Atmadharma magazine - Ank 204
(Year 17 - Vir Nirvana Samvat 2486, A.D. 1960)
(Devanagari transliteration).

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श्री वीतरागाय नमः
परम आदरणीय, सद्धर्म प्रचारक, भारतना सुप्रसिद्ध आध्यात्मिक संत.
श्रीमत् माननीय पूज्य श्री कानजी स्वामी
ना पुनित करकमलोमां सादरसमर्पित
अभिनंदन पत्र
पूज्यवर,
आज महासौभाग्य अने गौरवनी वात छे के अमो आजनी
धन्यपळे आपने संघसहित अमारा गाममां बिराजीत नीरखीए
छीए, पण क््यां आपनुं सोनगढ, अने क््यां नानकडुं रखीयाल
स्टेशन! छतां आनंदनुं कारण छे के आप बाहुबलीजी तीर्थधामोनी
यात्रा करीने पाछा फरतां अमारा गामे पधार्या छो अने अमोने
दिव्यामृतपान कराव्युं छे. ते बदले अमो आपना अत्यंत ऋणी छीए.
अध्यात्मयोगी,
लोकोने अनादिथी व्यवहारनो पक्ष छे, शास्त्रोमां पण ठामठाम
व्यवहारनो उपदेश विशेष छे, अध्यात्मनो उपदेश तो क््यांय क््यांय
अने कवचित विरलज छे; तेथी अमारा जेवा मंद बुद्धि जीवो उपर
असीम करुणा करी अध्यात्मज्ञान सुधा वहेवडावी अमोने
अध्यात्ममार्गे लगाव्या छे.
आत्मार्थी,
आपे आपना आत्माने जगाडयो एटलुं ज नहि पण
अनादिनी अविद्यामां सूतेली दुनियाने भेदज्ञाननी भेरीथी जगाडी
आत्मार्थ भणी लगाव्या छे, अने घणा जीवोने नवजीवन अर्प्युं छे.
वीरशासन प्रभावक,
अंतमां अमो अंतःकरणपूर्वक आपनुं तथा आपना संघनुं
स्वागत करीए छीए; आपश्री प्रति अमाराथी कांई पण अजाणे
क्षति थई होई तो क्षमा याचीए छीए; अने अंतरना ऊमळकापूर्वक
आ पुष्पमाळ आपने अभिनंदनपत्ररूपे समर्पित करीए छीए, एटलुं
ज नहि परंतु श्रीवीरप्रभु प्रति प्रार्थना करीए छीए के आप दीर्धायुं
थई वीरशासननो धर्मध्वज अणनम फरकावो......जयवीर!
ता. १२–प–१९प९ ली. विनयवंत
रखीयाल स्टेशन, (जिल्लो–अमदावाद) श्री रखीयाल स्टेशन मुमुक्षु मंडळ