रा तेमज पूजनादि थया हता. आ श्रुतपंचमीना दिवसे शेठ श्री मगनलाल सुंदरजीना मकाननुं
वास्तु होवाथी गुरुदेवनुं प्रवचन तेमज श्रुतपूजन पण तेमना घरे मंडपमां थयुं हतुं. सांजे
जिनमंदिरमां जिनवाणीमातानी खास भक्ति थई हती.