Atmadharma magazine - Ank 202
(Year 17 - Vir Nirvana Samvat 2486, A.D. 1960)
(Devanagari transliteration).

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सुवर्णपुरी समाचार
परमपूज्य गुरुदेव सुखशांतिमां बिराजे छे,
तेओश्रीनी तबीयत सारी छे, आंखे पण बराबर
आराम छे, ने संतोषकारक रूझ तथा प्रकाश आवी
गयेल छे. गुरुदेवनी आंखना मोतिया बाबत
भक्तोमां खूब चिंता रहेती हती, परंतु डो. चीटनीस
अने डो. मनसुखभाई द्वारा सफळ ओपरेशन थतां हवे
चिंतानो अंत आव्यो छे.
जेठ वद त्रीजना रोज मोतियो उतारवामां आव्यो.
त्यार बाद अठवाडिया पछी (जेठ वद ११ना रोज)
ज्यारे आंखनो पाटो छोडी नांखवामां आव्यो अने पू.
गुरुदेव पहेलवहेलां सभामां पाट उपर पधार्या त्यारे
सौ भक्तोए खूब ज आनंदित थईने भावभीनी
स्तुति करी हती; डो. मनसुखलालभाईए पण हर्षित
थईने ते दिवसे प्रभावना करी हती, ने पोताने आवी
सेवानो लाभ मळ्‌यो ते बदल प्रमोद व्यक्त कर्यो हतो.
त्यारबाद गुरुदेवनी आंखमां वधु ने वधु सुधारो
थतो गयो अने आंखमां बराबर संतोषकारक रूझ
आवी जतां आ श्रावण सुद एकमना रोज चशमाना
नंबर काढवानुं नक्की थयुं; साथे साथे डो. चीटनीस
अने डो. मनसुखलालभाई बंनेए कांई पण फी लीधा
वगर अत्यंत चीवटपूर्वक आ कार्य करी आप्युं ते माटे
तेमने बंनेने मानपत्र आपवानुं पण नक्की थयुं. आ
माटे डो. चीटनीस श्रावण सुद एकमने रविवारे
मुंबईथी सोनगढ आव्या.
सवारमां सभास्थान चिक्कार हतुं. गुरुदेव
भरसभामां बिराजेला, ते वखतनुं वातावरण
आनंदमयी हतुं. गुरुदेवना प्रभावथी स्वाध्याय
मंदिरनो देखाव आजे विशेष रळियामणो लागतो हतो.
सौ भक्तोए हर्षपूर्वक गुरुदेवनी स्तुति करी.
डो. चीटनीस पहेलां तो सवारमां आवी जवाना हता,
परंतु मुंबईथी उपडेलुं एरोप्लेन वादळना धूम्मसने
कारणे भावनगर उतरी न शकवाथी तेओ फरीने
बपोरमां एरोप्लेनमां आव्या. लगभग साडाचार
वागे सभामां आवी पहोंचता तरत ज मंगलाचरण
अने गुरुदेवनी स्तुति थई; त्यारबाद शेठ प्रेमचंदभाई
तथा शेठ खीमचंदभाईए संक्षिप भाषणो कर्यो. पछी
विद्वान भाईश्री हिंमतलाल जे. शाहे विद्वत्ताभर्युं
प्रसंगोचित भाषण करीने बंने डो. साहेबोनो परिचय
आप्यो अने तेमणे करेली सेवा बदल आभार मान्यो;
पछी बंने डोकटरोना मानपत्रो वांच्या अने
रजतनी फ्रेईमवाळा ते मानपत्रो (टी–सेट सहित)
प्रमुख श्री रामजीभाईना हस्ते बंने डोकटर साहेबोने
भेट आपवामां आव्या. डो. चीटनीस साहेबे
मानपत्रना जवाबरूपे सुंदर भाषण (ईंगलीशमां) कर्युं
ने तेनो सार भाईश्री हिंमतलालभाईए गुजरातीमां
कह्यो. डो. चीटनीसे, डो. मनसुखलालभाई द्वारा पोताने
आवा महापुरुषनी सेवानो लाभ मळ्‌यो....एम कहीने
गुरुदेव प्रत्ये प्रमोद व्यक्त कर्यो अने कह्युं के गुरुजीने
माटे ओपरेशन उपरांत बीजी कोई सेवा आप मने
बतावशो तो हुं खुशी थईश. मानपात्र बाद डो.
साहेबोए गुरुदेवनी आंख तपासीने बराबर संतोष
व्यक्त कर्यो. आ मानपत्र प्रसंग बहु आनंदथी थयो
हतो. गुरुदेवनी आंखे बराबर सारुं थई जवाथी
भक्तोने प्रसन्नता हती; एनी खुशालीरूपे ते दिवसे
आखा संघनुं जमण राखवामां आव्युं हतुं. आ प्रसंगे
बहारगामथी पण अनेक महेमानो आव्या हता ने
गामना पण प्रतिष्ठित माणसोने आमंत्रण आपवामां
आव्युं हतुं.–जाणे के उत्सव होय एवुं आजना दिवसनुं
वातावरण हतुं. विशेष हर्षनी वात ए छे के गुरुदेव हवे
वांचन शरू करी शकशे, ने लगभग श्रावण सुद पुनमे
गुरुदेवना प्रवचनो शरू थशे. आ रीते, गुरुदेवनी आंखे
जलदी सारुं थई जवानी भक्तोनी हार्दिक भावना
सफळ थई छे.....ने हवे गुरुदेवनी मंगळ वाणी द्वारा
आत्मबोध पामवानी आपणी भावना पण शीघ्र–
तिशीघ्र पूरी थाओ –ए ज भावना.
दसलक्षणी पर्युषण पर्व– भादरवा सुद ४ ने
शुक्रवार ता. २६–८–६० थी शरू करीने भादरवा सुद १४
ने रविवार ता. ४–९–६० सुधीना दसदिवसो दसलक्षणी
पर्युषणपर्व तरीके ऊजवाशे. आ दिवसो दरमियान दस–
लक्षण मंडलनुं पूजन, तेमज दसलक्षणधर्मो उपर पू.
गुरुदेवना खास प्रवचनो थशे. (वच्चे सुद ९ घटती
होवाथी दसलक्षणपर्व एक दिवस वहेला शरू थाय छे.)
धार्मिक प्रवचनना खास दिवसो
श्रावण वद १२ ने शुक्रवार ता. १९–८–६० थी शरू
करीने भादरवा सुद ४ ने शुक्रवार ता. २६ सुधीना आठ
दिवसो दरमियान पू. गुरुदेवना खास प्रवचनो थशे.
जैन अतिथि सेवा समितिनी वार्षिक बेठक
भादरवा सुद बीजने बुधवार ता. २४–८–६० ना रोज
श्री जैन अतिथि सेवा समितिनी वार्षिक बेठक मळशे;
सौ सभ्योने हाजर रहेवा विनंति छे.