Atmadharma magazine - Ank 206
(Year 18 - Vir Nirvana Samvat 2487, A.D. 1961)
(Devanagari transliteration).

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: : आत्मधर्म : २०६
विहारनो कार्यक्रम
जामनगर शहेरमां पंचकल्याणक प्रतिष्ठा
महोत्सव, गीरनारजी तीर्थधामनी यात्रा, अने
सावरकुंडलामां वेदीप्रतिष्ठा महोत्सव,–एवा मंगल–
प्रसंगो निमित्ते पू. गुरुदेवनो जे मंगलविहार
थवानो छे तेनो कार्यक्रम नीचे मुजब विचारवामां
आव्यो छे :–
*
सोनगढथी राजकोट थईने जामनगर तरफ :
(पोष वद १० गुरुवार ता. १२–१–६१)
* जामनगर: (पोष वद ११ थी माह सुद ८
सुधी; ता. १३ थी र४ सुधी)
* गोंडल: (माह सुद ९, जामनगरथी जुनागढ
जतां वच्चे विश्राम)
* जुनागढ–गीरनारयात्रा: (माह सुद १० थी
१३; ता. र६ थी र९ यात्राना दिवसो ११
तथा १र ता. र७–र८ शुक्र शनि)
* पोरबंदर : (माह सुद १४ थी माह वद ६;
ता. ३०–१–६० थी ता. ६–र–६१)
* जेतपुर : (माह वद ७ ता. ७ मंगळवार;
पोरबंदर थी राजकोट जतां वच्चे विश्राम)
* राजकोट:(माह वद ८ थी फागण सुद पांचम;
ता. ८ थी १९ फेब्रुआरी)
* लाठी : (फागण सुद ६ सोमवार; राजकोटथी
सावरकुंडला जतां वच्चे विश्राम)
* सावरकुंडला : (फागण सुद ७ थी फा. वद १.
ता. र१–र–६१ थी ता. ३–३–६१)
* सोनगढ–प्रवेश: (फागण वद बीज ने
शनिवार ता. ४–३–६१)
एक खुलासो
आत्मधर्म अंक २०४ (आसो मास) ना
वैराग्य समाचारमां मणिबेन खाराना समाचारमां
प्रेसनी भूलथी एम छपाई गयेल छे के “तेमना
भाईओए तेमना लगभग रूा. ७००)
जिनमंदिरमां तेमज बीजा शुभ खाताओमां आपेल
छे”–आमां ७०० ने बदले ७०००) सात हजार
समजवा. मणिबेनना भाईओ (श्री नानचंदभाई
वगेरे) ए ते रकम नीचेनी विगते वापरेल छे :–
२००२)
सोनगढ, ज्ञानखातामां (समयसार
वगेरेनी नवी आवृत्तिनी किंमत
घटाडवा माटे)
१००१) सोनगढ–जिनमंदिरमां
१प००) शुभखातामां वापरवा (पू. बेनश्री–
बेन हस्तक)
२०१) कायमी तिथि पूजन माटे(सोनगढ)
१प१) कायमी पूजन माटे (मुंबई)
८४) बार मासनी पूजा माटे. सोनगढ
१०१) श्राविका ब्रह्मचर्याश्रम, सोनगढ
१०१) आहारदान खाते, सोनगढ
१०१) उमराळा–जिनमंदिर
२प१) जैन अतिथि सेवा समिति, सोनगढ
१०१) विद्यार्थीगृह, सोनगढ
७१) गुरुदेवनी जन्मजयंति निमित्ते
१०३प) बोटाद खाते
३००) सोनगढ खाते परचुरण कार्योमां
जोके उपरोक्त भूल “आत्मधर्म” ना ते
अंकमां सुधारेल छे;छतां केटलाक अंकोमां सुधारवानुं
रही जवाथी आ खुलासो करवो पड्यो छे)
‘आत्मधर्म’ अंक २०प संबंधमां एक खुलासो
“आत्मधर्म” अंक २०प (कारतक) मां पानुं प–६ कपाई गयेला होय तेवुं देखाय छे, तेनुं कारण ए
छे के पानां ३–४–प–६ आडाअवळा गोठवाई गया होवाथी, ते स्थळेथी एक पानुं कापीने बीजे स्थळे
चोंटाडवामां आव्युं छे जे पानां उपर नं. ३ अने ४ छापेल छे ते सुधारीने नं. प अने ६ करी लेवाथी बधा
पानां मळी जशे. कोईपण पानुं ओछुं नथी.
अष्टाह्निका दरमियान “श्री जिनेन्द्रसहस्र–अष्टोत्तर नाम मंडलविधान” करवामां आव्युं हतुं, आ प्रकारनुं
मंडलविधान सौराष्ट्रमां पहेली ज वार थतुं होवाथी घणा प्रमोद अने भक्तिपूर्वक पूजनमहोत्सव थयो हतो.