
अचिंत्यऋद्धि पासे बहारनी ऋद्धिनो शुं महिमा! ऋद्धि प्रगटवानी अने ७०० मुनिओ उपरना घोर
उपद्रवनी वात सांभळतां, आंगळी लंबावीने ऋद्धिनी परिक्षा करी अने पछी वात्सल्यनी प्रधानताने
लीधे ठींगणा ब्राह्मणनुं रूप लईने ७०० मुनिवरोनी रक्षा करी ते रक्षानो आजे दिवस छे.
नथी, ते राग कांई प्रशंसनीय नथी. चैतन्यना आनंदधाममांथी बहार नीकळीने जे रागनी वृत्ति ऊठी
मानता न हता; एटले तो पाछळथी तेनुं प्रायश्चित कर्युं, ने ते वृत्ति तोडीने, स्वरूपमां लीनतावडे
केवळज्ञान पाम्या. तेओ पोते ते वृत्ति तोडीने केवळज्ञान पाम्या, तेने बदले जे जीवो विष्णुकुमारमुनिना
उपरना द्रष्टांत उपरथी एम कहे छे के ‘आवो शुभराग ते धर्म छे.–केम के विष्णुमुनिने पण एवो
शुभराग आव्यो हतो माटे ते धर्म छे.’–तो एम माननारा जीवोए नथी तो विष्णुकुमारमुनिने
ओळख्या, नथी तो मोक्षमार्गने ओळख्यो, के नथी धर्मने ओळख्यो. मोक्षने साधतां वच्चे रागनी वृत्ति
आवी पडी–ते जुदी वात छे, अने ते रागनी वृत्तिने मोक्षनो मार्ग के मोक्षनुं साधन मानवुं ते जुदी
वात छे. जेम मुनिने देहनी दिगंबरदशा ज होय छे, पण ते दिगंबरदेह कांई मोक्षमार्ग नथी, ए ज रीते
वच्चे शुभवृत्ति आवे ते कांई मोक्षमार्ग नथी. जे जीव तेने मोक्षमार्ग माने छे तेणे आत्माने जाण्यो
रूढिगत एवा व्यवहारमां ज मूढ छे, अनादिनी रूढीथी बहार नीकळीने तेणे नवुं कांई नथी कर्युं.
परिपूर्ण, बहेद गुणोथी भरेलो छे, जेटला गुणो अमारामां (–सर्वज्ञमां) प्रगटया तेटला बधाय गुणो
तमारामां पण भर्या ज छे; तेने ओळखो, तेनो निर्मळ प्रेम करो अने तेमां ठरो...एमां ज विसामो छे
ने एमां ज मोक्षमार्ग छे. वच्चे विकल्प आवे तेमां विसामो नथी, ते शरणरूप नथी, ते मोक्षनुं कारण
नथी. शुद्धआत्माना ज आश्रये मोक्षमार्ग छे–एम हे जीवो! तमे जाणो.
ज्यारे उपद्रव कर्यो त्यारे वात्सल्यने लीधे विष्णुमुनिने तेमनी रक्षानो विकल्प आव्यो...ने युक्तिथी
मुनिओनी रक्षा करी, बलिराजा वगेरेए पण माफी मांगी ने जैनधर्म धारण कर्यो. ए रीते आजे
मुनिरक्षानो मोटो दिवस छे, तेथी आजना मूरत माटे आ प्रवचन छे.
व्यवहारमूढ कह्यो छे. निश्चयनय प्रौढविवेकवाळो छे, एटले के तेनाथी परमार्थ वस्तुस्वरूप ओळखतां
स्व–परनुं भेदज्ञान थाय छे ने मोक्षमार्ग प्रगटे छे. माटे भगवाननो अने संतोनो उपदेश छे के हे
एवा व्यवहारमां मूढता छोडो. विकल्प ते द्रव्यलिंग छे, तेमां ममत्व करे, तेनाथी लाभ माने, ते
अनादिथी संसारमां ज्यां हतो त्यांने त्यां ज ऊभो छे, ते संसारमार्गमांथी नीकळीने मोक्षपंथमां
आव्यो नथी. चेतनना गुण चेतनमां ज छे, चेतनना गुण विकारमां नथी. केमके–